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अतिरिक्त जिला कलेक्टर्स की दो दिवसीय निर्णय लेखन कार्यशाला का शुभारंभ


पीठासीन अधिकारी प्रकरण निस्तारण हेतु पूर्ण क्षमता से प्रयास करें - राजेश्वर सिंह


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
राजस्व मंडल अध्यक्ष राजेश्वर सिंह ने कहा कि राज्य राजस्व अदालतों के दायित्वों के बेहतरीन निर्वहन के लिए अधिकारियों को अपनी श्रेष्ठ कार्य व बौद्धिक क्षमता का परिचय देते हुए अपने दीर्घ अनुभव को कार्य व्यवहार में लाने की महती आवश्यकता है।

सिंह गुरुवार को अजमेर के राजस्व अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान सभागार में अतिरिक्त जिला कलेक्टर्स की दो दिवसीय राज्य स्तरीय राजस्व निर्णय लेखन कार्यशाला के शुभारंभ सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे।

कार्यशाला में राज्य के विभिन्न जिलों से अतिरिक्त जिला कलेक्टर्स सहित समकक्ष स्तर के राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भाग ले रहे हैं। राजस्व अदालतों की महत्ता प्रतिपादित करते हुए मंडल अध्यक्ष ने कहा कि राज्य की राजस्व अदालतों में बड़ी संख्या में प्रकरण लंबित हैं ऐसे में हम सभी का साझा दायित्व बनता है कि लंबित पत्रावलियों के त्वरित निस्तारण के लिए हम हरसंभव प्रयास करें।

उन्होंने कहा कि राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों को वाद निस्तारण के लिए कार्य अनुशासन स्थापित करना होगा। उन्हें अपने दैनंदिन प्रशासनिक दायित्वों के साथ-साथ न्यायालयी कार्यों के निस्तारण को भी पूरा समय देने की आवश्यकता है। उन्होंने न्याय के लिए प्रतीक्षारत साधारण व गरीब वर्ग को त्वरित राहत प्रदान करने के लिए अधिकारी वर्ग से करुणा, सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार के साथ-साथ संवेदनशीलता के साथ कार्य निष्पादन की बात कही। उन्होंने अतिरिक्त जिला कलेक्टर्स को प्रशासन का मेरुदंड बताते हुए कहा कि वे लोक कल्याण व सार्वजनिक हित को ध्यान में रखकर न्याय से वंचित वर्ग को त्वरित न्याय को सर्वोच्च ध्येय बनाकर कार्य करें।

राजस्व मंडल अध्यक्ष ने कहा कि राजस्व न्यायालयों में भ्रष्ट आचरण को प्रभावी रूप से समाप्त करने की दिशा में राजस्व मंडल गंभीरता से कार्य कर रहा है। श्रेष्ठ गुणवत्ता, समर्पित एवं संवेदनशील होकर कार्य करने वाले अधिकारियों को सम्मानित करने व विधि विरुद्ध कार्य करने पर दंड के समुचित प्रावधान अमल में लाए जाएंगे।

उद्घाटन सत्र में राजस्व मंडल के निबंधक बाबूलाल मीणा ने कहा कि राजस्व मंडल के समक्ष आने वाली पत्रावलियों में उचित लेखन, दस्तावेजों की पूर्ति एवं विधिसम्मत आधार नहीं मिलने से प्रकरण अनावश्यक लंबित होते हैं, जिसका खामियाजा गरीब काश्तकार वर्ग को उठाना पड़ता है। उन्होंने राज्य की अधीनस्थ राजस्व अदालतों में 4:30 लाख से अधिक प्रकरण लंबित होने को चिंतनीय बताया और कहा कि त्वरित न्याय के लिए हमें हरसंभव सकारात्मक प्रयास करने होंगे।

कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत उद्बोधन में आरआरटीआई निदेशक आशुतोष गुप्ता ने कहा कि राज्य में निर्णय लेखन के वृहद स्तरीय प्रशिक्षण विषय विशेषज्ञों के माध्यम से दिया जाना नवाचारी कदम है इसके दूरगामी परिणाम आएंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन गांवों के संग कार्यक्रम से पूर्व अधिकारी वर्ग पूर्ण मुस्तैदी से पत्रावलियों की पूर्ति कर लें जिससे सरकार की मंशा के अनुरूप शिविरों की सार्थकता सिद्ध हो सके। कार्यक्रम का संयोजन आरआरटीआई की मुख्य लेखाधिकारी कोमल चौधरी ने किया।

कार्यक्रम में अतिरिक्त जिला कलेक्टर्स में कोटा से महेंद्र लोढ़ा, डीडवाना से रिछपाल सिंह, चित्तौड़गढ़ से रतन कुमार स्वामी, सुजानगढ़  से अनिल कुमार, अजमेर से कैलाश चंद शर्मा, उदयपुर से ओपी बुनकर, सीकर से धारा सिंह मीणा, करौली से परसराम मीणा, भिवाड़ी से खजान सिंह, डूंगरपुर से किशनपाल सिंह चौहान, बिसलपुर पुनर्वास देवली से प्रभाती लाल जाट, पाली से राधेश्याम,  नोहर से भागीरथ साख, बांसवाड़ा नरेश बुनकर, झुंझुनू से जगदीश प्रसाद, बीकानेर से बलदेव राम, जैसलमेर युआईटी सचिव सुनीता चौधरी, नगर विकास प्रन्यास सचिव गंगानगर डॉ. हरीतिमा, उपमहानिरीक्षक पंजीयन में भीलवाड़ा से एम आर बागड़िया, बाड़मेर से सुरेंद्र सिंह मीणा, जयपुर रीपा के निदेशक ओपी बिश्नोई, देवगढ़ उपखंड अधिकारी चंद्र प्रकाश वर्मा, धौलपुर उपखंड अधिकारी ललित मीणा सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

पहले दिन विविध सत्रों में राजस्व मंडल के सदस्य सुरेंद्र कुमार पुरोहित व वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने न्यायालय संचालन के विधिक पक्षों एवं महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

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