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संत महाराज किंकर विठ्ठल रामानुज पुष्कर में, सप्त ऋषि घाट आश्रम में रहेगा तीन दिवसीय प्रवास

महा तीर्थ पुष्कर विठ्ठलमय हो गई


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
अंतरराष्ट्रीय सनातन धर्म संगठन, अखिल भारत जयगुरू संप्रदाय के सर्वाधीश एवं आचार्य तथा ओंकारनाथ मिशन के संस्थापक, भारत के अद्वितीय संत महाराज किंकर विठ्ठल रामानुज ने पुष्कर स्थित सप्त ऋषि घाट आश्रम में मंगल प्रवेश किया। इस दौरान सचिव गजेंद्रसिंह राठौर के सानिध्य में श्रद्धालुओं ने महाराज का भव्य स्वागत किया। महाराज का तीन दिवसीय प्रवास आश्रम में ही रहेगा। उनकी दिव्य उपस्थिति में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराज ने बताया, कि "श्री श्री सीतारामदास ओंकारनाथ देव 17 फरवरी 1992 - 6 दिसंबर 1982  19वीं शताब्दी के भक्ति एवं आध्यात्मिक पथ के प्रकाशमान पुंज थे, वे भारत के  एक अद्वितीय मानवतावादी संत थे। ठाकुर सीतारामदास ओंकारनाथ के रूप में संबोधित, जहां "ओंकार" सर्वोच्च ब्रह्मांडीय ज्ञान का प्रतीक है और सर्वोच्च चेतना प्राप्त करता है, उन्हें कलियुग के दिव्य अवता के रूप में घोषित किया गया था और सनातन धर्म और वैदिक आध्यात्मिक पथ के सिद्धांतों को अनगिनत भक्तों को दिया गया था। दुनिया भर में "हरे कृष्ण हरे राम" के दिव्य जप नाम के लाभ पर सर्वोपरि महत्व को सर्वशक्तिमान "तारक ब्रह्म नाम" के रूप में माना जाता है, यह कलियुग में आत्मा उद्धार का मंत्र,  मोक्ष, एवं जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति का जप माना जाता है !  श्री श्री सीताराम ओंकार नाथ को उनके शिष्य भगवान के अवतार के रूप में मानकर उनकी पूजा करते हैं ! और वास्तव में सभी साधकों के लिए वे अपने शिष्यों के लिए आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मा की सहायता का एक शाश्वत स्रोत हैं, क्योंकि उनके जीवन की भविष्यवाणी 500 साल पहले अच्युतानंद दास की एक पांडुलिपि में की गई थी । सीतारामदास ओंकारनाथ ने भारतीय शास्त्रों के सार को बढ़ावा देने के लिए 150 से अधिक पुस्तकें लिखीं, पूरे भारत में 120 से अधिक मंदिरों और आश्रमों का निर्माण करवाया, बहुत से मंदिरों, मठों की स्थापना की, करोड़ों लोगों को आध्यात्मिक मार्ग में लेकर आए,  भारतवर्ष की विभिन्न प्रांत में संस्कृत गुरुकुल, विद्यालय, चिकित्सा केंद्र स्थापन किये और अपने आध्यात्मिक संगठन अखिल भारत जयगुरु संप्रदाय की स्थापना की । 

अखिल भारत जयगुरू संप्रदाय  के महा सचिव ओंकारनाथ मिशन के सर्व भारतीय अध्यक्ष  प्रियनाथ चट्टोपाध्याय बोले " अनंतश्री ओंकारनाथ देव भारत वर्ष के एक आध्यात्मिक ज्योतिपुंज थे। भारत को चार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से शुरू करके गुलजारीलाल नंदा, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपाई से शुरू करके राष्ट्र नेता राजमाता विजय राजे सिंधिया, चौहान, विधान राय, संत दलाई लामा, श्री श्री आनंद मई मां, पीर विलायत इनायत खान सभी ने महाराज ओंकार नाथ से भेंट कर आशीर्वाद लिया था। महाराज श्री किंकर विठ्ठल रामानुज इसी परंपरा को अंतराष्ट्रीय स्तर तक ले गए । संत शिरोमोंनी महाराज ने सहज क्रिया योग को विश्व प्रसिद्ध स्तर तक पहुंचया । उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय उत्तरकाशी एवं ओंकारेश्वर में तपस्या कर बिताया है । इसके साथ ही उन्होंने मानव जाति के उन्नयन के लिए निरंतर प्रयास किया। " राजस्थान राज्य सचिव राठौर ने सभी को इस पुण्य अवसर में सप्त ऋषि घाट स्थित सीताराम बाबा के आश्रम में आमंत्रित किया। उन्होंने बताया, "अखिल भारत जय गुरु संप्रदाय के सर्वाधिश किंकर विट्ठल रामानुज़ महाराज का पुष्कर ब्रह्मदेव की नगरी में आगमन हुआ यहां पर सप्त ऋषि घाट स्थित भगवान अवतार ठाकुर सीतारामदास ओमकारनाथ देव द्वारा स्थापित पुष्कर मठ में सनातन धर्म पर आधारित तीन दिवसीय अध्यात्म एवं भक्तिमय के साथ-साथ दीक्षा का  कार्यक्रम का आयोजन रखा गया। जिसके अंतर्गत प्रथम दिवस संध्या गुरु महाराज का आगमन तत पश्चात अध्यात्म पर आशीर्वचन एवं सर्वाधीष का स्वागत  आयोजन भी वरिष्ट गुरु परिवारों के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया है  सर्वाधिश श्री किंकर बिट्ठल रामानुज महाराज का आगमन बहुत ही लंबे समय बाद पुष्कर मठ सप्त ऋषि घाट मैं आगमन होने से अखिल भारत जय गुरु संप्रदाय के परिवारों में हर्ष व्याप्त हुआ है।

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