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सिन्धी रंगमंच के भीष्म पितामह कहलाने वाले सुन्दर बुटानी को किया नमन


सिन्धी, मराठी, मारवाड़ी, गुजराती के नाटककार, कलाकार के स्मृति दिवस पर किया नमन             

अजमेर (AJMER MUSKAN)। पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर के तत्वावधान में सिन्धी भाषा, मराठी, गुजराती और मारवाड़ी में नाटककार, कलाकार रंगमंच के भीष्म पितामह माने जाने वाले सुन्दर बुटानी को उनके स्मृति दिवस के अवसर पर नमन किया गया।

इस अवसर पर बाबा हरदयाल दरबार के महंत स्वामी अशोक गाफिल द्वारा बाबा हरदयाल दरबार में गुरू ग्रंथ साहिब में अरदास, नित नेम, आसा-दी-वार, सुखमनी साहिब के अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया गया कि सुन्दर बुटानी ने अनेक नाटकों में काम करके अपनी पहचान बनाई और रंगमंच के भीष्म पितामह कहलाये। अजममेरू सेवा समिति के अध्यक्ष किशोर विधानी ने बताया कि सिन्धी समाज में अनेक कलाकार हुए है इनके कारण विश्व विख्यात सिन्धु धाटी की सभ्यता और संस्कृति को संजोये रखने में सहयोग प्राप्त हुआ है। बाबा हरदयाल दरबार के प्रकाश उदासी ने साहित्यकारों और कलाकारों को सम्मान देने की बात कही। पूज्य सिन्धी पंचायत अजमेर के महासचिव रमेश लालवानी ने बताया कि सुन्दर बुटानी का जन्म 27 सितम्बर 1933 को कराची में हुआ था और निधन 23 जनवरी 2008 को नागपुर में हुआ और बताया कि सुन्दर बुटानी के सिन्धी नाटक याद कन्दा, हिक अजीब दास्तान, हीअ प्यासो मुहिंजो मुंह, फना, राम अंजां बनवास में आहे, सुरी-आ-साद सहित अनेक अन्य पर सिन्धी अकादमीयों एवं अन्य के द्वारा पुरूस्कृत भी किया गया।

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