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कोरोना के साथ ब्लैक फंगस का उपचार भी प्राथमिकता, रहेंगे दवाओं के पूरे इंतजाम


गांवों में होंगे एंटीजन और आरटीपीसीआर टेस्ट
प्रभारी मंत्री कटारिया एवं चिकित्सा मंत्री डॉ. शर्मा ने की अजमेर में कोरोना संक्रमण से बचाव की समीक्षा
किशनगढ़ और ब्यावर में कोविड प्रभारी के रूप में तैनात होंगे आरएएस अफसर
पूरे जिले में तैनात किए जाएंगे 209 कम्यूनिटी हैल्थ आफिसर
चिकित्सक व नर्सिंग कर्मियों के रिक्त पदों पर आवश्यकतानुसार सेवानिवृत कार्मिक लगाने के निर्देश

अजमेर (AJMER MUSKAN)। कोरोना महामारी संक्रमण से बचाव के लिए अब अजमेर के ग्रामीण क्षेत्रों में भी टेस्ट, ट्रैक और आइसोलेट की रणनीति पर पूरा फोकस रहेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा विभाग की मोबाइल वैन के जरिए एंटीजन और आरटीपीसीआर टेस्ट करवाए जाएंगे ताकि पॉजीटिव मरीजों का तुरंत उपचार शुरू किया जा सके। ब्यावर और किशनगढ़ में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए आरएएस अधिकारियों को चिकित्सालयों में तैनात किया जाएगा। हाल ही में राज्य सरकार की ओर से नियुक्त किए गए 209 कम्यूनिटी हैल्थ आफिसर तुरंत जरूरत वाले स्थानों पर लगाए जाएंगे। सभी प्रमुख अस्पतालों में अब ब्लैक फंगस से संबंधित दवाएं भी उपलब्ध रहेंगी।

जिले के प्रभारी मंत्री लालचंद कटारिया एवं चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अजमेर जिले में कोरोना महामारी से बचाव के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। प्रभारी मंत्री कटारिया ने कहा कि गांवों में कोरोना का संक्रमण बढना बेहद चिंताजनक है। गांवों में संक्रमण की चेन तोडने तथा ग्रामीणों को जागरुक करने के लिए जनजागरण अभियान चलाया जाए । इस अभियान में सीएचसी तथा अन्य निचले स्तर के अस्पतालों में उपचार के लिए आने वाले ग्रामीणों को समझाया जाए कि कोविड महामारी से बचने के लिए क्या सावधानियां जरूरी हैं। इसी तरह उन्हें बीमारी के लक्षण नजर आते ही उपचार के लिए प्रेरित किया जाए ताकि समय पर इलाज मिले और ज्यादा से ज्यादा लोगों को गंभीर अवस्था में आने से पहले ही बचाया जा सके।

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मरीज घर पर ही ठीक हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर लोग जानकारी के अभाव में घबरा जाते हैं। ऎसे हल्के लक्षण वाले मरीजों को निचले स्तर के अस्पतालों में ही तुरंत आइसोलेट होने तथा उपचार शुरू करने के लिए प्रेरित किया जाए। जिलों की सीमा पर स्थापित चैकपोस्ट पर भी संदिग्ध रोगियों की जांच के इंतजाम रखे जाएं।

चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने पूरे अजमेर जिले में कोरोना प्रबंधन के लिए किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि शहर के साथ-साथ गांवों में भी कोराना का फैलाव खतरनाक है। शहरी क्षेत्र में मरीज को आसानी से जांच की सुविधा उपलब्ध है लेकिन गांवों तक पहुंचना अब सबसे बड़ी चुनौती है। इसके लिए गांवों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की मोबाइल ओपीडी वैन के जरिए एंटीजन व आरटीपीसीआर टेस्ट किए जाएंगे। यह वैन प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में प्रतिदिन दस गांवों में घूमेगी। इसके जरिए अधिक संक्रमण वाले इलाकों में एंटीजन टेस्ट किए जाएंगे। एंटीजन टेस्ट में पॉजीटिव आने वाले रोगियों को तुरंत उपचार शुरू किया जाएगा। जो लोग इसमें नेगिटिव आ गए हैं उनका आरटीपीसीआर टेस्ट कर सैम्पल लिया जाएगा।

