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चिरंजीवी योजना में वयोवृद्ध के फेफड़े के कैंसर का हुआ निदान

मित्तल हॉस्पिटल के कैंसर सर्जन डॉ अर्पित जैन और टीम ने किया जटिल ऑपरेशन


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
नागौर जिले के मकराना तहसील स्थित ढाढ़ोली गांव के रहने वाले 72 वर्षीय भंवरा राम के फेफड़े के कैंसर की गांठ का निदान मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर में निःशुल्क किया गया।

हॉस्पिटल के कैंसर सर्जन डॉ अर्पित जैन और उनकी टीम ने यह जटिल ऑपरेशन किया। ऑपरेशन में 8 से 9 घंटे का समय लगा। ऑपरेशन के पांचवें दिन वृद्ध को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।

फेफड़े में कैंसर की गांठ के कारण भंवराराम के पीठ में दर्द था, सांस लेने में तकलीफ होती थी तथा खांसी में खून आने की शिकायत थी। वृद्ध के दाहिने फेफड़े में कैंसर की गांठ होने का परिवारजन को उपचार के पांच से छह माह पूर्व ही पता चल गया था किन्तु ग्रामीण परिवेश में उपयुक्त सलाह नहीं मिल पाने से वृद्ध उपचार नहीं ले पाया, नतीजा चिकित्सकीय भाषा में कैंसर रोग स्टेज थर्ड की श्रेणी में आ गया।

मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के कैंसर सर्जन डॉ अर्पित जैन ने बताया कि रोगी जब उनके सम्पर्क में आया तो रोगी की आवश्यक जांच कराई गई, जिसमें वृद्ध के दाहिने फेफड़े में कैंसर की गांठ होने तथा उसका प्रभाव ऊपर की दो पसलियों तक पहुंचने का पता चला। उन्होंने बताया कि यद्यपि वृद्ध के फेफड़े में कैंसर की गांठ बड़ी थी पर जगह पर सीमित थी। परिवारजनों को वृद्ध के रोग से संबंधित सभी जानकारी और जटिलताओं के अवगत कराने के बाद पहले कीमोथैरपी के जरिए गांठ को छोटा करने और फिर सर्जरी का निर्णय किया गया।

डॉ अर्पित जैन ने बताया कि करीब आठ से नौ घंटे तक चले ऑपरेशन में उनके सहयोगी डॉ. घनश्याम सिंह चूंडावत, ऐनेस्थीसियोलॉजिस्ट डॉ अंजू गुप्ता व डॉ उमेश नागपाल तथा ओ टी व पोस्टऑपरेटिव आईसीयू स्टाफ का सराहनीय योगदान रहा। उन्होंने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन में पोस्टऑपरेटिव केयर की महती जरूरत होती है, जिससे रोगी की रिकवरी अच्छी हो सके।

ऑपरेशन जटिल श्रेणी में आता है

कैंसर सर्जन डॉ अर्पित जैन के अनुसार इस तरह के ऑपरेशन जटिल श्रेणी में आते हैं क्यों कि इसमें दिल के पास से होकर गुजरने वाली खून, सांस व आवाज की नसों को बचाने का बड़ा जोखिम होता है। भंवराराम के केस में तो कैंसर की गांठ ऊपर की दो पसलियों तक बढ़ गई थी। इसलिए बीमारी वाले फेफड़े का हिस्सा और ऊपर की पसलियां निकाल कर चेस्टवॉल को प्लास्टिक सर्जरी पद्धति के द्वारा फिर से बनाया गया।

गांवों में निचले स्तर पर आज भी चाहिए जागरूकता

डॉ अर्पित जैन ने बताया कि वर्तमान में चिकित्सा विज्ञान ने भले ही बहुत ही तरक्की कर ली है किन्तु कैंसर रोग को लेकर आमजन की भ्रांति आज भी है। लोगों की धारणा है कि कैंसर रोग की गांठ को छेड़ने(उपचार कराने) पर वह तेजी से शरीर में फैल जाती है जिससे रोगी का बचना मुश्किल होता है। डॉ अर्पित ने इस धारणा को गलत बताया। कहा कि वर्तमान में गांवों में निचले स्तर पर कैंसर रोग के उपचार के प्रति जागरूकता की महती जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रारम्भिक अवस्था में रोग का पता चलने पर उसका तुरंत ही उपयुक्त चिकित्सक की सलाह से उपचार शुरू कर देना चाहिए जिससे रोग का निदान भी हो जाता है और रोगी आगे स्वस्थ जीवन जी पाता है।

दूषित वातावरण, खान-पान में सुधार की जरूरत

डॉ अर्पित जैन ने बताया कि लोगों को कैंसर रोग से बचाव के लिए अपने आस-पास के वातावरण को शुद्ध रखने, खान-पान और जीवन शैली को व्यवस्थित रखने की महती जरूरत है। महिलाओं, बच्चों और वयस्कों में कैंसर रोग आनुवांशिक होना एक कारण हो सकता है किन्तु इससे सतर्कता व जागरूकता से मुकाबला किया जा सकता है।

राजकीय योजनाओं में मिल रहा है निःशुल्क उपचार

निदेशक डॉ दिलीप मित्तल ने बताया कि राजकीय जनकल्याणकारी स्वास्थ्य योजनाओं के तहत कैंसर रोग सहित अन्य सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाओं यथा हृदय रोग, गुर्दा रोग, पथरी, प्रोस्टेट एवं मूत्र रोग, ब्रेन व स्पाइन रोग, आदि में रोगियों को निःशुल्क उपचार लाभ मिल रहा है। मित्तल हॉस्पिटल में कैंसर रोग सहित अन्य सभी सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाओं में रोगोपचार की सुविधाएं एक ही छत के नीचे दक्ष व अनुभवी चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम द्वारा उपलब्ध कराई जा रही हैं।

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