अजमेर (AJMER MUSKAN)। हेलमेट प्रोत्साहन, शिक्षा, जागरूकता एवं अनिवार्यता अभियान के अन्तर्गत राजस्थान सड़क सुरक्षा सोसायटी, आवास फाउण्डेशन, राजस्थान पुलिस, परिवहन विभाग, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, अजमेर विकास प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में सड़क सुरक्षा एवं कोरोना अग्रदूत प्रशिक्षण कार्यक्रम शनिवार को जवाहर रंगमंच में आयोजित हुआ। इस प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रशिणार्थियों को हेलमेट वितरित किए गए।
पुलिस अधीक्षक जगदीश चन्द्र शर्मा ने कार्यक्रम में कहा कि सड़क सुरक्षा अनुकूल व्यवहार अपनाए जाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में सड़क सुरक्षा के संबंध में प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण के पश्चात समस्त व्यक्तियों को सड़क सुरक्षा अग्रदूत के रूप में कार्य करना चाहिए। सड़क सुरक्षा अनुकूल व्यवहार अपनाना चाहिए। इसके साथ साथ अन्य व्यक्तियों को भी इसके लिए भी प्रेरित किया जाए। समय के साथ वाहनों की संख्या तथा जनसंख्या में वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप दुर्घटनाओं के आंकड़े भी बढ़े है। यह चिंता का विषय है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए सड़क का उपयोग करने वालों को सड़क सुरक्षा अनुकूल व्यवहार अपनाना होगा। पुलिसकर्मियों सहित किसी भी सरकारी कार्मिक को हेलमेट के संबंध में विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। सभी को हेलमेट का उपयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिए। सोसायटी के सलाहाकार वीरेन्द्र सिंह राठौड़ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्हें सड़क सुरक्षा महादूत की संज्ञा दी।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य निर्मल जैन ने कहा कि अजमेर में आयोजित इस कार्यक्रम के संबंध में केन्द्रीय मंत्री नीतिन गडगरी को अवगत कराया जाएगा। अतिरिक्त संभागीय आयुक्त गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि सड़क सुरक्षा अग्रदूत यातायात नियमों का संदेश जन-जन तक पहुंचाएंगे। ये अग्रदूत वाहन चालकों के प्राण बचाकर देवदूत बन सकते है। प्रकृति ने सभी प्राणियों को सुरक्षा उपकरण प्रदान किए है। ये उपकरण कृत्रिम वातावरण में कम प्रभावी हो जाते है। इसी कारण हेलमेट और सीट बेल्ट जैसे सुरक्षा उपकरणों की आवश्यकता रहती है।
जिला परिवहन अधिकारी राजीव शर्मा ने कहा कि सड़क सुरक्षा अग्रदूतों का उत्तरदायित्व अन्य व्यक्तियों को प्रशिक्षत करना है। पार्थ शर्मा ने कहा कि वाहन दुर्घटना से व्यक्ति कुछ ही पलों में काल कलवित हो जाता हैं। यातायात नियमों का पालना करने से कई दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है। यातायात एवं वाहन नियमों की जानकारी विद्यार्थियों को देने से अगली पीढ़ी जागरूक होगी। इस कार्य में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.एस.जोधा ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। समाज के सभी व्यक्तियों ने मिलकर इसका मुकाबला किया। कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने वाले व्यक्तियों को अपेक्षाकृत कम नुकसान हुआ। बुखार, जुकाम, दस्त एवं खांसी जैसे लक्षण कोरोना के हो सकते है। ऎसी परिस्थितियों में चिकित्सक की सलाह लेकर आइसोलेशन में रहना चाहिए। आवास फाउन्डेशन के अवधेश जोशी ने कहा कि किसी भी सभ्य समाज के नागरिकों से अनुशासन की अपेक्षा की जाती है। नागरिकों का अनुशासन साफ-सफाई तथा यातायात नियमों की पालना में झलकता है।
राजस्थान सड़क सुरक्षा सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. भरत सिंह गहलोत ने कहा कि सोसायटी सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने एवं सुरक्षित सड़क संस्कृति विकसित करने की दिशा में कार्यरत है। अब तक 4 हजार से अधिक सड़क सुरक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से 6 लाख से अधिक व्यक्तियों को सड़क सुरक्षा के प्रति शिक्षित एवं जागरूक किया गया है। सोसायटी और स्टीलबर्ड कम्पनी के मध्य हुए एमओयू के अनुसार दो घण्टे का सड़क सुरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त कर सड़क सुरक्षा अग्रदूत बनने वालों को आधी से भी कम कीमत पर हेलमेट प्रदान किए जाने की योजना बनायी गई। अब तक 36 हजार व्यक्ति इससे लाभान्वित हुए है। शनिवार के प्रशिक्षण में 300 व्यक्तियों को 1800 रूपए का वाटर ट्रांसपे्रन्ट ग्लोसी सफेद कलर का हेलमेट 250 रूपए की नाम मात्र की राशि पर दिया गया।
राजस्थान सड़क सुरक्षा सोसायटी के सलाहाकार वीरेन्द्र सिंह राठौड़ ने अग्रदूतों को प्रशिक्षण प्रदान किया। इसमें सड़क, वाहन एवं उपयोगकर्ता की सुरक्षा को केन्द्र में रखा गया है। घर से सुरक्षित निकले-घर पर सुरक्षित पहुंचे के आदर्श को साकार करने के लिए सड़क सुरक्षा चक्र अपनाए जाने की आवश्यकता है। नए मोटर वाहन अधिनियम में घटिया क्वालिटी का हेलमेट बनाने पर 2 लाख, बेचने पर एक लाख तथा उपयोग करने पर एक हजार का जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है। इलेक्ट्रोनिक मोनेटेरिंग सिस्टम में परिवहन एवं यातायात से जुड़े व्यक्तियों पर दो गुना जुर्माना लगाया जाएगा। सड़क में गड्ढ़ा होने पर सड़क बनाने वालों पर भी एक लाख रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। सरकार द्वारा अधिकतम गति सीमा का निर्धारण सड़क की श्रेणी एवं वाहन की क्षमता के अनुसार किया गया है।
उन्होंने बताया कि वाहन चालक को अपना ड्राईविंग लाईसेन्स, वाहन बीमा, फिटनेस प्रमाण पत्र, आरसी, प्रदूषण का प्रमाण पत्र साथ रखना चाहिए। जीवन रक्षक योजना के अंतर्गत सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की सहायता करने वालों को 5000 रूपए की प्रोत्साहन राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
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