ऑनलाईन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ
जयपुर (Ajmer Muskan) । राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति इन्द्रजीत सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी से निपटने व बचाव के लिए तय मापदण्ड करने के साथ उच्चतम न्यायालय द्वारा बालकों के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित कराने का प्रयास करने होंगे।
सिंह राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष व राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संगीत लोढा के निर्देशानुसार कोविड-19 के दौरान किशोर न्याय बोर्ड के कार्यो को प्रभावी बनाने के लिए आयोजित ऑनलाईन प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने इस दौरान कोविड़-19 के दौरान किशोर न्याय बोर्ड द्वारा विधि से संघर्षरत बालकों के सम्बन्ध में की जाने वाली कार्यवाहियों में बदलाव, बालकों का पुनर्वास व सामाजिक पुनर्समेकन में आने वाली समस्याएं व उनका निराकरण, बाल देखरेख संस्थाओं यथा बाल सम्प्रेषण गृह, सुरक्षित स्थान व विशेष गृहों में बालकों के संबंध में कोविड़-19 के दौरान कार्मिकों को आने वाली चुनौतियों के बारे में, उच्चतम न्यायालय द्वारा बालकों के संबंध में दिशा-निर्देशों का पालन, आदि के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने यह भी बताया कि किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट के रूप में भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि विधि से संघर्षरत बालकों के संबंध में निर्णय करना होता है। बच्चों का सर्वोत्तम हित किसमें है, यह ध्यान रखकर कोई निर्णय लेना होता है। कोविड-19 महामारी का सभी पर प्रभाव अलग-अलग तरीके से महसूस किया रहा है। इन सब के बीच बच्चों का वर्ग एक ऎसा वर्ग है, जिन्हें कोविड-19 के दौरान आने वाले परिवर्तनों को समझने , जानने और उनसे निपटने के लिए अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
सिंह ने कहा जो बच्चे संस्थाओं में रह रहे हैं उनमें अधिक हताशा और चिंता का माहौल हो सकता है। ऎसी स्थिति में उन्हें और अधिक उचित संरक्षण व देखभाल की आवश्यकता है। हमारा प्रयास बच्चों के De-institutionalization को बढावा देना होना चाहिए। जिससे वह अपने परिवार के बीच में रह सके। उन्होंने कहा कि बतौर प्रिंसीपल मजिस्ट्रेट, किशोर न्याय बोर्ड से यह आशा है कि आप अपने जिले में स्थापित बाल गृहों का नियमित निरीक्षण करें, इन निरीक्षणों के दौरान बच्चों के साथ कुछ समय व्यतीत करें, उनके साथ संवाद कायम करें। यह आप वर्चुअल माध्यम से भी कर सकते है। बच्चों को कोविड-19 से किस प्रकार बचाव किया जा सकता है, इस संबंध में नियमित साफ -सफाई, स्वच्छता के संबंध में जानकारी दें।
न्यायाधीश ने कहा कि यह सभी की जिम्मेदारी है कि केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय द्वारा जो दिशा-निर्देश जारी किये हैं उनकी पालना सुनिश्चित करें। यह ऎसा समय है जब सभी को आपसी तालमेल, सहयोग व समन्वय के साथ कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि बालकों के अधिकारों को संरक्षित रखा जा सके व उनके सर्वोपरि हित को महत्व दिया जा सके। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में दिये गये सभी सिद्धान्तों की पालना सुनिश्चित हो व कोविड-19 के इस दौर में अधिनियम की मंशा के अनुरूप बाल हितैषी वातावरण को कायम रखा जा सके।
प्रशिक्षण में कोविड-19 माहमारी के दौरान कानून के साथ संघर्षरत बच्चों पर प्रभाव के बारे में सुश्री भारती अली, नई दिल्ली, किशोर न्याय बोर्ड के काम-काज में चुनौतियों के बारे में गोविन्द बेनीवाल, ओ.एस.डी, बाल अधिकारिता विभाग, जयपुर महामारी के दौरान उच्चतम न्यायालय के किशोर न्याय के निर्देश के संबंध में अनन्त अस्थाना, बाल अधिकार अधिवक्ता एवं बच्चों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की जांच एवं उनके संबोधन हेतु वैकल्पिक तरीके के बारे में निमिशा श्रीवास्तव, प्रोग्राम डाईरेक्टर, इंडिया काउंसिल टू सिक्योर जस्टिस, नई दिल्ली द्वारा अपना व्याख्यान देकर किशोर न्याय बोर्ड में कार्यरत प्रिंसीपल मजिस्ट्रेट्स को बच्चों से संबंधित विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण में संपूर्ण राजस्थान के लगभग 50 प्रतिभागी उपस्थित रहे।
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