उन्होंने चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि कोरोना रोगियों में ब्लैक फंगस नाम की बीमारी भी तेजी से सामने आ रही है। यह घातक बीमारी है। इसकी रोकथाम के लिए सभी अस्पतालों में दवाओं का पूरा इंतजाम रखा जाए। उन्होंने ब्यावर एवं किशनगढ़ में कोविड संक्रमण की गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला कलक्टर को निर्देश दिए कि दोनों शहरों के मुख्य अस्पताल में एक-एक आरएएस अधिकारी को तैनात कर कोविड प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी जाए।

डॉ. शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में अजमेर जिले के लिए 209 कम्यूनिटी हैल्थ आफिसर्स की नियुक्ति की है। इन्हें तुरंत जरूरत वाले अस्पतालों और सीएचसी में तैनात किया जाए। इसके अलावा भी जहां भी चिकित्सकों या नसिर्ंग स्टाफ की कमी है। वहां पर स्टाफ तैनात किया जाए। रिक्त पड़े पदों पर सेवानिवृत चिकित्सको एवं नर्सिंग स्टाफ को आवश्यकतानुसार लगाया जाए। एमबीबीएस व नर्सिंग अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को कोविड केयर से संबंधित कामों में तैनात किया जाए। उन्होंने केकड़ी, मसूदा, पुष्कर, अजमेर, नसीराबाद में भी कोविड प्रबंधन की गहनता से समीक्षा की।

चिकित्सा मंत्री ने ऑक्सीजन उपलब्धता और इसके लिए किए जा रहे प्रयासों की भी समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अजमेर और नसीराबाद में डीआरडीओ के माध्यम से स्थापित होने वाले ऑक्सीजन प्लांट के कार्य के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण व अन्य विभागों के अधिकारियों से तुरंत समन्वय स्थापित कर काम शुरू करवाया जाए। अस्पतालों में ऑक्सीजन ऑडिट लगातार की जाए ताकि इसकी प्रति व्यक्ति खपत को कम कर अन्य जरूरतमंदों के लिए बचाया जा सके। चिकित्सा स्टाफ, मरीज व परिजन को ऑक्सीजन के उपयोग व प्रोनिंग आदि के बारे में समझाया जाए। कोराना के अलावा अन्य बीमारियों के मरीजों के उपचार व ऑपरेशन के लिए भी पर्याप्त इंतजाम रखे जाएं।

डॉ. शर्मा ने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञ लगातार तीसरी लहर के आने की चेतावनी दे रहे हैं। हमें इसके लिए पूरी तरह तैयार रहना है। जिले में लघु व दीर्घ अवधि की योजना बना कर काम किया जाए। सभी जिला व सीएचसी स्तर के अस्पतालों के अलावा बच्चों के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट, बैड, कंसनट्रेटर आदि की सम्पूर्ण व्यवस्था समय रहते कर ली जाए तो हम अपने नागरिकों को बचा पाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य आपदा राहत कोष, विधायक कोष एवं डीएमएफटी योजना के तहत सभी सीएचसी को सभी तरह के उपकरणों से तैयार रखा जाए। विधायक कोष में एक करोड़ रुपए तक की राशि इस काम में ली जा सकती है। उन्होंने सभी सीएचसी पर कोविड कंसलटेंसी सेन्टर एवं नॉन कोविड को उपचार के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कोराना के लिए जीवन रक्षक दवाओं की राज्य में कोई कमी नहीं है। अस्पतालों में डे केयर सुविधा से भी मरीजों का उपचार जारी रखा जाए। ऑक्सीजन कंसनट्रेटर को ज्यादा से ज्यादा बैड पर लगाया जाए।

बैठक में चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया, चिकित्सा सचिव सिद्धार्थ महाजन ने भी सुझाव एवं जानकारी दी। जिला कलक्टर श्री प्रकाश राजपुरोहित ने बैठक में अब तक किए गए प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिले में पर्याप्त संख्या में ऑक्सीजन, आईसीयू व वेंटीलेटर बैड उपलब्ध हैं। सरकारी व निजी अस्पतालों में कोविड व अन्य बीमारियों का उपचार उपलब्ध है। जिले में कोविड मरीजों की संख्या स्थिर बनी हुई है। इसमें किसी तरह का अप्रत्याशित उछाल नहीं है।

उन्होंने बताया कि जेएलएन सहित अन्य अस्पतालों व सीएचसी में काविड बैड आरक्षित कर उपचार किया जा रहा है। बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, संयुक्त निदेशक चिकित्सा डॉ. इन्द्रजीत सिंह, सीएमएचओ डॉ. के.के. सोनी, जेएलएन मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. वी.बी. सिंह, अघीक्षक डॉ. अनिल जैन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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