Ticker

6/recent/ticker-posts

सभी के सहयोग से ही बच सकती है गौरेया (चिड़िया)

विश्व गौरैया दिवस पर महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित


अजमेर (AJMER MUSKAN)।
महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग व वन विभाग, अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में विश्व गोरैया दिवस को लेकर गहन चर्चा हुई। कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन तथा विश्वविद्यालय कुलगीत द्वारा हुई। इस कार्यक्रम में गौरैया (चिड़िया) की घटती संख्या तथा इस दिवस को मनाने की जरूरत पर गहन मंथन हुआ।

विभागाध्यक्ष प्रोफेसर प्रवीण माथुर ने अपने व्याख्यान में इस चिड़िया के वैज्ञानिक वर्गीकरण से लेकर इसके खत्म होने के विभिन्न कारकों जेसे घौंसलों के बनाने के स्थानों की कमी, खाने के स्त्रोतों की कमी, प्राकृतिक आवासों का विनाश, अत्यधिक कीटनाशकों के उपयोग इत्यादि की जानकारी उपलब्ध करवाई साथ ही इसकी घटती संख्या व जनचेतना तथा इसे बचाने के उपायों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने विस्तार में बताया कि भागदौड़ और चकाचौंध की अंधाधुंध दौड़ में इनके आश्रय स्थल खत्म हो गये हैं। साथ ही कीटनाशकों के अत्यधिक छिड़काव से इन्हें भोजन जुटाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि शहरों से इनका पलायन शहरों के बाहरी क्षेत्रों तथा गांव की ओर हो रहा है। यदि इन्हें समय रहते इनके रहने के सुरक्षित आवासों को उपलब्ध नहीं कराया गया तो अवश्य ही ये खतरे के कगार पर पहुँच जाएगी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला वन संरक्षक अधिकारी सुनील छेद्री द्वारा विश्व गौरेया दिवस की शुभकामनाओं देकर अपना उद्बोधन प्रारंभ किया। साथ ही उन्होंने आम आदमी की आवश्यकताओं, वैज्ञानिक द्वारों किये जा रहे शोध कार्यों तथा प्रशासन द्वारा किये जा रहे उपायों को अलग-अलग अपर्याप्त बताया साथ ही यह कहा कि जब तक यह तीनों एक साथ मिलकर समाज के लिए कार्य नहीं करेंगे तब तक किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति कठिन है। कार्यक्रम की इसी कड़ी में प्रो. आशीष भटनागर, विभागाध्यक्ष सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग ने वनों के महत्व पर प्रकाश डाला साथ ही उन्होंने अपनी स्वरचित दो कविताओं का पाठन कर इन कविताओं के माध्यम से गौरेया के संरक्षण हेतु आह्वान किया। उन्होनें इन कविताओं द्वारा गौरेया की पूरी दिनचर्या को प्रतिबिम्बित किया तथा साथ ही सभी श्रोतागणों से अपील की कि उन्हें इस पक्षी को बचाने के लिए अपना-अपना योगदान देना चाहिए।

कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में छात्रा पाखी शर्मा ने गौरेया तथा उसके जीवन चक्र की जानकारी से श्रोतागणों को अवगत करवाया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विवेक शर्मा द्वारा किया गया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि विश्व गौरेया दिवस मनाने हेतु सभी शिक्षक और विद्यार्थी गण प्रण लें कि धरों की छतों पर पानी के परिण्डे रखें तथा प्रातः या शाम को दाना डालकर गौरेया को बचाने में अपना योगदान दें ताकि इस छोटे से प्रयास से आस-पास रहने वाले अन्य लोग भी संरक्षण हेतु प्रेरित होंगे। कार्यक्रम का मन्च संचालन पर्यावरण विज्ञान विभाग के छात्र ध्रुपद मलिक द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्राणीशास्त्र, पर्यावरण विज्ञान तथा सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के छात्र छात्राएं तथा अतिथि शिक्षक उपस्थित थे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