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स्वाधीनता का अमृत महोत्सव : दांडी मार्च आयोजित


गांधी दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने का लिया संकल्प

समाज और राष्ट्र, व्यक्ति तथा परिवार से है सर्वोपर

अजमेर (AJMER MUSKAN)। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में शनिवार को दांडी मार्च का आयोजन कर गांधी दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।

अतिरिक्त जिला कलेक्टर कैलाश चन्द्र शर्मा ने बताया कि स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों में दाण्डी मार्च के तहत विश्व शांति की ओर बढ़ते कदम की थीम पर पद यात्रा निकाली गई। अजमेर में आनासागर चौपाटी से जेएलएन मेडिकल कॉलेज तक दांडी मार्च निकाला गया। दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक दीनबंधु चौधरी ने मार्च को तिरंगा झण्डा दिखाकर रवाना किया। मेडिकल कॉलेज में दांडी यात्रा एवं गांधी दर्शन के संबंध में गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गांधी जीवन दर्शन समिति के संयोजक एवं पूर्व विधायक गोपाल बाहेती ने गोष्ठी में कहा कि अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों का उद्देश्य भारत के प्रत्येक नागरिक तक गांधी के विचारों को पहुंचाना है। गांधी की सोच के अनुरूप देश के संसाधनों का लाभ अन्तिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। व्यक्ति से पहले परिवार, परिवार से पहले समाज तथा समाज से पहले राष्ट्र को मानने से ही देश विकास की नई ऊचांईयों को छूएगा। देश द्वारा शहीदों एवं महापुरूषों को याद किया जाता है। इसका कारण उनके द्वारा देश तथा समाज के लिए किए गए कार्य है। शहीदों एवं महापुरूषों की आत्मा की आवाज को सुनने से सकरात्मक दिशा मिलेगी। नई पीढ़ी को पैकेज के स्थान पर राष्ट्र को प्राथमिकता देनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने नमक पर कर का एक नए तरीके से विरोध किया। इसके परिणामस्वरूप पूरे देश में जाग्रति आई। तत्कालीन सरकार से महात्मा गांधी ने नमक जैसी आवश्यक वस्तु पर कर नहीं लगाने का आग्रह किया। इसे अंग्रेज सरकार ने अनसुना कर दिया। इसके विरोध में महात्मा गांधी द्वारा प्रतीकात्मक रूप से बनाया गया नमक आजादी के आन्दोलन का ध्वजवाहक बना।

उन्होंने कहा कि दाण्डी मार्च के दौरान गांधी जी की वेशभूषा में विद्यार्थियों का आना सत्य और अहिंसा के प्रति इनके समर्पण को दर्शाता है। दैनिक जीवन में ईमानदारीपूर्वक कार्य करने वाले व्यक्ति को डरने की आवश्यकता नहीं है। विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिक्षा चरित्रयुक्त होनी चाहिए। आज के चरित्रवान विद्यार्थी कल के चरित्रवान नागरिक बनेंगे। इससे देश का उत्थान होगा। गांधी जी ने शराब के राजस्व से दी जाने वाली शिक्षा के स्थान पर अशिक्षा की वकालत की।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व उच्च पदों की सेवाएं अंग्रेजों के लिए आरक्षित थी। आज देश का प्रत्येक नागरिक उच्चतम पद तक पहुंच सकता है। देश का संविधान भारत की जनता के लिए है। इसके अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए समान दायित्व है। देश को स्वाधीन करने वाले महापुरूषों एवं शहीदों का प्रत्येक नागरिक पर कर्ज है। इसे उतारना हम सब का कर्तव्य है।

उन्होंने कहा कि देश की एकता के लिए आवश्यक समस्त कार्य नागरिकों द्वारा किए जाने चाहिए। देश के विकास के संबंध में प्रत्येक नागरिक का मन-मस्तिष्क स्पष्ट सोच के साथ होना चाहिए। देश का विकास निरन्तर बना रहे इसके लिए प्रत्येक नागरिक को नियमित एक घण्टा देश के लिए देना चाहिए। स्वंय को देश का ट्रस्टी समझकर कार्य करने से गांधी जी के सपनों का भारत प्राप्त होगा।

सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के स्वंयसेवक आस्था ने कहा कि गांधी जी द्वारा नमक पर कर का विरोध करने से भारत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया। मीनाक्षी नामा ने हिंसा को नष्ट कर अंहिसा का पालन करने का आह्वान किया। अर्पणा गौड ने दैनिक जीवन में अनुशासन की आवश्यकता बताई। नेहरू युवा केन्द्र की स्वंय सेवक निकिता ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

खान-पान, आचरण एवं चरित्र को शुद्ध रखने की ली शपथ


गांधी दर्शन समिति कि सहसंयोजक शक्ति प्रताप सिंह ने गोष्ठी के दौरान विद्यार्थियों को खान-पान, आचरण तथा चरित्र को शुद्ध रखने का संकल्प दिलाया। विद्यार्थियों ने समस्त प्रकार के नशों से दूर रहने की शपथ ली। साथ ही तामसिक भोजन नहीं करने का वचन लिया। गोष्ठी में सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय की डॉ. लता अग्रवाल एवं अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी मुन्नी देवी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस अवसर पर प्रोटोकॉल ऑफिसर आलोक जैन, देहात उपाध्यक्ष सौरभ बजाड़, शिक्षा विभाग के उप निदेशक धर्मेन्द्र जाटव, मनोनीत पार्षद मुनव्वर खान, उमेश शर्मा एवं सुमित मित्तल आदि उपस्थित रहे।

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