कोविड पाॅजिटिव माताएं नवजात को दे सकती हैं अपना दूध : डाॅ. मैन्सी जैन
मित्तल हाॅस्पिटल में लगा निःशुल्क चर्म रोग तथा स्त्री व प्रसूति रोग चिकित्सा एवं परामर्श शिविर
अजमेर (Ajmer Muskan)। कोविड पाॅजिटिव माताएं नवजात को अपना दूध पिला सकती हैं। नवजात को ब्रेस्टफीड से वंचित रखने की कोई वजह नहीं है बशर्त है कि नवजात को दूध पिलाते हुए कुछ सावधानियां बरतनी होंगी।
मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर की स्त्री एवं प्रसूति रोग चिकित्सा विषेशज्ञ डाॅ. मैन्सी जैन ने रविवार को प्रसूताओं एवं माताओं से बातचीत करते हुए यह बात कही। डाॅ मैन्सी जैन मित्तल हाॅस्पिटल में आयोजित निःशुल्क चर्म रोग तथा स्त्री एवं प्रसूति रोग चिकित्सा एवं परामर्श शिविर में पहुंची महिलाओं से स्वास्थ्य संबंधित चर्चा कर रहीं थीं।
हाॅस्पिटल परिसर में सुबह 10 से 1 बजे तक लगे शिविर का अनेक माताओं एवं रोगियों ने लाभ उठाया। जो महिलाएं मां बन चुकीं हैं और जो मां बनने वाली हैं उन्होंने निःशुल्क शिविर में पहुंच कर चिकित्सकों से परामर्श प्राप्त किया। डाॅ. मैंसी जैन ने कुछ महिलाओं की जिज्ञासा दूर करते हुए कहा कि कोविड पाॅजिटिव महिलाएं संक्रमण के भय के कारण नवजात को अपने दूध से वंचित रख रही हैं यह उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि नवजात को ब्रेस्टफीड करते हुए अच्छे से मास्क लगाएं और स्वयं के हाथों को पूरी तरह से सैनिटाइज रखें। बच्चे को स्वच्छ व सैनिटाइज क्लॉथ में ही अपने करीब लाएं और उसे ब्रेस्टफीड कराएं। डाॅ. मैन्सी ने कहा कि यदि कोई अन्य समस्या है तो अपने चिकित्सक से सलाह कर बच्चे को अपना एक्सप्रेस फीड का विकल्प चुनें। उन्होंने कहा कि जो माताएं कोरोना पाॅजिटिव होकर सामान्य जीवन जी रही हैं उन्हें तो नवजात को ब्रेस्टफीड कराने में कोई समस्या है ही नहीं किन्तु कोविड-19 एडवाइजरी का तो उन्हें भी पालन करना ही है।
फंगल इन्फेक्शन के रोगियों की संख्या बढ़ी.......
चर्म रोग विशेषज्ञ डाॅ. दिव्या शर्मा ने बताया कि त्वचा में फंगल इन्फेक्शन, बाल झड़ने, चेहरे पर कील मुहांसे से संबंधित रोगी शिविर में परामर्श लाभ लेने अधिक पहुंचे। उन्होंने बताया कि इन दिनों में फंगल इन्फेक्शन जैसे दाद, खुजली, लाल चकते आदि से पीड़ित अधिक आ रहे हैं। यह एक से दूसरे को फैलने वाला रोग है इसके प्रति लापरवाह नहीं हुआ जा सकता।
डाॅ. दिव्या ने सभी को सलाह दी कि अपने स्वयं के शरीर के साथ साथ अपने आस पास के माहौल को भी साफ सुथरा रखने पर ध्यान देवें। धुले हुए एवं धूप में सूखे, साफ कपड़े पहनें और उन्हें नियमित बदलते रहें। शीघ्र ही चिकित्सक से परामर्श कर दवाई लें। दवाइयों का सेवन भी नियमित और रोग से पूर्ण मुक्ति पाने तक करें।
डाॅ. दिव्या ने बताया कि युवाओं में लड़कियां हो या लड़के बाल झड़ने की शिकायत बहुत देखी जा रही है। महिलाओं में तो प्री और पोस्ट डिलीवरी, खानपान, पोषण में कमी, तनाव आदि के कारण ऐसा होता है किन्तु पुरुषों में कम उम्र में बाल सफेद होना या झड़ना कई बार आनुवांशिक के साथ इसके अन्य कारण भी हैं। उन्हें समय रहते चिकित्सक की परामर्श लेनी चाहिए। समस्याओं का पूर्ण उपचार संभव है बशर्त है उपयुक्त समय पर चिकित्सक से सलाह प्राप्त करें।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि शिविर में पंजीकृत रोगियों को चिकित्सक की ओर से निर्देशित जांचों पर 25 प्रतिशत व प्रोसीजर पर 10 प्रतिशत की अगले सात दिवस तक छूट प्रदान की गई।
गौरतलब है कि शिविर में कोविड-19 की सभी गाइडलाइन का हाॅस्पिटल में शत-प्रतिशत पालन किया गया। रोगी के प्रवेश के समय स्क्रीनिंग की सुविधा, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना, मास्क की अनिवार्यता और सैनिटाईजेशन नियमों का पूर्ण पालन किया गया। ज्ञातव्य है कि हाल ही जिला प्रशासन की ओर से चिकित्सा संस्थानों के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता मानकों पर किए गए सर्वे में मित्तल हाॅस्पिटल को खरा पाते हुए सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि मित्तल हाॅस्पिटल केंद्र, राज्य सरकार व रेलवे कर्मचारियों एवं पेंशनर्स, भूतपूर्व सैनिकों(ईसीएचएस), ईएसआईसी द्वारा बीमित कर्मचारियों, आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम सहित टीपीए द्वारा उपचार के लिए अधिकृत है।
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