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सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक करवा चौथ रविवार को

पति की लंबी उम्र की कामना के साथ रखा जाने वाला करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक महीने के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है. इस साल यह व्रत 24 अक्‍टूबर को रखा जाएगा।


अजयनगर पिपलेश्वर महादेव मंदिर के उपासक पं.राजू महाराज
ने बताया कि इस दिन महिलाएं पूरे दिन ‘निर्जला’ (बिना पानी) और ‘निराहार’ (बिना भोजन) व्रत रखती हैं, फिर व्रत रखने वाली महिलाएं चंद्रमा को देखती हैं, जिसके बाद पूजा की जाती है. इसके बाद महिलाएं व्रत का समापन करने के लिए पानी पीती हैं. इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए करती है

करवा चौथ व्रत में चंद्रमा दर्शन का अति महत्व होता है. बिना चंद्र दर्शन के यह व्रत अधूरा माना जाता है। 

पंचांग के अनुसार, इस दिन चंद्रमा का उदय अजमेर में रात्रि- 08 बजकर 255मिनट पर होगा।

नानक गजवानी ने करवा चौथ का महत्व बताते हुए बताया कि कहा जाता है कि प्राचीन काल में जब पुरुष अपने घर से कई महीनों और वर्षों के लिए व्यापार या युद्ध के लिए जाते थे तब महिलाएं घर पर रहकर अपने पतियों के लिए विशेष पूजा करती थीं. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर महिलाएं करवा माता, भगवान शिव, गणेश और कार्तिकेय की पूजा करने के बाद व्रत करने का संकल्प लेती हैं.

करवा चौथ के दिन व्रत करने वाली महिलाएं कई नियमों का पालन सख्ती से करती हैं. करवा चौथ पर मंगलसूत्र का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है मंगलसूत्र पति के जीवन की रक्षा करता है और उन पर आने वाले सभी संकटों को दूर करता है।

ऐसे करें करवा चौथ का व्रत-पूजा

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्‍नान करके सरगी खाएं और फिर भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत रखने का संकल्‍प लें. शाम को शुभ मुहूर्त में भगवान की पूजा करें. इसके लिए मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें और करवा रखें. फिर विधि-विधान से पूजा करें. करवा चौथ की कथा पढ़ें. चंद्रमा निकलते ही चांद को छलनी से देखें, उसे अर्ध्‍य चढ़ाएं. इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें. साथ ही अपनी सास का आशीर्वाद लें।

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