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ऑनलाइन पढ़ाई विद्यार्थियों व अभिभावकों के लिए बनी परेशानी, स्वास्थ्य को भी है खतरा

पूरा दिन पढ़ाई करने के बाद भी बच्चों को समझ नहीं आ रही ऑनलाइन पढ़ाई


लॉकडाउन की वजह से बंद स्कूलों से घर बैठे ऑनलाइन शिक्षा कार्य कराया जा रहा है। स्कूल और कॉलेजों में बच्चों को पढ़ाने के लिए ऑनलाइन कोर्सेज जारी है और माता-पिता पूरा दिन बच्चों की पढ़ाई को लेकर व्यस्त है, ताकि स्कूल या कॉलेज खुलने के बाद बच्चा बाकी बच्चों की तरह ही अपने पाठयक्रम को लेकर तैयार रहे. ये सोचना शायद आसान है, पर इसका असर बच्चों पर क्या पड़ रहा है, इसे समझना जरुरी है। दिन भर घर में बैठकर पढ़ना शायद बच्चों के लिए भी परेशानी और चिढ़चिढ़ेपन का सबब बन गया है। स्कूलों की ओर से प्राइमरी कक्षा के बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं चलाई जा रही हैं लेकिन बच्चे इन कक्षाओं में सिखाए जाने वाले सबक नहीं सीख पा रहे हैं। तकनीकी दिक्कत के साथ-साथ बच्चों को जो वीडियो पाठ पढ़ाए जा रहे हैं वे उन्हें समझ में नहीं आ रहे। नतीजतन अभिभावकों को भी उनके साथ बैठना पड़ रहा है। स्कूलों का कहना है वक्त को देखते हुए हुए हमने बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था की है, यदि कोई दिक्कत है तो तरीके में बदलाव करेंगे। यह भी कहा जा सकता है कि ऑनलाइन पढ़ाई अभिभावकों, बच्चों और शिक्षकों सभी के लिए मुसीबत बन गई है। ऑनलाइन पढ़ाई में छोटे बच्चों को बहुत परेशानी हो रही है। हालांकि इससे बच्चे व्यस्त जरूर हो गए लेकिन हासिल कुछ हो नहीं रहा। डाउट्स भी क्लियर नहीं होने से उनमें स्ट्रेस बहुत बढ़ रहा है। अभिभावकों का कहना कि बच्चा सारा दिन मोबाइल से चिपका रहता है लेकिन सारा दिन ऑनलाइन पढ़ाई करने के बाद भी बच्चों कुछ नहीं समझ आता है। ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चे सारे दिन व्यस्त रहते हैं। पढ़ाई तो किताब, कॉपी से ही हो सकती है। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को कोई फायदा नहीं मिल रहा, बल्कि बच्चों में मोबाइल और लैपटॉप देखने की आदत और पड़ गयी हैं। ऑनलाइन कक्षाओं के फायदे कम, नुकसान ज्यादा दिखने लगे हैं। शुरूआत में बच्चे जरूर खुश थे लेकिन अब तमाम कठिनाइयां आ रही हैं। अभिभावक अलग परेशान हैं। इंटरनेट पैक के खर्चे बढ़े जिसने लॉकडाउन के बीच पाई-पाई को तरस लोगों की मुसीबतें बढ़ा दीं। स्कूल दिनों में हम बच्चों को थोड़े समय के लिए मोबाइल देते हैं लेकिन अब उसके पास बड़ी वजह है- ऑनलाइन क्लास। इनके लिए वो मोबाइल-लैपटॉप लंबे समय तक अपने पास रख सकता है। ऐसे में पढ़ाई के बहाने बच्चा किसी गलत वेबसाइट्स पर न चला जाएं इसका ध्यान पैरेंट्स को रखना होगा। गेमिंग, सोशल मीडिया, पोर्न साइट्स आदि को लेकर भी पैरेंट्स को अलर्ट रहकर बच्चों को संभालना होगा। ये जरूरी है क्योंकि बच्चा अभी उतना मैच्योर नहीं है वेबसाइट्स हजारों हैं लेकिन उससे उसे कितना और क्या कन्ज्यूम करना उसको अभी इतनी समझ नहीं है। वैसे तो कहा जाता है कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखें लेकिन अभी बच्चे को पढ़ाई के लिए ही मोबाइल इस्तेमाल करना पड़ रहा है। उसके बाद वो टीवी भी देखता है तो उसका स्क्रीन टाइम बढ़ गया है। इसका बच्चे की सेहत पर क्या असर होगा। आजकल अभिभावक कुछ ऐसी ही दुविधा से दो-चार हो रहे हैं। बच्चे को पढ़ाना भी ज़रूरी है लेकिन उसकी सेहत भी अपनी जगह अहम है।


नेत्र रोग विशेषज्ञ अनुसार घंटों मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई करने से बच्चों की आंखें कमजोर हो सकती है। मोबाइल पर लगातार पढ़ाई करवाना गलत है। इससे बच्चों की आंखों का पानी सूख सकता है। उन्होंने बताया कि जिन बच्चों की आंखें कमजोर हैं, उन्हें सिर दर्द की समस्या भी हो सकती है। ऐसे में बच्चों की आंखों से हर पांच मिनट बाद मोबाइल दूर कर दें। ज्यादा देर झुककर बैठने से गर्दन, कमर में दर्द हो सकता है और उनकी रीढ़ में भी दिक्कत आ सकती है। पढ़ते समय थोड़ी-थोड़ी देर में मोबाइल अलग रख दें और थोड़ी देर टहलने का प्रयास करें। मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करने से बच्चों में थकान और कमजोरी आएगी। इससे उनमें दिनभर चिड़चिड़ापन बना रहेगा और आलस भी रहेगा।


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