अजमेर (AJMER MUSKAN)। सिंधी समाज के इष्टदेव श्री झूलेलाल के 40 दिवसीय व्रत व तप आराधना 16 जुलाई से घर पर रह कर होगी।
पूज्य लाल साहिब मंदिर सेवा ट्रस्ट दिल्ली गेट अजमेर (झूलेलाल धाम) के प्रधान ट्रस्टी प्रभु लौंगाणी ने बताया की हर वर्ष देहली गेट स्थित श्री झूलेलाल मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ 40 दिवसीय व्रत उपासना की जाती रही है, किंतु इस वर्ष भी वैश्विक महामारी कोरोना के कारण यह घर मे रह कर संभव होगा।
ट्रस्ट के महासचिव जयकिशन पारवानी के अनुसार आज 16 जुलाई शुक्रवार को विद्वान पंडित आत्माराम शर्मा द्वारा आज झूलेलाल धाम परिसर में व्रतधारियों को कंगणी बांध कर 40 दिवसीय व्रत का संकल्प दिलवाया गया। व्रत उपासना की अवधि में प्रतिदिन डाला जाने वाला अखो की कुनरी (कलश) व्रतधारी मन्दिर में या अपने घर पर रखकर स्नान ध्यान करने के पश्चात स्तुति करके चालिहा साहिब के पाठ के उपरांत आरती करके जल के जीवों को समर्पित करने के लिए प्रति दिन कुनरी कलशमें अखो (जिसमें चावल हल्दी इलायची केसर होता है) डालेंगे जो 24 अगस्त को 40 दिन के व्रत पूर्ण होने पर विधि विधान, बहिराणा साहिब के साथ दरयाशाह (जल) में प्रवाहित किया जाएगा।
पारवानी ने चालिहा व्रत परम्परा की जानकारी देते हुए बताया कि अखण्ड भारत के सिंध प्रांत में विधर्मी बादशाह मिराखशाह द्वारा वहां की हिंदू जनता पर अत्याचार करके उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य किए जाने तथा हिंदू मंदिरों में मूर्ति पूजा पर रोक लगाने के कारण समस्त हिंदू समाज दरिया किनारे पर जाकर वरुण देव की 40 दिन तक कठोर तपस्या कर व्रत रखें लोगों ने भगवान वरुण देव से धर्म की रक्षा करने हेतु प्रार्थना की फलस्वरूप आकाशवाणी हुई जिसमें कहा गया श्री वरुण देव झूलेलाल के रूप में नसररपुर ग्राम में ठाकुर रतन राय के घर पर अवतार लेकर अत्याचारी बादशाह मिर्ख से मुक्ति दिलाएंगे जिसके बाद झूलेलाल साहब ने अवतार लेकर मिरख्शाह से मुक्ति दिलाई उन्होंने समस्त हिंदुओं को ईश्वर की आराधना उपासना वह पंचतत्व के साकार स्वरूप जल ज्योति की पूजा करने का संदेश दिया इसी स्मृति में 40 दिनों की उपासना की परंपरा शुरू हुई।
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