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मिठड़ी सिंध नाटक में झलका विभाजन का दर्द


राष्ट्रीय सिंधी समाज द्वारा वेबिनार पर वर्चुअल नाट्य मंचन का अभिनव प्रयोग

जयपुर (Ajmer Muskan) । राष्ट्रीय सिंधी समाज द्वारा अमर शहीद संत कंवरराम की  पूर्व संध्या पर वेबिनार पर वर्चुअल नाट्य मंचन का अभिनव प्रयोग किया गया । भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से सिंध छोड़ने को मजबूर सिंधी समाज आज भी सांस्कृतिक सामाजिक और साहित्यिक विरासत को कायम दायम रखने के लिए जूझ रहा है और बंटवारे की त्रासदी को आज तक झेल रहा है । 

असगर वजाहद के लिखे खूबसूरत नाटक का सिंधी रूपांतर वरिष्ठ नाट्य कर्मी कन्हैयालाल मेठवानी  ने किया । मंझे हुए कलाकारों ने बंटवारे की तकलीफ का जीवंत भाव अभिव्यक्ति से  नाट्य मंचन को सजीव कर दिया । 

तन्नू  :- भाविका मेठवाणी, अम्मड़ :- कविता अर्जुन सचदेवा

मिर्ज़ा:- दिलीप रामचंदाणी , कस्टोडियन:- हेमंत खटवाणी

बेग़म :- संगीता सोनी , शायर:- देव सागर, पहलवान :- संतोष  मूलवाणी, मौलवी :-कन्हैयालाल मेठवाणी ने खूबसरत अदायगी के साथ वाह वाही लूटी । पूजा चांडवानी ने सूत्रधार की बेहतरीन प्रस्तुति दी । हेमा मालानी ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया।

राष्ट्रीय सिंधी समाज के महासचिव डॉ लाल थदानी ने सिंध प्रदेश के इतिहास, भौगोलिक स्थिति , सिंधी सभ्यता तथा सांस्कृतिक परंपराओं की विस्तृत जानकारी प्रदान की ।

महासचिव मुकेश सचदेव ने बताया कि कोराना काल में संगठन द्वारा कवयित्री सम्मेलन , डॉक्टर सम्मेलन , गायन प्रतियोगिता , साहित्यिक बैठक, संदीप प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक  का सफतापूर्वक आयोजन कर चुका  है ।

विनीता मोटलानी, गुल माखीजानी , हरीश लालवानी, गोविंद मीरपुरी , हरीश लखानी, अमूल आहूजा , रिन्नी मीरराजा, राजकुमार दरयानी ने  राष्ट्रीय सिंधी समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रमों की प्रशंसा की। अनीता शिवनानी ने कार्यक्रम का संचालन किया। अध्यक्ष कमल वरदानी ने सभी का आभार व्यक्त किया और  दीवाली मिलन परप्रख्यात साहित्यकार और कवि सम्मेलन की जानकारी दी।

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