इको सिस्टम का संरक्षण-संवर्धन सबकी जिम्मेदारी - सुदीप कौर
अजमेर (AJMER MUSKAN) । उप वन संरक्षक कार्यालय जयपुर (उत्तर) एवं पृथ्वीराज फाउंडेशन, अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शनिवार को प्रिजर्वेशन एंड रेस्टोरेशन ऑफ़ ईको सिस्टम थीम पर वेबीनार आयोजित की गयी जिसमे 5 जून के अंतरराष्ट्रीय महत्व पर विशेष वक्तव्य दिए गए और पर्यावरण को सुदृढ़ के लिए विचार व्यक्त किये गए।
उप वन संरक्षक, जयपुर (उत्तर) सुदीप कौर ने इस अवसर पर कहा कि हम सबको अपना अपना योगदान देना होगा तभी हम अपने इकोसिस्टम को बचा पाएंगे, यह सिर्फ वन विभाग या किसी एक समूह का कार्य नहीं है बल्कि प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। अब तक पर्यावरण में जो नुकसान हुआ है उसका रेस्टोरेशन एक दिन का काम नहीं है उसे तत्परता के साथ आगामी 10 साल में हमें उसकी भरपाई करनी ही होगी वरना परिणाम अच्छे नहीं होंगे। कोरोना के चलते आज एक एक व्यक्ति एक एक बच्चा जान चुका है कि पर्यावरण की क्या अहमियत है, यह हमने नहीं बल्कि पर्यावरण प्रकृति ने अपने आप बता दी है। इसका संरक्षण करना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि अगर हम पृथ्वी पर हुए 15 प्रतिशत नुकसान की भी भरपाई कर लेते हैं तो 60 प्रतिशत प्रजाति है जो खत्म होने के कगार पर है उन्हें बचा सकते हैं। एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि जितना भी पीने योग्य पानी है उसमें से 75 प्रतिशत जंगलों, झरनों, नदियों से आने वाला जल ही मिल रहा है।
वेबीनार संयोजक व पृथ्वीराज फाउंडेशन के सचिव दीपक शर्मा ने वेबीनार के उद्देश्य और पर्यावरण दिवस की थीम पर प्रकाश डाला व अतिथियों का स्वागत किया।
सहायक वन संरक्षक, जयपुर (उत्तर) ओ.पी. शर्मा ने सरकार की समस्त फ्लैगशिप योजनाओं का विवरण देते हुए कहा कि इस बार पर्यावरण की थीम पर विचार करना बहुत अनिवार्य है। 'घर-घर औषधि' सरकार की फ्लैगशिप योजना में हर घर तक 5 साल में तीन बार 8-8 औषधीय पौधे पहुँचाये जाएंगे ताकि हर व्यक्ति का प्रकृति से जुड़ाव हो और अवेयरनेस एक्टिविटी डिवेलप की जा सके। एक अन्य महत्वपूर्ण योजना के तहत महात्मा गांधी की डेढ़ सौ वी जयंती के तहत 21 जून से 2 अक्टूबर तक बापू वृक्षारोपण अभियान वन विभाग द्वारा वृहद स्तर पर किया जाएगा जिसमे पंचायत स्तर पर पौधारोपण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नरेगा में भी उन क्षेत्रों का चयन किया जाए जहां इकोसिस्टम पहले अच्छा रहा है उसको दोबारा रिवाइव करने के लिए गतिविधियां की जाएंगी। वन महोत्सव में गांव वालों से जुड़ उन्हें इकोसिस्टम और पेड़ पौधों का महत्व और पुराने जो स्थितियां रही उनके बारे में लोगों को बता कर और जागरूक किया जा सकता है।
वेबीनार को संबोधित करते हुए कोठपुतली के सहायक वन संरक्षक, मुकेश कुमार जिंदल द्वारा बताया गया कि हमारा जो इकोसिस्टम डैमेज हो रहा है उसे रिस्टोर करना होगा इसके लिए प्लास्टिक पूर्णतया निषेध होना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ पौधों को लगाकर पर्यावरण शुद्ध किया जा सकता है। दिन प्रतिदिन पर्यावरण को जो हानि हो रही है, के प्रति लोगों को जागरूक करना है, पर्यावरण की हानि होने से बचाने के लिए ऐसे सामान काम में लिए जाए जिन्हें रिसायकल किया जा सके, पेपरलेस प्रक्रिया को अधिक से अधिक अपनाना चाहिए। हाल ही में जो ऑक्सीजन की कमी देखी उसके लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाकर ऑक्सीजन की कमी को दूर किया जा सकता है। जब लॉकडाउन हुआ था तब देखा गया था कि झील, प्रकृति, वन्यजीव सभी बहुत साफ हुई थी आगे इसके लिए इकोसिस्टम को रिस्टोर करने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने होंगे। पूर्व सहायक वन संरक्षक, अजमेर जे.