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बाल विवाह रोकथाम के लिए होंगे नियंत्रण कक्ष स्थापित


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा एवं अन्य अवसरों पर जिले में बाल विवाह की रोकथाम के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे।

जिला मजिस्ट्रेट कैलाश चंद्र शर्मा ने बताया कि जिले में अक्षय तृतीया (आखातीज) एवं अन्य अवसरों पर बाल विवाह होने से रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। इसके लिए जिला एवं उपखण्ड स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे। जागरूकता के लिए विधिक जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। जिला स्तर पर कलक्ट्रेट तथा पुलिस अधीक्षक कार्यालय एवं उपखण्ड स्तर पर एसडीएम और तहसील कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएंगे। ये नियंत्रण कक्ष 24 घण्टे कार्यशील रहेंगे। कलेक्ट्रेट अजमेर के लिए अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट-शहर को नियंत्रण कक्ष का प्रभारी बनाया गया है। उपखण्ड मुख्यालय पर सम्बन्धित उपखण्ड अधिकारी (बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी) एवं तहसील मुख्यालय पर सम्बन्धित तहसीलदार (बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी) स्थानीय नियंत्रण कक्ष के प्रभारी होंगे। इन नियंत्रण केंद्रों से सम्बन्धित अधिकारियों की सूची सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को उपलब्ध कराई जाएगी। जिले में गठित विभिन्न स्वयं सहायता समूह, किशोरी समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन एवं सहयोगिनी को बाल विवाह के विरूद्व वातारण निर्माण करने के लिए सक्रिय किया गया है।

उन्होंने बताया कि पण्डित, पण्डाल व टेन्ट लगाने वाले, हलवाई. ट्रांसपोर्टर्स, प्रिन्टर्स, बैण्ड-बाजा आदि विवाह आयोजन से सम्बन्धित व्यक्तियों को बाल विवाह में सहयोग ना करने का आश्वासन लेने एवं उन्हें कानून की जानकारी देने का कार्य किया जा रहा है। गाँव-मोहल्लों के बाल विवाह होने की आशंका वाले परिवारों में समझाईश की जा रही है। बाल विवाहों की रोकथाम के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायत समिति के ग्राम स्तरीय कार्मिकों को प्रभावी कार्यवाही करने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही पटवारी, ग्राम सेवक, अध्यापक-अध्यापिका को बाल विवाह की आशंका होने पर सूचना निकट के पुलिस स्टेशन में देने के लिए पाबन्द किया गया है।

उन्होंने बताया कि समस्त उपखण्ड अधिकारी एवं तहसीलदार बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में सक्रिय रहकर बेहतर तरीके से कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। बेटियों के विवाह के खर्च को वहन करने में असमर्थ अभिभावकों को महिला एवं बाल विकास विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग एवं अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान की जाएगी। सामूहिक विवाहों को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। गांव के प्रमुख व्यक्तियों की पहचान कर बाल विवाह रूकवाने की जिम्मेदारी प्रदान की जाएगी। धार्मिक गुरूओं तथा विभिन्न धार्मिक संस्था प्रधानों को भी बाल विवाह के दुष्परिणामों एवं कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी जा रही है।

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