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अल्सीरेटिव कोलाइटिस ऑपरेशन अब अजमेर में संभव


मित्तल हॉस्पिटल के गेस्ट्रो एंड लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ एस पी जिन्दल ने पीड़ित युवती का किया सफल ऑपरेशन

अजमेर (AJMER MUSKAN)। आंतों में सूजन और अल्सर (अल्सीरेटिव कोलाइटिस) रोग से पीड़ित 23 वर्षीय युवती का अजमेर के मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में सफल उपचार किया गया। हॉस्पिटल के गेस्ट्रो एंड लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ एस पी जिन्दल ने बेहद जटिल ऑपरेशन कर युवती के रोग का निदान किया। युवती को खूनी दस्त होने की शिकायत पर मित्तल हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। जांच में युवती को गंभीर अल्सीरेटिव कोलाइटिस से पीड़ित पाया गया। दवाओं से उपचार के बाद भी राहत ना होने पर ऑपरेशन करने का निर्णय किया गया।

डॉ एस पी जिन्दल ने बताया कि अल्सीरेटिव कोलाइटिस रोग पीड़ित मरीज की ऑतों में सूजन और अल्सर हो जाते हैं, जिससे आंत गलने लगती है और उससे खून स्राव होता रहता है। उन्होंने बताया कि सामान्यतः  इस बीमारी में दवाइयों से आराम आ जाता है, फिर भी 10 से 20 प्रतिशत मामलों में ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है। डॉ एस पी जिन्दल ने बताया कि अल्सीरेटिव कोलाइटिस का ऑपरेशन बड़ी जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए कुशल गैस्ट्रो सर्जन की जरूरत होती है। ऑपरेशन दो या तीन स्टेज में होता है। मरीज की पूरी बड़ी आंत तथा मलद्वार को निकाला जाता है तथा छोटी आंत की थैली बनाकर गुदाद्वार से जोड़ा जाता है। ऑपरेशन के बाद मरीज को खूनी दस्त बंद हो जाते हैं तथा भविष्य में कैंसर की संभावना भी खत्म हो जाती है।

गौरतलब है कि इस तरह की जटिल सर्जरी के लिए पूर्व में मरीजों को अजमेर से बाहर महानगरों में जाना होता था। मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर में सुपरस्पेशियलिटी गैस्ट्रोसर्जन की उपलब्धता होने से आंत, लीवर, पैंक्रियाज इत्यादि के जटिल ऑपरेशन अजमेर में ही संभव होने लगे हैं, जिससे मरीजों के धन और समय दोनों की ही बचत होती है।

डॉ एस पी जिन्दल ने बताया कि युवती को प्रारंभिक स्तर पर मित्तल हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएण्ट्रोलॉजिस्ट डॉ मनोज कुमार द्वारा दवाओं के माध्यम से रोग निदान का प्रयास शुरू किया गया था, उपचार के पश्चात भी अपेक्षित सुधार नहीं दिखने, रोगी का हीमोग्लोबिन कम होते जाने, पेट फूलना शुरू होने आदि हालत दिन प्रतिदिन गंभीर होने पर रोगी के घरवालों के साथ बैठकर निर्णय किया गया। परिवारजनों की सहमति मिलने पर ही सर्जरी प्लान की गई। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद अब मरीज की हालत स्थिर है तथा हॉस्पिटल से छुट्टी दी जा चुकी है।

निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि हॉस्पिटल के कुशल एवं दक्ष सुपरस्पेशियलिटी चिकित्सकों की टीम कोरोनाकाल में भी हार्ट, न्यूरो, नेफ्रो, यूरो, ओंको, गैस्ट्रो आदि रोगों से पीड़ितों को निदान देने में पूरी शिद्दत से जुटी हुई है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में ही अनेक जटिल से जटिल ऑपरेशन मित्तल हॉस्पिटल में किए जाकर रोगियों को निदान दिया गया है। हॉस्पिटल में राज्य सरकार की चिंरजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना एवं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) आदि योजनाओं के अर्न्तगत भी कई रोगियों को स्वास्थ्य लाभ पहुंचा है। रोगियों के प्रवेश लेकर हॉस्पिटल से छुट्टी दिए जाने तक कोरोना गाइडलाइन का पूरी सतर्कता व सजगता से पालन किया जा रहा है।

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