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डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ मित्तल का देवलोक गमन

मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर में ली अंतिम सांस

प्रदेश के साहित्यिक, राजनीतिक, सामाजिक व आध्यात्मिक जगत में शोक व्याप्त


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
सुविख्यात साहित्यकार, कवयित्री, समालोचक, समाजसेवी, पूर्व नगर पार्षद एवं मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की संरक्षिका डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ मित्तल का रविवार अल सुबह निधन हो गया। मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, पुष्कर रोड, अजमेर में रविवार को अलसुबह करीब 5 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ 78 वर्ष की थीं। विगत कुछ दिनों से अस्वस्थ होने के कारण उपचाररत रहते अंत समय तक जिंद़गी से संघर्ष करते हुए हृदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई। डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ के निधन पर मित्तल हाॅस्पिटल परिवार सहित समूचे प्रदेश के साहित्यिक, राजनीतिक एवं सामाजिक व आध्यात्मिक जगत में शोक व्याप्त हो गया। डाॅ मित्तल का अंतिम संस्कार रविवार दोपहर वैशाली नगर आंतेड स्थित छत्री योजना मुक्ति धाम पर विधि विधान से कर दिया गया। इस मौके पर मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर प्रबंध मंडल के सदस्य एवं परिवारजन उपस्थित थे। मुखाग्नि सुनील मित्तल ने दी। शेष सभी ने अश्रुपूरित आॅंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।

डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ मित्तल अत्यन्त ही मृदुल एवं स्नेहिल स्वभाव की थी। उन्होंने जिस क्षेत्र में कदम रखा, अपना परचम लहराया। उनकी विद्वता, वाक कौशल, सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, राजनीतिक पकड़, समझ और सूझ- बूझ अद्भुत और उन्नत कोटि की थी। ‘क्या अपने और क्या पराए’ उनका स्नेह, अपनत्व और प्यार - दुलार ममतामयी मांॅ के रूप में छोटे और बड़ों पर समान रूप चांदनी की रश्मि बन बरसता था। सिर्फ हिन्दी ही नहीं राजस्थानी सहित विविध भाषाओं की शब्द शैली, स्वर साधना एवं सामाजिक रीति-नीति, परम्पराओं पर उनका ज्ञान और समझ़ अविस्मरणीय था। डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ का जीवन को अलविदा कह देने से जैसे एक युग को पूर्ण विराम लग गया।

ओजस्वी वक्ता डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी की राज्य स्तरीय राजनीति में सक्रिय रहीं। भाजपा राज्य महिला मोर्चा उपाध्यक्ष, भाजपा राजस्थान प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य रहने के साथ साथ अजमेर नगर निगम की पार्षद रहीं और भूमि एवं भवन समिति की अध्यक्षता को भी बखूबी निभाया। राजनीतिक जीवन जीते हुए अनेकानेक शीर्ष नेतृत्व स्व. राजमाता श्रीमती विजयाराजे सिंधिया, स्व. अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, स्व. भैंरो सिंह शेखावत, वसुंधरा राजे आदि के साथ उनके प्रगाढ़ ताल्लुक एवं विशिष्ट रिश्ते रहे।

हिंदी लघुकथा पर देश की पहली शोधार्थी रहीं साहित्य जगत की एक मूर्धन्य शख्सियत डॉ. शकुन्तला ‘किरण’ ने कई पुस्तकें लिखी हैं और शोधार्थियों को मार्गदर्शन देने के साथ निर्देशित भी किया। डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ मित्तल अग्रवाल समाज की संरक्षिका भी रहीं है।

समय के साथ डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ का अध्यात्म के साथ जुड़ाव हुआ और मन वहीं रम गया। पूज्य गुरुदेव श्री हर प्रसाद जी मिश्रा ‘उवैशी’ र.ह के आध्यात्मिक ज्ञान एवं अलौकिक साधना से प्रभावित डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ उन्हीं की सेविका बन उनके बताए पथ पर आरूढ़ हो चलीं थीं।

समाज सेवा में तत्पर एवं सर्व सम्मानित डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ किसी भी तरह के जरूरतमंदों एवं निर्धनों के प्रति सदैव सौम्य एवं संवेदनशील रही और जिस तरह से भी संभव हो सका, उन्होंने आशार्थियों को कभी निराश नहीं किया। मातृ-तुल्य वात्सल्य की धनी डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ से मुलाकात के लिए समाज के सभी वर्ग हमेशा उत्सुक रहते थे और डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ मित्तल भी सेवा के लिए हमेशा तत्पर। डाॅ. शकुन्तला ‘किरण’ मित्तल के निधन से समाज को हुई अपूर्णनीय क्षति भरी नहीं जा सकेगी। उनके सांसारिक भवसागर से पर्दा लेने पर कोटि-कोटि नमन एवं श्रृद्धा सुमन।

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