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सिंधी समाज आज मनाएगा नंढी सतहिं (थदड़ी), खाएंगे ठंडे व्यंजन

अजमेर। सिंधी समाज आज सोमवार को नंढी सतहिं (थदड़ी) पर्व मनाएगा। परंपरा के अनुसार इस दिन घरों में चूल्हे नहीं जलेंगे। एक दिन पहले बने ठंडे व्यंजन ही खाए जाएंगे। गोगड़ो, नंढी सतहिं (थदड़ी) और वडी सतहिं (थदड़ी) को मनाने की रस्में लगभग एक जैसी ही है।


थदड़ी सिन्धु सभ्यता और संस्कृति का प्रमुख पर्व है, इस पर्व पर समाज के लोग मिठी मानी (सिंधी नाम मिठो लोलो ), सतपुड़ा, खटो भत, बेसणजी कोकी, पकौड़ा, मखण, अचार जैसे ठंडे व्यंजन ही खाएंगे। आज सोमवार को छोटी थदड़ी इसकी तैयारी रविवार को कर ली गई। दरअसल, सिंधी भाषा में थदड़ी शब्द का अर्थ होता है- शीतल। 


वडी सतहिं (थदड़ी) :- 


सिंधी समाज रक्षाबंधन के आठवें दिन (वडी सतहिं) थदड़ी पर्व परंपरानुसार मनाता है। हजारों साल पहले मोहन जोदड़ो की खुदाई में मां शीतला देवी की प्रतिमा निकली थी। मां शीतला की आराधना में ही यह पर्व मनाया जाता है।


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