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आजादी का अमृत महोत्सव : सिन्धी नाटक का हुआ मंचन


अमर शाहिद हेमू कालाणी एवं सिन्धियत जी खुशबू नृत्य नाटिकाओं की रंगारंग प्रस्तुति


जोधपुर (AJMER MUSKAN)।
सिंधी कल्चरल सोसायटी जोधपुर द्वारा "आजादी के अमृत महोत्सव’’ के तहत सिंधी नाटक में सिन्धियत विशय के मद्देनजर रंगमंच के माध्यम से सिंधी भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से जयनारायण व्यास टाउन हाॅल में ‘‘अमर शाहिद हेमू कालाणी’’ तथा ‘‘सिन्धियत जी खुशबू’’ नाटकों का मंचन किया गया।


इस कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन से किया गया। दीप प्रज्जवलन लेफ्टिनेंट कर्नल कमल थावानी और बधिर कल्याण समिति की उपाध्यक्ष आशा उत्तमचंदानी ने किया।

स्वतंत्रता संग्राम के सैनानी 19 वर्षीय बालक हेमू कालाणी की शहादत को देश में पहली बार नृत्य नाटिका के माध्यम प्रस्तुत किया गया। हेमू कालाणी के बाल अवस्था से अन्त तक स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रति जोश एवं विभिन्नआन्दोलनों में भाग लेकर देश एवं स्वतंत्रता के जुनून को प्रस्तुत किया गया। नृत्य नाटिका एवं मंच के पृष्ठ में एलईडी वाल पर स्वतंत्रता आन्दोलन के विभिन्न दृश्यों के माध्यम से कलाकारों ने दर्शकों में उत्साह संचारित कर, देश भक्ति की भावना जगा दी। 

निखिल रमन राजपाललिखित नाटक की संकल्पना हरु लाल राजपाल की थी। मुम्बई की जूली तेजवानी के निर्देशन में सिंधु सखा संगम की इस प्रस्तुति के दौरान दर्शकों ने भी इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाए। इस नाटक में युवा हेमू कालाणी के रूप में गुलशन माखीजा और बाल हेमू कालाणी के रूप में तनिश्कहीरो ने सशक्त अभिनय किया। हेमू कालाणी की माता के रूप में निशा सचदेव ने नाटक के माध्यम से स्वच्छता और महिला सशक्तिकरण का भी सन्देश दिया। जिसमें हेमू कालाणी की शहादत, मातृभूमि से लगाव एवं वीर माताश्री के प्रोत्साहन के साथ साथ अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन का बखूबी मंचन किया। जिससे आज की युवा पीढ़ी और महिलाओं को सम्बल मिले। इस नाटक में गीत, संगीत व कलाकारों के अभिनय के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों की शहादत को नमन किया।

तत्पश्चात सिंधी संगीत, नृत्य और लोक नाट्य भगत के साथ साथ विविध सांस्कृतिक रंगों से भरपूर एक और नृत्य नाटिका ‘‘सिन्धियत जी खुशबू’’ का रंगारंग मंचन किया गया। जिसका लेखन जाह्नवी रामनानी ने किया है। निर्देशिका जूली तेजवानी के निर्देशन में कलाकारों ने सशक्त संवाद अदायगी, अभिनय व कुशल नृत्यों एवं गीतों के माध्यम से सिंधी संस्कृति से रूबरू कराया। यह नाटिका आज की युवा पीढ़ी को आकर्षित करती है कि अपनी मातृभाषा को कभी नहीं भुलाना चाहिए। सिन्धी गीतों -ओ सुहिणा सिंधी तोखे याद कन्दो इतिहास ....., कोसा कुंअर खणी हलियो भाग खुलिया साईं कंवर राम जा ....., शो न मीठड़ी मूमल मुहिंजी भाजाई छा जाणे सोनारे खां सोना जेवर तोखे डिडस् आणे .., ड्खि जी रात लाडे मुंडियूं... सस् सुहागन वण्योसालियुन चुण्डे चुण्डे खंयो ....गीतों पर कलाकारों ने अलग ही समा बांध दिया।

दोनों नृत्य नाटिकाओं के मध्य अन्तराल में स्थानीय कलाकार नरेन्द्र षोकवानी ने सिंधी में ही स्टेण्ड अप काॅमेडी प्रस्तुत कर दर्षकों को हंसी के ठहाके मारने को मजबूर कर दिया। 

इन नाटिकाओं में जय हीरो, तनिश्क हीरो, गौरव पारवानी, वर्शा अम्बवानी, राकेश करारा, राजेश पुन्सी ने नृत्यों, दिनेष रोहड़ा ने कोरियोग्राफी एवं भारती खत्री, उर्जा तेजवानी, गौरव पारवानी, जयश्री थावानी, नेहा भाटिया ने अभिनय के माध्यम से दर्शकों को बांधे रखा। नाटिकाओं का संचालन वरिष्ठ रंगकर्मी हरीश देवनानी के मार्गदर्शन में रमा आसनानी एवं किशन रामनानी ने किया।

कोरोना काल के बाद, इन रंगारंग सिन्धी गीत-संगीत व लोक नृत्यों की धूम ने, दशकों से खचाखच भरे टाउन हाॅल में युवाओं को झूमने के लिए मजबूर कर दिया। जिसका श्रेय कोरियोग्राफर के साथ साथ पारम्परिक वेषभूशा कोभी दिया जा सकता है। सोसायटी के अध्यक्ष गोविन्द कर्मचन्दानी, विजय भगतानी, महेश संतानी, राजेन्द्र खिलरानी, पूर्व अध्यक्ष अशोक कृपलानी, पूर्व सचिव सुशील मंगलानी, भगवन्ती आईदासानी, रितिका मनवानी, डिंम्पलज्ञानानी, राजकुमार परमानी, किशोर लछवानी, प्रकाश खेमानी, स्मिता थदानी, भावना लालवानी, लता धनवानी, सहित कई रंगप्रेमी उपस्थित थे।

विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर दिनांक 27 मार्च को चैपासनी हाउसिंग बोर्ड स्थित सिन्धु महल में सिन्धी नाटक ‘‘आजादी जे आन्दोलन में सिन्धी संतन जो योगदान’’ का मंचन किया जायेगा।

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