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सिन्धी नाटकों में सिन्धियत और गांधी दर्शन पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित


जोधपुर (AJMER MUSKAN)।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आज जोधपुर की सिन्धी कल्चरल सोसाइटी और राजस्थान सिन्धी अकादेमी, जयपुर की ओर से "सिन्धी नाटकों में सिन्धियत और गाँधी दर्शन "विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन ऑनलाइन ज़ूम,  फेसबुक,  यूट्यूब पर किया गया, जिसमें देश के प्रमुख 14 सिन्धी लेखकों ने अपने विचार रखे।  देश के अन्य लेखकों, सामाजिक संस्थाओं और विचार मंचों से जुड़े 200 से अधिक दर्शकों के साथ साझा किए ।


वेबिनार के संयोजक और प्रमुख सिन्धी लेखक तथा सिन्धी कल्चरल सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष हरीश देवनानी ने बताया कि वेबिनार के मार्गदर्शक मीरा पुरुस्कार के विजेता भगवान अटलानी  थे जबकि मुख्य वक्ता राष्ट्रीय सिन्धी भाषा विकास परिषद के पूर्व निदेशक और जाने माने सिन्धी लेखक अहमदाबाद के डॉ जेठो लालवानी थे ।

सभी वक्ताओं ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सिन्धी संस्कृति में गांधी दर्शन रचा बसा है, इसलिए सिन्धी नाटकों में सत्य,अहिंसा,करुणा, सहकार की भावना का वर्णन किरदारों के माध्यम से हुआ है । कहा गया कि नाटक जीवन पर सीधा असर डालते हैं जिसका उदाहरण यह है कि महात्मा गांधी ने अपने बचपन में जो राजा हरिश्चन्द्र नाटक देखा था उससे उनके मन में सत्य के प्रति जो समर्पण बना वो उनके जीवन दर्शन का प्रमुख आधार हैं ।

वेबिनार में भोपाल से अशोक बुलानी,नागपुर से किशोर लालवानी, गांधीधाम से महेश खिलवानी, जयपुर से सुरेश सिन्धु, कोटा से किशन रतनानी, बीकानेर से सुरेश हिंदुस्तानी, अजमेर से डॉ सुरेश बबलानी, मुम्बई से सोनू चौधरी, नई दिल्ली से शंकर मूलवानी व अनिता शिवनानी, जोधपुर से गोविंद करमचंदानी ने अपने विचार रखे । 

सभी वक्ताओं द्वारा यह बताया गया की सिंधी नाटकों में सिंधियत का पूर्ण रूप से समावेश किया जाता रहा है तथा साथ ही गांधी जी के विचारों का भी समावेश किया जाता रहा है तथा सिंधी समाज एवं गांधी जी के विचारों में काफी समानता  पाई जाती है कुछ वक्ताओं द्वारा इस बात पर जोर दिया गया कि नई पीढ़ी को सिंधी भाषा एवं संस्कृति का प्रसार करने हेतु प्रेरित किया जाए तथा नाटकों में नए कलाकारों को जोड़ा जाए एवं नए नाटक लिखे जाएं अंत में सोसायटी के सचिव विजय भक्तानी ने वेबीनार में सहयोग करने के लिए सभी रंग कर्मियों का आभार व्यक्त  किया. 

अंत में खुली चर्चा में भी भाग लिया जिनमें रोमा चांदवानी, वासुदेव मोटवानी सुशील मंगलानी, आरती मंगलानी, रमेश रंगानी, सूंदर मटाई,  महेश संतानी,  अशोक कृपलानी,  राजकुमार परमानी, विरमल हेमनानी प्रमुख थे, तकनिकी सहयोग जोधपुर कि शिक्षविद रमा आसनानी तथा नागपुर के जय बेलनी का रहा।

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