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नवजात शिशुओं को आपातकालीन जोखिमों से सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती - डॉ रोमेश गौतम


नवजात शिशु देखभाल सप्ताह 15 से 21 नवंबर तक

अजमेर (AJMER MUSKAN)। सभी नवजात शिशुओं में बीमारी के ज़ोखिम को कम करने और उनके सतत विकास के लिए जरूरी है कि नवजात को जन्म से 28 दिन तक प्रभावी देखभाल और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिलें। वर्तमान में नवजात शिशुओं को कई आपातकालीन जोखिमों से सुरक्षित और संरक्षित रखना बड़ी चुनौती बन गया है।

पूरे संभाग के चारों जिलों भीलवाड़ा, नागौर, टोंक और अजमेर में से एक मात्र सिर्फ अजमेर के निजी क्षेत्र के मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की सुपरस्पेशियलिटी सेवाओं में शामिल नियोनेटोलॉजिस्ट (नवजात शिशु रोग विशेषज्ञ) डॉ रोमेश गौतम ने मौजूदा कोरोना वायरस और डेंगू वायरल भरे प्रदूषित वातावरण में नवजात शिशुओं की देखभाल पर गहरी चिंता रखते हुए यह कहा।

उल्लेखनीय है कि सोमवार से मित्तल हॉस्पिटल में न्यूबोर्न बेबी केयर वीक आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान नवजात शिशुओं के अनेक अभिभावकों ने नियोनेटोलॉजिस्ट से परामर्श लिया। डॉ रोमेश गौतम ने कहा कि नवजात शिशु देखभाल सप्ताह देश में प्रतिवर्ष 15 से 21 नवंबर 2021 तक मनाया जाता है। इस सप्ताह को मनाने का उद्देश्य नवजात शिशुओं पर दूषित पर्यावरणीय जोखिमों को कम करने और उनके सही विकास के लिए उचित देखभाल के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। 

नवजात को मिले वात्सल्य की गरमाहट.................. 

उन्होंने कहा कि जन्म के समय बच्चे की मूलभूत ज़रूरत वात्सल्य, माँ की गरमाहट, सामान्य श्वास, मां का दूध और संक्रमण की रोकथाम है। ये मूलभूत ज़रूरतें दर्शाती है, कि बच्चे का विकास पूरी तरह से उसकी मां और अन्य देखभाल करने वालों पर निर्भर है। इसलिए जन्म के तुरंत बाद सभी शिशुओं को उचित देखभाल प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ रोमेश गौतम ने कहा कि यह देखभाल कई नवजात शिशुओं में आपातकालीन स्थिति को रोकती है। विशेष तौर पर नवजात शिशुओं की देखभाल में नवजात को तुरंत और अच्छी तरह से पोछना बेहद जरूरी है। मां से नवजात शिशु का त्वचा से त्वचा का संपर्क होना और अधिक महत्व रखता है। जन्म के बाद गर्भनाल दबाना और काटना और सबसे महत्वपूर्ण स्तनपान की तुरंत शुरुआत एवं केवल स्तनपान कराना भविष्य के कई जोखिमों से शिशु को बचाता हैं।

जन्म के पहले हफ्ते में बचा सकते हैं नवजात की मृत्यु..........

डॉ रोमेश गौतम ने बताया कि बच्चे के विकास में नवजात काल की अवधि (जीवन के पहले अठाईस दिन) महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि इस अवधि में बाल्यवस्था के दौरान किसी अन्य अवधि की तुलना में प्रतिदिन मृत्यु का ज़ोखिम अधिक होता है। आजीवन स्वास्थ्य और विकास के लिए जीवन के पहले चार सप्ताह आधारभूत अवधि है। नवजात एवं मातृ सुरक्षा के लिए बच्चे के जन्म से पूर्व, जन्म और जन्म से प्रथम सप्ताह की अवधि सबसे महत्वपूर्ण कहलाती है।

डॉ रोमेश गौतम ने बताया कि पचहत्तर प्रतिशत नवजात शिशुओं की मृत्यु को जन्म और जीवन के पहले सप्ताह के दौरान उपलब्ध प्रभावी स्वास्थ्य उपाय एवं जानकारी से ही रोका जा सकता है। क्यों कि स्वस्थ शिशु स्वस्थ वयस्कों में विकसित होते हैं। 

जरूरी है नवजात के पहले घंटे की देखभाल...................

