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स्मार्ट सिटी : टोमल मशीन से कचरे का किया जाएगा सेग्रीगेशन

स्मार्ट सिटी : टोमल मशीन से कचरे का किया जाएगा सेग्रीगेशन


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
शहर को लिगेसी वेस्ट पुराना एवं प्रत्यक्त कूड़ा से निजात मिलेगी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत माखुपुरा ट्रेचिंग ग्राउंड पर 3 लाख 60 हजार क्यूबिक मीटर कचरा साफ करने का प्लांट लगाया जा रहा है। इस प्लांट के लिए टोमल मशीन आ गई है और इसके इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। इस मशीन के माध्यम से  जो लिगेसी वेस्ट से कंक्रीट, पॉलीथिन एवं मिट्टी को अलग किया जाएगा। साथ ही इससे निकलने वाला आरडीएफ जलने वाला कूड़ा ईंधन को उपयोग के रूप में काम में लिया जाएगा। 

वर्तमान में अजमेर शहर में लगभग 250 टन कचरा प्रतिदिन उत्पन्न हो रहा है। जो कि माखुपुरा ट्रेंचिंग ग्राउंड में डाला जा रहा है। यह व्यवस्था गत कई वर्षों से जारी है। जिसके चलते वहां 27 एकड़ क्षेत्र में कचरा फैल चुका है। यहां पर 15 से 20 फीट लिगेसी वेस्ट के पहाड़ बनने से एवं उक्त भूमि का उपयोग नहीं हो पा रहा है। कचरे में कल्चर डालकर मिक्स किया जा रहा है। कल्चर डालने के बाद कचरा डि-कम्पोजड होने लगेगा। कचरे को अलग अलग करने के लिए जुलाई माह के अंत तक मशीन अजमेर आ जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस मशीन की क्षमता 800 टन कचरे को अलग करने की होगी।

इस प्रकार किया जाएगा कचरे को अलग-अलग

लिगेसी वेस्ट के निस्तारण के लिए ट्रोमल मशनी  लगाई जा रही है। इस मशीन के माध्यम से विभिन्न साइज एवं विभिन्न प्रकार के कचरे को अलग-अलग किया जाएगा। कचरे में प्राप्त उपयोगी वस्तु जैसे प्लास्टिक, कागज आदि  को उपयोग के अनुसार ठेकेदार द्वारा ही निस्तारित किया जाएगा। शेष रही मिट्‌टी को ट्रेंचिंग ग्राउंड में ही बिछाकर समतल किया जाएगा। 

प्लास्टिक का उपयोग ईंधन के रूप में 

प्लांट में पुराने कूड़े से प्लास्टिक, पॉलीथिन आदि ज्वलनशील पदार्थ को अलग किया जाएगा। इसके अलावा मिट्टी और कंक्रीट को भी अलग-अलग किया जा सकेगा। लिगेसी वेस्ट से निकलने वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल ईंधन के रूप में हो सकेगा। इस ईंधन की डिमांड सीमेंट फैक्ट्रियों में रहती है। 

प्रदूषण से मिलेगा छुटकारा 

माखुपुरा ट्रेंचिंग ग्राउंड में बार बार कचरे में आग लग जाती है और धुआं से आस-पास का वातावरण दूषित होता है। कचरे का समय पर परिशोधन होने से वातावरण शुद्ध होगा और यहां पर बनने वाले वेक्टिरिया भी समाप्त होगा। बरसात के दिनों में कचरे में पानी जाने के कारण भूमिगत जल दूषित होने की संभावना बनी रहती है। उससे भी पूर्ण रूप से मुक्ति मिलेगी।

परिशोधन संयंत्र से बनेगी खाद

माखुपुरा ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 करोड़ की लागत से परिशोधन संयंत्र लगाया जा रहा है। इस संयंत्र के माध्यम से प्रतिदिन नए आने वाले 300 टन कचरे का निस्तारण हो सकेगा। प्रोसेंसिंग  संयंत्र में सूखा एवं गीला कचरे को अलग-अलग किया जाएगा। गीले कचरे से खाद बनाई जाएगी। जिसका उपयोग जैविक खेती के लिए किया जा सकेगा। वहीं दूसरी ओर सूखे कचरे में से प्लास्टिक, कागज इत्यादि को अलग करके ईंधन की ब्रिक्स बनाई जा सकेगी जो कि बायलर आदि में ईंधन के रूप में उपयोग में लाई जा सकेंगी। एकत्र किए गए कचरे में 10 प्रतिशत कचरा ऐसा होता है जिसका कोई उपयोग नहीं किया जा सकता। ऐसे कचरे का सेनेटरी लैंडफिल में डाला जाता है। जिसके लिए आगामी 5 वर्षों की गणना करते हुए 75 हजार घन मीटर क्षमता की सेनेटरी लैंडफिल भी बनाया जाना प्रस्तावित है।

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