अजमेर। जिले में टोंक की सीमा से अचानक टिड्डी दल ने प्रवेश किया। इस दल का टिड्डी नियंत्रण दल ने कीटनाशकों का छिड़काव कर सफाया किया।
कृषि विभाग के उप निदेशक वी.के. शर्मा ने बताया कि जिले में टोंक जिले के गोगुंदा, भोगादीत, पाटन होते हुये टिड्डी दल ने रुपनगढ तहसील के पालडी, भोपतान, काठोदा, अरनिया टीबा, मालियो की ढाणी गांव में पड़ाव डाला। कृषि विभाग द्वारा टिड्डी नियंत्राण कार्य में 2 फायर ब्रिगेड, 6 टे्रक्टर माउंटेड स्प्रेयर, 2 पानी के टेंकर, टिड्डी चेतावनी संगठन के 2 वाहन, 20 विस्तार कार्मिको द्वारा 350 हैक्टयर का सर्वे कर 200 हैक्टयर क्षैत्र में 80 लीटर कीटनाशी का प्रयोग कर टिड्डीयो को मार गिराया।
शर्मा ने बताया कि टिड्डी दल पाकिस्तान, अफगानिस्तान के बलुई मिट्टी वाले क्षेत्रों में अंडे देती है। इन अण्डों से छोटे छोटे कीट निकलते हैं। ये बडे होने पर लाखों करोडों की संख्या में उडान भरते हुए पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान की सीमा में प्रवेश करते हैं। टिड्डी दल में करोडों-अरबो की संख्या में लगभग दो ढाई इंच लंबे कीट होते हैं जो फसलो को कुछ ही घंटों में चट कर जाते हैं। ये सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं। इस आक्रमण के समय कृषक अपने खतों में आग जलाकर, पटाखे फाडकर, थाली-चम्मच बजाकर, ढोल-नगाडे बजाकर आवाज करें, टिड्डी दल के पीछे-पीछे डीजे या उच्च ध्वनि वाले यंत्र बजाने से भी टिड्डी दल भगा सकते हैं। कीटनाशक रसायनो जैसे क्लोरफायरीफास 20 प्रतिशत ईसी 2.5 एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी, लेम्बडासायहेलाथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी की 1 एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी, डेल्टामेथ्रीन 2.8 प्रतिशत ईसी की एक एमएल मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर टिड्डी दल के ऊपर छिडकाव करें। कीटनाशक छिडकाव के बाद कम से कम एक सप्ताह तक हरा चारा पशुओं को ना खिलाएं। यह टिड्डी दल शाम को 7 से 8 बजे के आस-पास जमीन पर बैठ जाता हैं और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरता है। अतः इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है।
इस नियंत्रण दल में कृषि अधिकारी दिनेश झा, कृषि अधिकारी सौरभ गर्ग, कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक श्री गोपाल गैना व क्षेत्र के सहायक कृषि अधिकारी, स्थानीय गिरदावर, कृषि पर्यवेक्षक एवं स्थानीय ग्रामीणों का सक्रिय सहयोग रहा। छोटा भदूण सरपंच कमलेश चौधरी मौके पर मौजूद रहे।
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