पी. भाटी द्वारा सीड बॉल्स के ऊपर बहुत बढ़िया तरीके से बताया गया किस तरह विभिन्न स्थानों पर बीजों को डालकर उन्होंने वृक्षारोपण को जीवंत किया है। उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास रहता है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाने की भी एक सीमा है क्योंकि उनका संधारण और सुरक्षा भी करनी होती है, अजमेर की माय क्लीन स्कूल संस्था के साथ जुड़कर 10 प्रकार के कांटेदार एवं फलदार प्रजातियों के 10 हजार सीडबॉल तैयार कर विभिन्न स्थानों पर डाले गए।
स्वामी विवेकानंद मॉडल राजकीय विद्यालय की प्राचार्य वर्तिका शर्मा ने वेबीनार का संयोजन करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पर्यावरण दिवस पर दिया गया संदेश पढ़ा जिसमे कहा गया कि कोरोना महामारी ने समझाया हमें पर्यावरण का महत्व, स्वच्छ पर्यावरण प्रत्येक प्राणी के जीवन के लिए आवश्यक है। यह बात सदियों से हमारे पूर्वज और हम मानते हैं और अपनाते रहे परंतु समय के साथ विकास की महत्वकांक्षा में मानव जाति ने पर्यावरण को बहुत हानि पहुंचाई जिसका आभास हमें कोरोना महामारी के दौरान हुआ है। हमें स्वच्छ पर्यावरण को पुनः स्थापित करना होगा, कोरोना से जंग हम सभी जीत पाएंगे जब हम स्वच्छ पर्यावरण में प्रकृति के संग रहेंगे।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उदयपुर के उपनिदेशक डॉ.कमलेश शर्मा ने कहा कि आम व्यक्तियों को जब तक हम उनके इको सिस्टमऔर मानव के लिए उपयोगिता के बारे में नहीं बताएंगे तब तक उसका रेस्टोरेशन का हमारा जो मकसद है वह पूरा नहीं हो पाएगा। जब तक लोगों को पता नहीं होगा कि हमारे आसपास जो भी प्रकृति ने हमें दिया है उसका उपयोग क्या है और उससे हम किस तरह से लाभान्वित हो सकते हैं तब तक उसी को सिस्टम का रीस्टोरेशन संभव नहीं है। घर-घर औषधि योजना को उन्होंने राजस्थान सरकार का एक बड़ा कदम बताया और कहा कि हमारी परंपरागत औषधियां नीम गिलोय, तुलसी, अश्वगंधा व कालमेघ सभी के लिए बहुत लाभकारी है। इस योजना के माध्यम से ईको रेस्टोरेशन का उद्देश्य पूरा साबित होगा।
जैव विविधता के चित्रों का सम्मोहन
वेबीनार के तहत राजस्थान की जैव विविधता को दर्शातें चित्रों की ऑनलाइन प्रदर्शनी आयोजित हुई। इसमें जनसंपर्क उपनिदेशक डॉ कमलेश शर्मा ने उदयपुर और बांसवाड़ा के प्रकृति व प्रवासी पक्षियों से जुड़े चित्रों को भी प्रदर्शित किया। चर्चा में नदीम खान ने राजस्थान के प्राकृतिक सौंदर्य, वन्यजीव और माइग्रेटरी बर्ड्स के फोटोस प्रदर्शित किए एवं गिरीश बिंदल के चित्रों द्वारा उत्साह बना रहा प्रकृति देखने को मिली और नन्हे बच्चों को किस तरह जोड़ा जाए इस पर भी चर्चा हुई
कार्यक्रम संयोजक ऋषि राज सिंह ने स्वागत उद्बोधन दिया। पृथ्वीराज फाउंडेशन के सचिव दीपक शर्मा ने आभार व्यक्त किया। इस वेबीनार मे राजस्थान के विभिन्न जिलों के पचास से अधिक संभागियों ने हिस्सा लिया।
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