अजमेर (AJMER MUSKAN)। पर्यावरण के प्रति जागरूकता और परिवर्तित हो रही जलवायु को ध्यान में रखकर पर्यावरण संरक्षण तथा मानव जीवन की रक्षा प्रतिबद्धता के लिये कार्य करने का उत्तरदायित्व सभी का हो गया है। देश का सबसे बड़ा परिवहन संगठन होने के कारण भारतीय रेलवे की जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। भारतीय रेलवे, ऊर्जा संसाधनों का एक महत्वपूर्ण उपभोक्ता है, इस कारण रेलवे की कम से कम पर्यावरणीय प्रभावों के साथ लागत प्रभावी ऊर्जा प्रणाली विकल्पों की पहचान करना महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
भारतीय रेलवे के विज़न दस्तावेज़ में उल्लेख किया गया है कि नवीकरणीय स्रोतों से अपनी ऊर्जा आवश्यकता का कम से कम 10 प्रतिशत उपयोग करना है। नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता, पर्याप्त विद्युतीकरण से बढ़ी ऊर्जा से संबंधित कार्बन उत्सर्जन में 90 प्रतिशत से अधिक आवश्यक कटौती प्रदान कर सकती है। रेलवे का प्रयास है कि परम्परागत ऊर्जा की अपेक्षा अधिकाधिक नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग किया जाये।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार विजय शर्मा, महाप्रबंधक, उत्तर पश्चिम रेलवे के दिशा-निर्देशों से उत्तर पश्चिम रेलवे प्रदुषण रहित तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति दायित्व के प्रयासों को अनके कार्यों से गति प्रदान कर कार्बन उत्सर्जन को कम कर पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को बढ़ाने के साथ.साथ राजस्व की भी बचत कर रहा है।
उत्तर पश्चिम रेलवे परिक्षेत्र सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए समृद्व है। इस रेलवे पर विगत समय में सौर ऊर्जा पर काफी कार्य किये गये है। इस रेलवे पर अभी तक कुल 7.126 MWp क्षमता के सोलर पैनल स्थापित किये गये है। इन सौलर पैनल के स्थापित होने से इस रेलवे पर प्रतिवर्ष 79 लाख से अधिक यूनिट की ऊर्जा की बचत की जा रही है तथा लगभग 5 करोड रूपये के राजस्व की बचत की जा रही है। इसके साथ ही जैसलमेर में 26 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया गया है। इस ऊर्जा संयंत्र से प्रति वर्ष लगभग 43 एमयू ऊर्जा उत्पन्न होती है जिसका उपयोग उत्तर पश्चिम रेलवे तथा पश्चिम मध्य रेलवे में कर्षण उद्देश्य के लिए किया जाता है।
द क्लाइमेट ग्रुप के अध्ययन के अनुसार वैश्विक CO2 उत्सर्जन में 6% प्रकाश व्यवस्था का योगदान रहता है, इस पर कार्य करके इसको कम किया जा सकता है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर 570 स्टेशनों तथा 963 सर्विस बिल्डिंगस में 100 प्रतिशत ऊर्जा दक्ष एलईडी तकनीक के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन को कम किया जाना सुनिश्चित किया जा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर लगभग 236452 एलईडी लाइट फिटिंग लगाई गई है, जिसके परिणामस्वरूप 103 लाख यूनिट प्रति वर्ष बिजली की बचत होती है। इसके अतिरिक्त 28 स्टेशनों पर बेहतर प्रंकाश व्यवस्था के लिये एयरपोर्ट के मानक स्तर पर प्रकाश व्यवस्था उपलब्ध करवाई गई है। एलईडी फिटिंग्स उत्सर्जित प्रकाश की प्रति यूनिट (लुमेन) कम बिजली की खपत कम करते हैं। यह बिजली संयत्रों से ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम करता है तथा एलईडी के लिये कार्बन डाईऑक्सीजन उत्सर्जन भी कम है।
रेलवे के दिसम्बर 2023 तक सभी रेल लाइनों के विद्युतीकरण करने के लक्ष्य के साथ पूरी तरह हरित रेलवे (शून्य कार्बन उत्सर्जन) में परिवर्तित करने की योजना है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर कुल 70 जोड़ी यात्री गाड़ियां डीजल लोकोमोटिव से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव पर संचालित की जा रही है, जो कि संचालित कुल यात्री गाड़ियो का 28 प्रतिशत हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे पर अभी तक 2864 किलोमीटर रेलमार्ग का विद्युतीकरण पूर्ण किया जा चुका है तथा दिसम्बर 2023 तक सभी लाइनों के विद्युतीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रेलवे की सभी लाइनों के विद्युतकर्षण होन पर ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में अपेक्षित कमी आयेगी और शून्य कार्बन उत्सर्जन उद्देश्य की ओर अग्रसर होंगे।
रेलवे का प्रयास है कि पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के लिये यथासंभव कार्य किये जाये और पर्यावरण अनूकुल स्त्रोतो का अधिकाधिक उपयोग किया जाये, जिससे हानिकारक गैसों के उत्सर्जन प्रभाव को कम किया जा सके।
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