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वर्ल्ड किडनी दिवस : चिकित्सक की सलाह से ही लेवें दर्द निवारक और एंटीबायोटिक गोलियां


किडनी पीड़ित 60 प्रतिशत लोग जानकारी के अभाव में नहीं ले पाते उपयुक्त उपचार

अजमेर (AJMER MUSKAN)।  गुर्दारोग विशेषज्ञ डॉ. रणवीर सिंह चौधरी ने कहा कि क्रोनिक या नोन कम्यूनीकेबल (असंक्रामक) बीमारियां जैसे शुगर, उच्च रक्तचाप, मोटापा, हृदय रोग, आदि बढ़ती जा रही हैं वैसे वैसे किडनी की बीमारियां भी बढ़ती जा रही हैं। किडनी की बीमारी का सबसे खराब पक्ष  है कि 90 प्रतिशत लोगों को जानकारी के अभाव में किडनी की बीमारी का पता ही तब चलता है जबकि किडनी 15 प्रतिशत से कम काम कर रही होती है। इस स्थिति में मरीज के समक्ष डायलिसिस अथवा किडनी प्रत्यारोपण ही एक मात्र उपाय होता है। डॉ चौधरी ने वर्ल्ड किडनी दिवस पर सभी से खान—पान पर और नियमित व्यायाम पर ध्यान देने तथा शरीर के प्रति जागरूक रहकर नियमित जांच कराते रहने का संदेश दिया।

डॉ रणवीर सिंह चौधरी वर्ल्ड किडनी दिवस के अवसर अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर आयोजित एक कार्यक्रम में विचार व्यक्त कर रहे थे। डॉ चौधरी ने बताया कि किडनी फेलियर का मरीज कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होता है, इसलिए इनकी मृत्युदर बहुत ज्यादा होती है। उदाहरण के लिए कोराना काल के अध्ययन को लिया जा सकता है जिसमें किडनी के मरीजों में सबसे ज्यादा मृत्यु होती देखी गई। डॉ रणवीर चौधरी ने कहा कि ऐसे मरीज जो किडनी की बीमारी होने के रिस्क पर हैं जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, किडनी की पथरी, बार—बार पेशाब में संक्रमण, कैंसर व वो मानसिक रोगी जिनको लिथियम का सेवन करना पड़ रहा है उन्हें नियमित रूप से किडनी की जांच कराते रहना चाहिए। डॉ चौधरी ने बताया कि किडनी डेमेज का शुरुआती अवस्था में पता चल जाए तो चिकित्सक से परामर्श कर उपयुक्त निदान के साथ उपचार लेना और साथ में परहेज पर रहना चाहिए। डॉ चौधरी ने कहा कि दर्द निवारक और एंटीबायोटिक गोलियों का सेवन चिकित्सक की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे किडनी खराब होने की संभावना प्रबल होती है। उन्होंने बताया कि प्रति दस व्यक्ति में एक किसी ना किसी प्रकार की किडनी की बीमारी से ग्रसित मिल रहा है। हालात तो यह है कि किडनी पीड़ित 60 प्रतिशत लोग तो रोग की जानकारी नहीं होने के कारण  ही सही उपचार नहीं ले पा रहे। किडनी पीड़ित प्रति सौ व्यक्यिों में सिर्फ 30 प्रतिशत को ही डायलिसिस की सुविधा मिल पाती है और दस प्रतिशत ही किडनी प्रत्यारोपण करा पाते हैं।

डॉ रणवीर सिंह चौधरी ने बताया कि इस बार वल्र्ड किडनी दिवस की थीम किडनी हैल्थ फॉर आॅल— फिल द गेप इसीलिए रखा गया है कि दूर दराज के क्षेत्र में जहां किडनी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध नहीं है वहां पर भी आम जनता को किडनी की बीमारियों का इलाज उपलब्ध हो सके और इसके लिए वहां पर उपलब्ध सामान्य चिकित्सक और किडनी रोग विशेषज्ञ के बीच में किडनी की बीमारियों के इलाज के बारे में जानकारी साझा हो व उनके आपसी सहयोग से पूरा इलाज किया जाए।

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