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अब तक 2190 किलोमीटर ट्रैक का विद्युतीकरण


पर्यावरण अनुकूल रेल परिवहन की प्रतिबद्धता के लिये उत्तर पश्चिम रेलवे पर अब तक 2190 किलोमीटर ट्रेक का किया विद्युतीकरण 
वर्ष 2023 तक सम्पूर्ण ट्रेक को विद्युतीकृत करने का लक्ष्य निर्धारित कार्य पूर्ण किया

अजमेर (AJMER MUSKAN)। भारतीय रेलवे द्वारा कोविड-19 की विषम परिस्थितियों में भी आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता हेतु कार्य किये जा रहे है। भारतीय रेलवे पर माननीय वर्ष 2020-21 में पर्यावरण अनुकूल रेल संचालन के लिये 6015 रूट किलोमीटर ब्राडगेज लाइनों का विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण किया गया जोकि अभी तक का सर्वाधिक है। भारतीय रेलवे पर पर्यावरण संरक्षण के लिये कार्य करते हुये 2014-21 तक कुल 24,080 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण किया गया है जोकि वर्ष 2007-14 के 4,337 की तुलना में 455 प्रतिशत अधिक है। रेलवे द्वारा 2023 तक सभी रेल लाइनों के विद्युतीकरण करने के लिये लक्ष्यानुसार कार्य किया जा रहा है। 

उत्तर पश्चिम रेलवे के उपहाप्रबंधक (सामान्य) व मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट शशि किरण के अनुसार उत्तर पश्चिम रेलवे पर रेल विद्युतीकरण के कार्य तीव्र गति से किये जा रहे है। इस रेलवे पर विद्युतीकरण के कार्य को विगत वर्षों के बजट में प्राथमिकता प्रदान की गई है तथा सम्पूर्ण उत्तर पश्चिम रेलवे पर विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत हो गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर अब तक 2190 किलोमीटर रेल लाइन पर विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर विद्युतीकरण का कार्य वर्ष 2014 के पश्चात् प्रारम्भ किया उससे पूर्व इस रेलवे पर विद्युतीकरण शून्य था। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्ष 2020-21 में 385 किलोमीटर रेलखण्ड के विद्युतीकरण का कार्य पूरा किया गया। उत्तर पश्चिम रेलवे के महत्वपूर्ण रेलखण्ड रेवाडी-अजमेर वाया फुलेरा तथा रेवाड़ी-अजमेर वाया जयपुर रेलखण्डों पर इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर यात्री रेलसेवाओं का संचालन किया जा रहा है। इसके साथ ही अजमेर से उदयपुर मार्ग का भी विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो गया है तथा राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थल उदयपुर का जुड़ाव अजमेर, जयपुर तथा दिल्ली से इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन से सम्पर्क स्थापित हो गया है। 

उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्ष 2021-22 में लगभग 980 किलोमीटर ब्राॅडगेज लाइनों को विद्युतीकृत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस वर्ष रींगस-सीकर-चूरू, सीकर-लोहारू, चूरू-रतनगढ-लालगढ, सूरतगढ-लालगढ, मारवाड-लूनी-जोधपुर, ब्यावर-गुडिया, मदार-पुष्कर रेलमार्ग के विद्युतीकरण का कार्य किया जाना प्रस्तावित है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर 3154 रूट किलोमीटर रेलमार्ग के विद्युतीकरण का कार्य 2,584 करोड रूपये की लागत के साथ किया जा रहा है तथा सभी रेलमार्गों का विद्युतीकरण का कार्य दिसम्बर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 

1. पर्यावरण अनुकूल परिवहन साधन

2. डीजल इंजन के धुएं से होने वाले प्रदुषण से मुक्ति

3. ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी होने से राजस्व में बचत

4. संचालन लागत में कमी

5. विद्युत इंजनों की लोड क्षमता अधिक होने के कारण अधिक भार, लम्बी ट्रेनों व अधिक ट्रेनों का संचालन संभव

6. विद्युत इंजनों की अनुरक्षण लागत कम होना

7. डीजल की अपेक्षा बिजली की लागत कम होने से राजस्व की बचत 

भारतीय रेलवे पर विद्युतीकरण के अतिरिक्त पर्यावरण को सुदृढ़ बनाने के लिये तीव्र गति से पर्यावरण अनुकूल डेडीकेटड फे्रट कॉरिडोर का विकास किया जा रहा है जिससे कम समय में तीव्र गति व अधिक क्षमता के साथ अधिक माल का परिवहन किया जा सके। डेडीकेटड फे्रट कॉरिडोर को कार्बन रहित ग्रीन परिवहन कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है। भारतीय रेलवे पर दो डेडीकेटड फे्रट कॉरिडोर इस्टर्न व वेस्टर्न कॉरिडोर निमार्ण परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है। उत्तर पश्चिम रेलवे से वेस्टर्न डेडीकेटड फे्रट कॉरिडोर को 38 प्रतिशत भाग होकर गुजर रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे के न्यू मदार से न्यू अटेली स्टेशनों के 306 किलोमीटर मार्ग पर दिनांक 07 जनवरी 2021 से ट्रेनों का परिवहन प्रारम्भ कर दिया गया है। इस मार्ग पर डबल स्टैक कंटेनर ट्रेने संचालित की जा रही है, जिससे तीव्र गति से अधिक माल का परिवहन किया जा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वेस्टर्न डेडीकेटड फे्रट कॉरिडोर के प्रारम्भ होने से इस क्षेत्र का विकास हो रहा है तथा रोजगार के नये अवसर उत्पन्न हुये है।

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