आयोजकों तथा शामिल होने वालों पर होगी कार्यवाही
अजमेर। मृत्युभोज दण्डनीय अपराध होने के कारण आयोजकों तथा शामिल होने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी।
संभागीय आयुक्त डॉ. आरूषि मलिक ने बताया राज्य में राजस्थान मृत्युभोज निवारण अधिनियम 1960 द्वारा मृत्युभोज (जिसमें नुक्ता, मौसर और चाहलुम शामिल है) को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है। इस अधिनियम की धारा-4 के अनुसार मृत्युभोज आयोजित करने, देने, इसमें शामिल होने या भाग लेने पर एक मास तक के कारावास या एक हजार रूपये तक जुर्माना या दोनों से दण्डनीय किए जाने का प्रावधान है। अधिनियम की धारा-6 के तहत मृत्युभोज आयोजित करने या देने का वर्जन करते हुए जारी निषेधाज्ञा की अवज्ञा पर एक वर्ष तक का कारावास या एक हजार रूपये जुर्माना या दोनों से दण्डनीय किए जाने का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि इस अधिनियम की धारा 7 के अनुसार सरपंच और राजस्थान पंचायत अधिनियम 1953 के अधीन स्थापित ग्राम पंचायत का प्रत्येक पंच और प्रत्येक पटवारी उक्त अधिनियम की धारा 4 या धारा 6 के अधीन दण्डनीय अपराध का प्रसंज्ञान लेने के लिए सक्षम नजदीकी न्यायिक मजिस्ट्रेट को ऎसी कोई सूचना तुरन्त सूचित करने के लिए बाध्य होगा, जो उसकी अधिकारिता की स्थानीय सीमाओं के भीतर ऎसे अपराध के कमीशन या कारित करने के आशय से संबंधित हो। ऎसी सूचना देने के लिए असफल होने पर धारा 7 (2) के तहत कोई ऎसा सरपंच, पंच या पटवारी कारावास से जिसकी अवधि 3 माह तक हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दण्डनीय होगा।
उन्होंने बताया कि अजमेर संभाग के जिले अजमेर, नागौर, भीलवाड़ा एवं टोंक की समस्त ग्राम पंचायतों के सरपंचगण एवं पंचगण को तथा समस्त ग्राम पंचायतों के सीमाक्षेत्र में कार्यरत पटवारीगण को अपने स्तर से इस अधिनियम के प्रावधानों के मृत्युभोज रोकथाम के लिए कार्यवाही करने के लिए सूचित करेंगे। सक्षम क्षेत्राधिकार रखने वाले न्यायिक मजिस्ट्रेट को सरपंच, पंच एवं पटवारी द्वारा मृत्युभोज की रोकथाम हेतु एवं आयोजित हो चुके मृत्युभोज के संबंध में दी जाने वाली सूचना के दो प्रारूप निर्धारित किए गए है। मृत्युभोज निवारण अधिनियम 1960 की धारा 07 के तहत क्षेत्राधिकार के मजिस्ट्रेट के समक्ष निर्धारित प्रारूप में सूचना प्रस्तुत कर दिए जाने के तथ्य की सूचना सरपंच व पंचगण संबंधित विकास अधिकारी को देंगे तथा पटवारी संबंधित तहसीलदारी के माध्यम से उ पखण्ड अधिकारी को देंगे। सरपंच, पंच एवं पटवारी द्वारा मृत्युभोज की रोकथाम हेतु एवं आयेाजित होने वाले एवं हो चुके मृत्युभोज के संबंध में दी जाने वाली सूचना राजस्थान सम्पर्क हैल्पलाईन 181 पर भी की जा सकती है।
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