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तम्बाकू निषेध दिवस पर मित्तल हॉस्पिटल में लगा परामर्श शिविर


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ जीवन शैली में छोटा सा बदलाव और थोड़ा सा प्रयास किया जाए तो तम्बाकू उत्पादों के सेवन की आदत से मुक्त होने में कोई बाधा नहीं होती। तम्बाकू उत्पाद सेवन सिर्फ व्यक्ति के लिए ही हानिकारक नहीं होता अपितु उसके पूरे परिवार को भी आर्थिक और मानसिक परेषानी में डाल देता है। इस आदत से छुटकारा टीम वर्क होने पर जल्द संभव है। इस टीम में तम्बाकू रोग ग्रसित के स्वयं की इच्छा, डाक्टर की सलाह, आस-पास का माहौल, रोगी के परिवार और मित्रों का सहयोग शामिल है।

कैंसर सर्जन डॉ अर्पित जैन ने ऐसा मंगलवार को विष्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर में आयोजित निःषुल्क कैंसर रोग  एवं तम्बाकू नषा मुक्ति परामर्ष षिविर में आए रोगियों व उनके परिजनों से कहा। षिविर में मानसिक रोग एवं नषामुक्ति विषेषज्ञ डॉ नवेन्दु गौड़ ने भी रोगियों को देखा और नषा मुक्त होने की सलाह दी। बहुसख्या में रोगी शिविर का लाभ उठाने मित्तल हॉस्पिटल पहुंचे थे। डॉ गौड़ ने बताया कि नियमित अंतराल में तम्बाकू सेवन के आदी, अवसाद के समय तम्बाकू खाने वाले, अत्यधिक धूम्रपान करने वाले बहुत से लोगों ने शिविर में पहुंच कर इससे मुक्त होने के लिए परामर्श पाया।

इससे पहले सुबह 11 बजे मित्तल हॉस्पिटल के सभागार में जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ के.के.सोनी एवं आरसीएचओ डॉ. स्वाति षिंदे ने हॉस्पिटल कर्मचारियों को तम्बाकू उत्पादों का किसी भी रूप में स्वयं सेवन नहीं करने और अपने परिजनों, मित्रों व परिचितों को भी सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करने एवं पर्यावरण को भी दुष्प्रभाव से बचाने की शपथ दिलाई।

सी एम एच ओ डॉ के के सोनी ने कहा कि जिन्हें तम्बाकू के सेवन की आदत हो गई है उन्हें स्वयं को तो अपनी आदतों को थोड़ा सा बदलना पड़ेगा ही लेकिन यह भी जरूरी है कि परिजन व मित्र भी अपना छोटा सा योगदान दे देवें तो सोने में सुहागा हो जाए। अन्यथा एक बार छूटी आदत दो चार दिन बाद फिर शुरू होने में देर नहीं लगती है। डॉ सोनी ने नषा मुक्ति के लिए सभी के संगठित सहयोग की अपेक्षा की।

आरसीएचओ डॉ स्वाति शिंदे ने कहा कि यह बात सभी को समझने की है कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन की आदत के दुष्प्रभाव का असर जल्दी ही पूरे परिवार पर आर्थिक और मानसिक कमजोरी बन कर दिखाई देने लगता है; जो बहुत ही चिंता और चिंतन का विषय है। बुरी आदत को तो जितना जल्दी हो बदलने में ही सबकी भलाई मानकर उससे मुक्त हो जाने की शपथ लेनी चाहिए।

हॉस्पिटल के मैनेजर एडमिनिस्ट्रेशन शाजी टी आर ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन जनसम्पर्क प्रबंधक सन्तोष कुमार गुप्ता ने किया। इस अवसर पर हॉस्पिटल के अनेक चिकित्सक, प्रषासनिक अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।

क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान में हुई जागरूकता कार्यशाला

आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान (एनसीईआरटी) अजमेर व मित्तल हॉस्पिटल के संयुक्त तत्वावधान में दोपहार 3 बजे रीजनल कॉलेज में हुई जागरूकता कार्यशाला में बोलते हुए कैंसर सर्जन डॉ अर्पित जैन ने कहा कि धूम्रपान व शराब की लत छोड़ने के लिए अपने मन पर नियंत्रण पाएं और सामूहिक व संगठित प्रयास करें। अपने ग्रुप में ना स्वयं सेवन करें और ना धूम्रपान व शराब सेवन करने वाले को किसी भी तरह से प्रोत्साहित करें। एकांत स्थिति में जब तम्बाकू उत्पाद सेवन की तलब लगे तो उस समय कुछ देर के लिए अपना ध्यान किसी अन्य साधन जैसे खेल, संगीत, साहित्य पढ़ना, बागवानी या कुकिंग करना आदि में लगाना चाहिए। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अर्पित जैन ने कहा कि तम्बाकू के सेवन से फेंफड़ों का कैंसर, पेशाब की थैली, बच्चेदानी (सर्वाइकल कैंसर), बड़ी आंत, भोजन नली, गुर्दे, स्वर पेटी, लीवर मुंह व गले, अग्नाश्य व अमाशय का कैंसर हो सकता है। सिगरेट, बीड़ी पीने वाली महिलाओं के स्तन कैंसर होने की अधिक संभावना होती है। उन्होंने बताया कि कैंसर होने के दो ही बड़े कारण होते हैं पहला जेनेटिक व दूसरा स्वयं व्यक्ति। जेनेटिक के कारण प्रति सौ में से 15 या 20 को ही कैंसर होना पाया गया है किन्तु सर्वे में ज्ञात हुआ है कि तम्बाकू सेवन से कैंसर पीड़ितों की संख्या अधिक पाई गई। यानी जो व्यक्ति के हाथ की बात है जिसे नियंत्रित किया जा सकता है; वहां कैंसर पीड़ित अधिक हैं। यही कारण है कि तम्बाकू उत्पादों के सेवन के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है।

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