जो नवजात शिशु जन्म के एक मिनट के बाद अपने आप साँस नहीं ले पाते हैं, उन्हें पॉजीटिव प्रेशर वेंटिलेशन, सेल्फ इन्फ्लेटिग बैंग और मास्क द्वारा साँस दिया जाता है या अन्य वजह से बीमार नवजात शिशुओं जैसे अपरिपक्वया जन्म के समय कम वज़न तथा एचआईवी से संक्रमित या संपर्क या जन्मजात सिफलिस से पीड़ित है। उनका जन्म के समय भार, गर्भकालीन आयु, जन्मजात दोष और नवजात बीमारी के संकेत का सही मूल्यांकन किया जाना काफी अहमियत रखता है। जीवन के पहले घंटे के बाद नवजात शिशुओं को आंखों की देखभाल, विटामिन और अनुशंसित टीकाकरण (ओपीवी जन्म टीका और हेपेटाइटिस बी टीका, बीसीजी) मिलना भी महत्वपूर्ण है। 

नवजात मृत्यु के मुख्य कारण हैंः

प्रीमेच्योर

जन्म के दौरान जटिलताएं

गंभीर नवजात संक्रमण

जन्मजात विकृतियां

सेप्सिस

जन्म श्वासरोध आदि

नवजात मृत्यु दर और मृत जन्म दर को एक अंक में लाना लक्ष्य..........

भारतीय नवजात कार्य योजना (आईएनएपी) का उद्देश्य नवजात शिशुओं की मृत्यु और मृत जन्म की रोकथाम को महत्वपूर्ण ढंग से कम करना तथा  वर्ष 2030 तक नवजात मृत्यु दर और मृत जन्म दर को एक अंक में लाना हैं। इसके तहत गर्भाधान पूर्व और जन्म पूर्व देखभाल, प्रसव और बच्चे के जन्म के दौरान देखभाल, तुरंत नवजात देखभाल, स्वस्थ नवजात की देखभाल, अल्प विकसित और बीमार नवजात की देखभाल तथा नवजात की जीवित रहने के आगे की देखभाल प्रमुख हैं।

करने होंगे विशिष्ट प्रयास................

डॉ रोमेश गौतम ने कहा कि यदि हम वर्ष 2030 तक नवजात मृत्यु दर 1000 जन्में बच्चों में 10 या उससे कम करना चाहते हैं, तो हमें स्वस्थ पर्यावरण बनाए रखने के लिए सामूहिक तौर पर विशिष्ट प्रयास करने हांगे।

नवजात शिशु एवं बाल रोग विभाग में है दक्ष चिकित्सकों की टीम................

निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि मित्तल हॉस्पिटल में सुपरस्पेशियलिटी सेवाओं में नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ रोमेश गौतम की उपलब्धता के साथ हॉस्पिटल के प्रसूति, शिशु एवं बाल रोग विभाग में कुशल और दक्ष चिकित्सकों की पूरी टीम पीड़ितों की देखभाल में सतत संलग्न है। हॉस्पिटल में 15 से 21 नवम्बर तक आयोजित न्यूबोर्न बेबी केयर वीक के तहत पंजीकृत रोगियों को निर्देशित जांचों पर 25 प्रतिशत तथा ऑपरेशन व प्रोसीजर्स पर 10 प्रतिशत की छूट शिविर से सात दिवस तक दी जाएगी। 

उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में कोरोना प्रोटोकॉल का पूर्ण पालन किया जा रहा है। हॉस्पिटल में प्रवेश से पूर्व स्क्रीनिंग, सोशल डिस्टेसिंग की पालना, मास्क की अनिवार्यता तथा सैनिटाईजेशन नियमों की पूर्ण पालना की जा रही है।

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