Ticker

6/recent/ticker-posts

गीत-संगीत की महफिल : अजयमेरु प्रेस क्लब का सभागार धन्य हो उठा



अजमेर। (अजमेर मुस्कान)।
अजयमेरु प्रेस क्लब में गायिकी और मौसिकी का अनूठा संगम सुनने को मिला । मौका था शनिवार को आयोजित होने वाली गीत-संगीत की महफिल का और उसमें खास मेहमान मौजूद थे संगीत के उपासक और शिक्षाविद डॉ.नासिर मोहम्मद मदनी । करीब दो घंटे क्लब के सभागार में गीत, गज़ल और भजनों की अविरल धारा बहती रही । सभागार में मौजूद श्रोता मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहे ।

कार्यक्रम की शुरुआत मीराबाई के भजन "ए री मैं तो प्रेम दीवानी, मेरा दर्द ना जाने कोय" से हुई । भक्तिरस में डूबे इस भजन को सुनकर श्रोता भक्तिमय वातावरण में डूब कर रह गए । इस भजन के तत्काल बाद माहौल को प्रेमरस की ओर मोड़ दिया । डॉ. मदनी ने हंसते जख्म का एक नगमा "तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है के जहां मिल गया" कैफी आज़मी का यह नगमा सुनते हुए श्रोता मूवी के दृश्यों में खो गए ।  इसके बाद माहौल को गज़ल की ओर मोड़ दिया गया । जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की गज़ल "कैसे सुकून पाऊं तुझे देखने के बाद, अब क्या गज़ल सुनाऊं तुझे देखने के बाद" सुनकर श्रोताओं को जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की यादों में खोने को मजबूर कर दिया ।

सभागार में डॉ.मदनी की पत्नी डॉ. ममनून मदनी भी मौजूद थीं । वह भी संगीत की जानकार और शिक्षिका हैं । ऐसे में श्रोता कब चूकने वाले थे । चारों ओर से एक युगल गीत की फरमाइश उठने लगी । इस पर दोनों ने सच्चा-झूठा फिल्म के गीत *

 यूं ही तुम मुझसे बात करती हो , या कोई प्यार का इरादा है* के सुर छेड़ दिए । दोनों की सुरीली आवाज सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो कर रह गए । इसी क्रम में एक और प्रेमरस से सराबोर काजल फिल्म का गीत "छू लेने दो नाजुक होठों को, कुछ और नहीं है जाम है ये" सुनने को मिल गया । श्रोताओं के दृश्यपटल पर फिल्म के हीरो राजकुमार और हिरोइन मीना कुमारी के चित्र उभर आए । 

अगली कड़ी में एक गीत की पंक्तियां "छूकर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा, बदला ये मौसम लगे प्यारा जग सारा" गूंज उठी । श्रोताओं की तालियों की गडगडाहट खत्म भी नहीं हुई और मदनी साहब के मुख से अगले गीत "जब जब बहार आई  और फूल मुस्कराए, मुझे तुम याद आए" के बोल फूट पडे । एक के बाद एक प्रेमरस में डूबे गीतों के बाद माहौल शिकवा शिकायत से भरी गजल की ओर मुड़ गया । मदनी साहब ने एक गजल "गम को गले लगाकर जीना सीखा दिया, तुमने मेरी वफा का अच्छा सिला दिया है" सुनाकर माहौल ही बदल डाला । सभी श्रोताओं के चेहरों के बदलते रंग को भांपते हुए मदनी साहब ने फिर माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए अभिलाषा मूवी का एक गीत "वादियां मेरा दामन रास्ते मेरी बांहें, जाओ मेरे सिवा तुम कहाँ जाओगे" के सुर छेड़ दिए । मदनी साहब ने अपनी प्रस्तुतियों का क्रम इस तरह पिरोया कि एक प्रेमी युगल की सारी दास्तान उभर कर साकार हो गई । हालांकि इस प्रस्तुति को उन्होंने अंतिम कह डाला । पर कार्यक्रम का समापन भी उन्होंने एक भजन से किया और बैजूबावरा फिल्म में मोहम्मद रफी साहब की आवाज में गाया यादगार भजन "ओ दुनिया के रखवाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले" सुना दिया । भजन समाप्त होते ही सभागार तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा और अजयमेरु प्रेस क्लब का सभागार एक महान कलाकार की आवाज से धन्य हो गया ।

मदनी दम्पती की प्रस्तुतियों के दौरान ललित कुमार शर्मा ने बोंगा , सतीश दीक्षित ने ढोलक और सुनील जैन ने डरबुका पर संगत दी । इससे पहले क्लब के अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल ने मदनी दम्पती और कलाकारों का स्वागत किया । महासचिव राजेन्द्र गुंजल ने आभार प्रकट किया । कार्यक्रम का संचालन पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह सनकत ने किया ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