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शंकराचार्य ने विश्व में अद्वैत वेदांत का प्रचार प्रसार किया : माता गीता ज्योति


अजमेर (AJMER MUSKAN)। 
 दिल्ली गेट के बाहर किशन गुरनानी मौहल्ला स्थित माता ज्ञान ज्योति उदासीन आश्रम की संत साध्वी माता गीता ज्योति ने वेदांत पर और श्रीमद्भागवत गीता पर आधारित अपने सत्संग प्रवचनो के अन्तर्गत कहा कि अद्वैत वेदांत के मठाधीश आदिगुरू शंकराचार्य ने आजीवन वेदांत का प्रचार और प्रसार किया। माता गीता ज्योति ने कहा कि शंकराचार्य का जन्म केरल के मालाबार क्षेत्र के कालड़ी नामक स्थान पर नम्बूद्री ब्राह्मण शिवगुरु एवं आर्याम्बा के यहां हुआ था। उत्तर दिशा में उन्होंने बद्रिकाश्रम में ज्योर्तिमठ की स्थापना की थी। यह स्थापना उन्होंने 2641 से 2645 युधिष्ठिर संवत के बीच की थी। इसके बाद पश्‍चिम दिशा में द्वारिका में शारदामठ की स्थापना की थी। इसकी स्थापना 2648 युधिष्‍ठिर संवत में की थी। इसके बाद उन्होंने दक्षिण में श्रंगेरी मठ की स्थापना भी 2648 युधिष्‍ठिर संवत में की थी। इसके बाद उन्होंने पूर्व दिशा में जगन्नाथ पुरी में 2655 युधिष्‍ठिर संवत में गोवर्धन मठ की स्थापना की थी। 

आश्रम के उपाध्यक्ष एवं पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर के महासचिव रमेश लालवानी ने बताया कि आदिगुरू शंकराचार्य ने दशनामी समप्रदाय की स्थापना की जो कि गिरी, पर्वत, सागर, पुरी, भारती, सरस्वती, वन,अरण्य, तीर्थ और आश्रम कहलाते है। संत साध्वी माता गीता ज्योति के वेदांत पर आधारित सत्संग प्रवचन एवं अद्वैत वेदांत मठ के अन्तिम मठाधीश गुरू शंकराचार्य के जीवन चरित्र के सम्बंध में कथा और उनके जीवन के सम्बंध में जानकारी प्रदान की। श्रीमद्भागवत गीता पर आधारित सत्संग प्रवचन एवं भजनो के कार्यक्रम का आयोजन पुष्कर के दशनाम सन्यास आश्रम में किया गया। आरती पूजन, पल्लव प्रार्थना, प्रसाद वितरण एवं आरती के पश्चात एक दिवसीय कार्यक्रम का समापन किया गया। कन्हैया लाल गंगवानी, निशा एवं अन्य ने गुरू की महिमा में विचार व्यक्त किये।

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