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आजादी का अमृत महोत्सव : ऑनलाईन संगोष्ठी का हुआ आयोजन


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर जिला परिषद के द्वारा गांधी जीवन दर्शन समिति के माध्यम से ऑनलाईन संगोष्ठी एवं वेबीनार का आयोजन किया गया।

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. गौरव सैनी ने बताया कि आजादी का अमृत महोत्सव तथा महात्मा गांधी के 150 वे वर्ष के उपलक्ष्य में ऑनलाईन वेबीनार एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति का सक्रिय सहयोग रहा।  अगस्त क्रांति की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि साम्राज्यवाद से मुक्ति का प्रयत्न रही। यह क्रांति राष्ट्रीयता की भावना को जनमानस तक पहुंचाने में मददगार रही। आज भी हमें उस भावना को जीवित रखते हुए राष्ट्रीयता की भावना आने वाली पीढ़ियों में प्रगाढ़ करनी है।

पूर्व विधायक एवं गांधी जीवन दर्शन समिति के संयोजक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने कहा कि महात्मा गांधी ने हमें स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया। यह आज के समय की विशेष आवश्यकता है। हमें गुलामी के हलवे से अधिक आजादी के चने खाना बेहतर लगता है। आजादी प्राप्ति की ऊर्जा को हमें आजादी संरक्षण एवं आजादी उत्थान के लिए उपयोग में लेना होगा। हमें अहिंसात्मक तरीके से अब एक नया युद्ध लड़ना होगा। नई ऊर्जा लेकर यह युद्ध बीमारियों, अशिक्षा एवं बेरोजगारी के साथ होगा। आजादी के अमृत महोत्सव एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

सेमिनार में एम.एल. अग्रवाल ने युवा वर्ग में ऊर्जा का उपयोग न्याय की परिकल्पना के लिए करने पर बल देते हुए सामाजिक न्याय एवं सामुदायिक जीवन शैली में शुचिता के लिए परिश्रम को महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम के सूत्रधार डॉ. राकेश कटारा ने युवा वर्ग को खादी को आधुनिक परिवेश में धारण करने के लिए फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में कार्य करने की आवश्यकता बताई। नोडल अधिकारी रामविलास जांगिड़ ने अमृत महोत्सव के अंतर्गत जिला प्रशासन द्वारा करवाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के संदर्भ में रूपरेखा प्रस्तुत की।

प्रधानाचार्य डॉ. विनोद टेकचंदानी द्वारा बताया गया कि अगस्त क्रांति ने भारतीय स्वतंत्रता की पृष्ठभूमि तैयार कर दी। इस विचारधारा को हमें अब निरंतर बनाए रखना है। डॉ. हरीश बेरी ने कहा कि अगस्त क्रांति के दौरान अजमेर, ब्यावर, केकड़ी आदि क्षेत्रों से 37 स्वतंत्रता सेनानियों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान 1 अप्रैल 1942 को 61 लोगों को और बंदी बनाया गया।

इस अवसर पर जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुरारी लाल वर्मा, जिले के समस्त विकास अधिकारी, सरपंच, वार्ड पंच एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ  सौरभ बजाड़, मुकेश जैन, विष्णु चौधरी, राजेश शर्मा, मनीष साहू, संतोष सामरिया, सुरेंद्र सिंह, मधु माहेश्वरी भी उपस्थित थे।

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