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ऑनलाइन वेबीनार आयोजित कर मनाई संत कंवर राम की पुण्यतिथि


जोधपुर (Ajmer Muskan)
। सिंधी कल्चरल सोसायटी जोधपुर द्वारा आज एक नवंबर को सिंधी लोक नाट्य विधा भगत के शिरोमणि संत कंवर राम की पुण्यतिथि पर गूगल दुओ के माध्यम से वेबीनार था आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता रंगकर्मी हरीश देवनानी ने की, संयोजन गोविंद करमचंदानी ने किया। इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष अशोक कृपलानी ने संत कंवर राम की जीवनी के बारे में बताते हुए जानकारी की दी कि वह सच्चे पुरुष थे अभिनेता थे, गायक थे और नृत्य भी करते थे । इनकी प्रस्तुति में इतना प्रभाव होता था कि उनका कार्यक्रम शुरू होने के बाद दर्शक अपने आप को देखे बगैर रोक नहीं सकता था ।संत कवर राम में देवी शक्ति भी विद्यमान थी । एक बार तो इनकी गोदी में एक महिला ने मृत बच्चा लोरी गाने के लिए दिया, कवर राम जी को पता चल गया कि बच्चा मृत है फिर भी उन्होंने अपनी देवी शक्ति से उस बच्चे को पुनर्जीवित कर दिया ,और भगवान की इस इच्छा के विरुद्ध बच्चे को पुनर्जीवित किया उसके प्रायश्चित स्वरूप उपवास भी रखा ।

इस मौके पर अशोक कलवानी, हरीश लखानी, विर्मल हेमनानी, हरीश कारवाणी, सचिव विजय भगतानी आदि ने भी अपने विचार रखे और संत कवर राम की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की । संयोजक एवं रंगकर्मी गोविंद करमचंदानी ने संत कंवर राम के मशहूर गीतों का भी जिक्र किया कि उनके गीतों में बहुत महिमा थी , फल स्वरूप संत कंवरराम को सिंधी समाज देव तुल्य मानता था और आज भी मानता है। उस वक्त उन्होंने लोक नाट्य शैली 'भगत' की नींव रखी। आज भी जो सिंधी नाट्य मंडलियां नाटक करती है उनमें 'भगत' का असर देखने को मिलता है ।

यही नहीं जोधपुर में भी हरीश देवनानी के निर्देशन में "उमर मारवी" नाटक के दौरान भगत का प्रयोग सूत्रधार के रूप में किया गया था । यही नहीं कुछ बाल नाटकों में भी भगत का प्रयोग किया गया है। इस मौके पर विर्मल हेमनानी ने कहा के भगत को सच्ची श्रद्धांजलि तभी है जब हम लुप्त प्राय: हो रही इस 'भगत' विधा को पुनर्जीवित करेंगे यही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।


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