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अजमेर शहर अब नहाएगा दूधिया रोशनी से, परम्परागत लाईटों की जगह लगेगी एलईडी लाईटें


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
अजमेर शहर की रातों में जगमग लाईट्स एवं दुरुस्ती व्यवस्था की वर्षों पुरानी मांग एडीए पर्ण करने जा रहा है। शहर की परम्परागत लाईटों को 7.65 करोड़ की योजना से शीघ्र ही एलईडी लाईटों में बदला जा रहा है। इससे शहर दूधिया रोशनी में जगमगाएगा।

अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त अक्षय गोदारा ने बताया कि इस योजना के तहत शहर की 9500 पुरानी सोडियम लाईट्स एवं ट्यूबलाईटस इत्यादि परम्परागत लाईटों की हल्की आंधी व बरसात में आए दिन खराब होने की शिकायत रहती है। साथ ही इनका रखरखाव का खर्च भी अधिक आता है। इन्हें एलईडी एवं कॉम्पेक्ट लाईटों में बदला जाएगा। पूर्व में ही एडीए द्वारा प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान एक हजार नई एलईडी लाईटें भी लगाई जा चुकी है।

यहां लगेगी नई लाईट्स

पुष्कर घाटी से पुष्कर तक, एमडीएस तिराहे से जनाना हॉस्पिटल, पुलिस लाईन क्षेत्र एडीए द्वारा विकसित 5 पार्कों एवं नए खेल मैदानों में 1500 नई एलईडी लाईटें विथ पोल लगाई जाएगी। इसके अतिरिक्त प्राधिकरण क्षेत्र में रोड लाईटों से वंचित क्षेत्रों में भी आवश्यकतानुसार एलईडी लाईटें लगाई जाएगी। इनकी सुचारु विद्युत आपूर्ति के लिए 670 ऑक्टागोनल पोल लगाए जाएंगे।

प्रमुख स्थानों पर लगेगी हाईमास्क लाईट

माकड़वाली रोड, बडलिया चौराहा, पुलिस लाईन तथा अन्य प्रमुख स्थानों पर आवश्यकतानुसार हाईमास्क लाईटें लगाई जाएगी।

सहज होगी मॉनिटरिंग

इस लाईट व्यवस्था का नियन्त्रण केन्द्रीकृत तरीके से किया जाएगा। इस कारण कम्प्यूटर एवं मोबाईल के माध्यम से मॉनटरिंग की जा सकेगी। खराब लाईटों की मॉनिटरिंग सीसीएमएस पद्धति से की जाएगी। इससे लाईटें तुरन्त ठीक हो सकेगी। आमजन को बार-बार लाईट खराब होने तथा कम रोशनी की समस्या से निजात मिलेगी।

एडीए को होगी बचत

एडीए द्वारा कार्य की निविदा आमंत्रित कर कार्यादेश जारी कर दिया गया है। इसके तहत् फर्म द्वारा 5 वर्षो तक इन लाईटों का संधारण एवं नई लाईटें लगाने का कार्य भी किया जाएगा। एडीए द्वारा वर्तमान लाईटों के संधारण एवं मरम्मत पर प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ रुपए व्यय किए जाते हैं। वर्तमान रखरखाव के खर्च पर 5 वषों के लिए अजमेर शहर की सम्पूर्ण परम्परागत रोड लाईटें एलईडी लाईटों में परिवर्तित हो जाएगी। इनका रखरखाव खर्च बहुत कम होगा एवं शहर दूधिया रोशनी से अधिक आकर्षक लगेगा। इससे एडीए को भविष्य में वित्तीय बचत भी होगी।


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