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सतमासा जन्में 840 ग्राम के बच्चे को 58 दिन बाद नसीब हुई माँ की गोद


प्रीमेच्योर नवजात शिशुओं के सफल उपचार में मित्तल हॉस्पिटल के बने नए आयाम

नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ रोमेश गौतम और गायनोकोलॉजिस्ट डॉ मैन्सी जैन ने किया उपचार

प्रीमेच्योर शिशुओंं की मृत्यु दर (मोर्टेलिटी रेट) देश में लगभग 30 प्रतिशत तक है

अजमेर (AJMER MUSKAN)। अजमेर संभाग के नागौर जिला अन्तर्गत मकराना स्थित खीरीशिला ग्राम निवासी मैना जाट और उसके परिवारजन के लिए वह दिन भगवान का प्रसाद पाने सा था, जब उसका सतमासा जन्मा बच्चा 58 दिन तक मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, अजमेर में जीवन और मौत से संघर्ष की जंग लड़कर स्वस्थ घर लौटा। घर में गूंजी बच्चे की किलकारी ने मैना जाट को भगवान का प्रसाद पाने सा आनन्द पहुंचाया। मैना जाट और उसके परिवारजन मित्तल हॉस्पिटल के नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ रोमेश गौतम, गायनोकोलॉजिस्ट डॉ मैन्सी जैन और एनआईसीयू नर्स सिस्टर स्वर्णलता सहित समूचे स्टाफ का बारम्बार धन्यवाद करती नहीं थक रहीं।

अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ने पिछले दिनों में 40 से ज्यादा प्रीमेच्योर शिशुओं का सफल उपचार कर नए आयाम स्थापित किए हैं। देश में प्रीमेच्योर शिशुओं की मृत्यु दर (मोर्टेलिटी रेट) लगभग 30 प्रतिशत तक है। मित्तल हॉस्पिटल में जिन प्रीमेच्योर शिशुओं का इलाज कर जान के जोखिम से बाहर किया गया उनमें अधिकांश 6 से 8 माह की गर्भावस्था में पैदा हुए थे। इन प्रीमेच्योर शिशुओं का औसत वजन 750 -1500 सौ ग्राम था। सामान्य तौर पर स्वस्थ जन्में शिशुओं का वजन ढाई से चार किलो तक होता है।

मित्तल हॉस्पिटल के नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ रोमेश गौतम ने बताया कि मैना जाट के प्रीमेच्योर जन्में बच्चे का वजन जन्म के समय 840 ग्राम था। बच्चे को हॉस्पिटल में 58 दिन तक उपचार प्रदान किया गया। डिस्चार्ज के समय बच्चा पूर्ण स्वस्थ और करीब डेढ़ किलो का हो गया है। उन्होंने बताया कि बच्चे को जन्म के तुरन्त बाद सीपेप पर रखा गया और एक घंटे के अन्तराल में ही बच्चे के फेफड़ों में (सर्फेक्टेंट) दवा डाली गई, साथ ही पहले दिन से ही बच्चे को माँ का दूध यानी टोटल पेरेंटल न्यूट्रिशन दिया गया। उन्होंने बताया कि प्रीमेच्योर बच्चों में वजन कम होने की समस्या बहुत ज्यादा है। टोटल पेरेंटल न्यूट्रिशन बच्चे का वजन कम होने से तो रोकता ही है; साथ ही प्रीमेच्योर शिशु को सीपेप मशीन से जल्दी ही मुक्त करने में भी मददगार होता है।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा प्रीमेच्योर शिशुओं को संक्रमण रहित, वार्म वातावरण में रखना, नवजात पर निरंतर नजर बनाए रखना, बीमारी को पकड़ कर उसका तुरंत उपचार शुरू करना, शिशु के वजन और विकास में अपेक्षित वृद्धि पर बराबर निगरानी रखना प्रमुख होता है। मित्तल हॉस्पिटल में संसाधनों की दृष्टि से नवजात शिशुओं के लिए सभी  अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं, जिससे नवजात शिशु के श्वास, आँख, ब्रेन, हार्ट, कान आदि से संबंधित किसी भी परेशानी की जाँच व उपचार तुरंत संभव हो पाता है। उन्होंने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल ने प्रीमेच्योर शिशुओं के उपचार में नए आयाम स्थापित किए हैं। लगभग 35 से 40 प्रीमेच्योर शिशुओं को सुरक्षित माँ की गोद में घर भेजा गया है।

पल्सलेस और बीपीलेस थी जच्चा..........

हॉस्पिटल की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ मैन्सी जैन ने बताया कि प्रसूता को डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल लाया गया तब वह बहुत गंभीर अवस्था में थी। पल्सलेस व बीपीलेस थी। भर्ती होते हुए वह 6 से 7 माह की गर्भवती थी और मिर्गी के दौरे पड़ रहे थे। प्रसूता की स्थिति को नियंत्रित किया गया और सिजेरियन डिलीवरी कराई गई। प्रसूता को डिलीवरी के पांचवें दिन छुट्टी दे दी गई किन्तु नवजात को अत्यधिक केयर की जरूरत थी।

प्रीमेच्योर के उपचार में नर्सिंग केयर प्रमुख है............

मित्तल हॉस्पिटल के नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ रोमेश गौतम ने बताया कि इस सक्सेस रेट के बहुत से कारक हैं। किन्तु इन सब में नर्सिंग केयर सर्वोच्च है। एनआईसीयू नर्स स्वर्णलता ने बताया कि एनआईसीयू नर्सिंग स्टाफ प्रीमेच्योर शिशुओं का विभिन्न स्तरों पर खास ध्यान रखता है। मैना जाट के नवजात के लिए तो एक स्टाफ डेडीकेटेड रखा गया।

कंगारू केयर के मिले अच्छे परिणाम..............

नवजात शिशुओं को कंगारू मदर केयर दी जाती है। इसके तहत नवजात शिशुओं को माँ की छाती पर चिपका कर बैठाया जाता है। इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं जिसमें बच्चे की ग्रोथ के अलावा माता के दूध में भी बढ़ोत्तरी हुई है।

निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में एक ही छत के नीचे नवजात शिशु से संबंधित सुपरस्पेशियलिटी सेवाओं में नियोनेटोलॉजिस्ट सहित प्रसूति एवं स्त्री रोग तथा बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की वृहद अनुभवी टीम है। इसके अलावा हार्ट, न्यूरो, यूरो, ओंको, नेफ्रो, गैस्ट्रो आदि सभी तरह की सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता के कारण गंभीर अवस्था में पहुंचने वाले मरीजों को पूरी शिद्दत से संभाला जाता है।

ज्ञातव्य है कि मित्तल हॉस्पिटल केंद्र (सीजीएचएस), राज्य सरकार (आरजीएचएस) व रेलवे कर्मचारियों एवं पेंशनर्स, भूतपूर्व सैनिकों (ईसीएचएस), ईएसआईसी द्वारा बीमित कर्मचारियों एवं सभी टीपीए द्वारा उपचार के लिए अधिकृत है।

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