जयपुर के 19 स्टाम्प वैंडरों के लाइसेन्स निरस्त, एफआईआर दर्ज होगी
44 कार्मिकों की कारण बतायो नोटिस
पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग गंभीरता से कर रहा कार्यवाही
अजमेर (AJMER MUSKAN)। ई-ग्रास चालान का दुरूपयोग कर बिना शुल्क चुकाए दस्तावेजों का पंजीयन कराने के मामले में पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग ने बड़ी कार्यवाही की है। दस्तावेजों के सत्यापन में लापरवाही करने पर तीन सब रजिस्ट्रार को कार्यमुक्त कर राजस्व मंडल भेज दिया गया है। गड़बड़ी करने वाले 19 स्टाम्प वैडंरों के लाइसेंस निरस्त कर एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। लापरवाही करने वाले 7 लिपिकों को एपीओ करने के साथ ही 44 कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के महानिरीक्षक महावीर प्रसाद ने बताया कि ई-ग्रास चालानों का दुरूपयोग कर बिना शुल्क चुकाए दस्तावेजों का पंजीयन कराने के मामले में यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि विभाग की जानकारी में आया था कि पहले से ही उपयोग में लिए जा चुके चालान को दस्तावेज के पंजीयन के लिए पुनः उपयोग में लिया गया है। सूचना को गम्भीरता से लेकर उसी दिन एनआईसी एवम् ई ग्रास की तकनीकी टीम के साथ बैठक कर उन्हें ई पंजीयन एवं ई ग्रास में अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करने तथा पुनः उपयोग में लिए गए चालानों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। एनआईसी द्वारा 913 ऎसे दस्तावेजों की सूची उपलब्ध करवायी गई जिनमें पहले से ही उपयोग में लिए गए चालानों के पुनः उपयोग की आशंका थी। विभाग द्वारा इन मामलों में राजस्व अपवंचना का पता लगाने के लिए मुख्यालय स्तर पर एक कमेटी का गठन कर इन मामलों का परीक्षण कराया गया। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार कुल 17 उप पंजीयक कार्यालयों से संबंधित 676 दस्तावेजों में 7.94 करोड़ रूपए की राजस्व अपवंचना लक्षित हुई।
उन्होंने बताया कि इन प्रकरणों को संबंधित उप महानिरीक्षकों को भिजवा कर दस्तावेजों की कार्यालय प्रतियों से जांच करने के निर्देश दिए गए तथा राजस्व अपवंचना पाए जाने की स्थिति में वसूली करने, मामले में आपराधिक कृत्य पाए जाने पर प्रकरण दर्ज कराने तथा विभागीय स्तर पर लापरवाही पाए जाने पर संबंधित के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही के प्रस्ताव मुख्यालय को प्रेषित करने के निर्देश दिए गए। उप महानिरीक्षक गण से प्राप्त सूचना के अनुसार उपरोक्त 676 प्रकरणों में से 11 प्रकरणों में राशि जमा होने का सत्यापन हो गया है। शेष 665 प्रकरणों में से 218 प्रकरणों में पक्षकारों द्वारा रूपए 2.28 करोड़ जमा करवाए जा चुके हैं तथा 447 प्रकरणों में रूपए 5.64 करोड़ वसूली शेष है।
मामले की गम्भीरता को देखते हुए विभाग द्वारा मुख्यालय स्तर पर भी एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर उक्त मामलों में राजस्व अपवंचना के कारणों, तकनीकी कमी या प्रणालीगत त्रुटि या मानवीय लापरवाही इत्यादि को चिन्हित करने का निर्देश दिया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि कतिपय स्टाम्प वेण्डरों द्वारा कोषालय से स्टाम्प क्रय करने के लिए उपयोग में लिए गए चालानों को कूटरचित करके दस्तावेजों के पंजीयन के लिए पुनः उपयोग में लिया गया है। वहीं संबंधित उप पंजीयक, पंजीयन लिपिक एवं अन्य स्टाफ ने राज्य सरकार और विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों की अवहेलना कर चालानों का ई ग्रास साईट से सत्यापन किए बिना ही लापरवाही पूर्वक दस्तावेजों का पंजीयन किया है। यदि चालानों का सत्यापन किया जाता और समय पर अंक मिलान किया जाता तो ऎसे कूटरचित चालानों के पुनः उपयोग को रोका जा सकता था।
विभाग ने उप पंजीयक कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही पाए जाने और अपवंचना चिन्हित होने के बावजूद भी वसूली के सार्थक प्रयास नहीं करने और चालानों के दुरूपयोग और कूटरचना के लिए दोषियों के विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही करने में विलम्ब के कारण उप पंजीयक जयपुर (पंचम) साधना शर्मा, उप पंजीयक जयपुर (दशम) राजीव बड़गूजर तथा कार्यवाहक उप पंजीयक जयपुर (द्वितीय) सविता शर्मा को तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त कर दिया है। तत्कालीन पंजीयन लिपिक बाबूलाल मीणा, सुशील कुमार शर्मा, बलबीर सिंह धायल, अनुपम सिंह, अशोक कुमार उपे्रती, दीपक हिंगोनिया तथा श्यामलाल कुमावत को एपीओ कर मुख्यालय बदला गया है। वहीं 44 पंजियकों, पंजीयक लिपिकों एवं अन्य संबंधित कार्मिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जिस पर बाद जांच नियमानुसार कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
उन्होंने बताया कि उप महानिरीक्षक जयपुर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय द्वारा ऎसे 19 स्टाम्प वेण्डरों, जिनके उपयोग में लिए गए चालानों का दस्तावेजों के पंजीयन में कूटरचित कर पुनः उपयोग किया गया है, के लाईसेन्स निरस्त किए गए हैं। उनके विरूद्ध कूटरचना के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवायी गयी है। अन्य उप महानिरीक्षकों द्वारा भी ऎसे मामलों में लाईसेन्स निरस्तीकरण और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने की कार्यवाही की जा रही है। विभाग ने ऎसे पीड़ित लोगों, जिनके दस्तावेजों में कूटरचित चालानों का उपयोग किया गया है, से अनुरोध किया है कि वे आगे आकर पुलिस को उन व्यक्तियों के नाम और पहचान बताएं जिनके माध्यम से उन्होंने चालान बनवाए हैं एवं दस्तावेज पंजीबद्ध करवाए हैं। ताकि अपराधियों के विरूद्ध शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही हो सके।
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