न्यूरो सर्जन डाॅ. सिद्धार्थ वर्मा ने कोरोना काल में किया बड़ा जटिल ऑपरेशन
आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना में रोगी को निःशुल्क मिला उपचार
अजमेर (Ajmer Muskan) । ऑपरेशन थियेटर के बाहर खड़े होकर मरीज का कुशलता से ऑपरेशन होने की प्रार्थना में परिजनों को बातचीत करते तो सबने सुना होगा किन्तु आॅपरेशन टेबल पर मरीज के दिमाग का आॅपरेशन चल रहा हो और वह खुद अपनी कुशलता की जानकारी देने के लिए डाक्टर से लगातार बातचीत कर रहा हो ऐसा तो शायद ही सुना होगा।
जैतारण, पाली का रहने वाला तीस वर्षीय सावर राम ऐसा ही वह मरीज है जिसके दिमाग के बाएं तरफ पनपा ब्रेन ट्यूमर मित्तल हाॅस्पिटल के ब्रेन व स्पाइन सर्जन डाॅ. सिद्धार्थ वर्मा ने रोगी से बातों ही बातों में निकाल दिया। खास बात रही कि यह अत्यंत ही जटिल आॅपरेशन सरकार की आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत नि:शुल्क किया गया। सिर में दर्द रहने, शरीर के दाएं हिस्से में कमजोरी महसूस करने तथा एक माह से मिर्गी के दौरे आने की पीड़ा के साथ मित्तल हाॅस्पिटल जांच के लिए पहुंचे रोगी को यदि समय पर उपचार नहीं मिलता तो उसकी जान जाने का बड़ा खतरा था।
न्यूरो सर्जन डाॅ. सिद्धार्थ वर्मा के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया चूंकि यह ट्यूमर आवाज को नियंत्रित करने वाले हिस्से के बिल्कुल पास में था और वहीं सर्जरी की जानी थी। इस ट्यूमर को निकाले जाने में मरीज की आवाज जाने का अधिक खतरा था इसलिए मरीज को बेहोश किए बिना आॅपरेशन प्लान किया गया। मरीज को दर्द ना हो इसलिए उसे लोकल एनेस्थीसिया दिया गया, सर्जरी के वक्त मरीज को लगातार आंखें खोलकर रखने और बातचीत करते रहने के लिए बोला जाता रहा।
डाॅ. सिद्धार्थ के अनुसार इस आॅपरेशन में पूरी टीम की तकनीकी दक्षता और कुशल अनुभव की जरूरत होती है। हाॅस्पिटल के एनेस्थीसियोलाॅजिस्ट डाॅ राजीव पांडे एवं ओटी तकनीकी स्टाफ आमिर, आसिफ, भगवान, रामेश्वरसिंह और हेमा के सहयोग से यह संभव हो सका।
अवेक क्रेनियोटाॅमी सर्जरी है इसका नामः-
चिकित्सकीय भाषा में इसे अवेक क्रेनियोटाॅमी सर्जरी कहा जाता है। डाॅ सिद्धार्थ वर्मा बताते हैं कि इसमें मरीज को पूरी तरह बेहोश न करके आॅपरेशन के हिस्से को ब्लाॅक लगाकर सुन्न कर दिया जाता है, इसमें मरीज काॅंशियस सेडेशन अवस्था में रहता है। इसका लाभ यह होता है कि जब मरीज के दिमाग के आवाज वाले हिस्से में काम कर रहे होते हैं तब मरीज से लगातार बातचीत करते रहते हैं जिससे कि दिमाग के उस हिस्से में डैमेज न हो, आवाज जाने का खतरा कम रहे।
निदेशक डाॅ. दिलीप मित्तल ने कहा कि निश्चित ही इस तरह के आॅपरेशन दक्ष व अनुभवी टीम से ही संभव हो पाते हैं। मित्तल हाॅस्पिटल विगत 15 सालों से दक्ष व अनुभवी चिकित्सकों व अत्याधुनिक एवं उन्नत तकनीकी संसाधनों के बूते संभागवासियों को सभी तरह की सुपरस्पेशियलिटी एवं अन्य भरोसेमंद चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है। मित्तल हाॅस्पिटल को एनएबीएच मान्यता प्राप्त है। केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं यथा आयुष्मान भारत महात्मागांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम आदि के तहत उपचार के लिए अधिकृत है।
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