अजमेर। कोरोना महामारी के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कोरोना प्रभावित क्षेत्रों में टेस्टिंग बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इस संबन्ध में राज्य सरकार ने मरीजों की जांच के संबन्ध में दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया कि विभिन्न स्थानों पर स्थापित कोरोना लैब की अधिकतम क्षमता के साथ उपयोगिता सुनिश्चित करने का कार्य किया जा रहा है। इसका उद्देश्य कोविड-19 के पेशेंट्स के पैटर्न का पता कर कोरोना के प्रसार को रोकने की प्रभावी कार्यवाही करना तथा मरीजों का शीघ्र पता कर तत्काल उपचार प्रारंभ कर संभावित जनहानि को रोकना हैं।
उन्होंने बताया कि जिले के सभी चिकित्साकर्मियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों से अपेक्षित है कि वे अपना विवेक इस्तेमाल करते हुये यह सुनिश्चित करें कि कोई भी व्यक्ति/क्षेत्र जहां जांच की आवश्यकता है, उसका सेम्पल जांच हेतु अवश्य लिया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि अनावश्यक रूप से सेम्पल नहीं लिये जाए। अनावश्यक सेम्पल लिये जाने से संसाधनों का व्यर्थ ही अपव्यय होगा। इस हेतु प्रमुख इन्डीकेटर क्षेत्र विशेष की टेस्टींग में ज्ञात पॉजीटीविटी है। जहां पॉजीटीविटी अधिक आये, वहां टेस्टींग बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके विपरीत पॉजीटीविटी न्यून होने पर टेस्टींग की संख्या रीव्यू किए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि ऎसे समस्त व्यक्ति जिन्होंने गत 14 दिवस में अंतर्राष्ट्रीय यात्रा की हो एवं जिनमें आईएलआई के लक्षण मौजूद हों, प्रयोगशाला जांच द्वारा पॉजिटिव पाये गये मरीजों के संपर्क में आये समस्त व्यक्ति जिनमें आईएलआई के लक्षण हों, आईएलआई के लक्षण वाले समस्त चिकित्साकर्मी एवं फ्रन्टलाईन वर्कर जो कि कोविड.19 की रोकथाम एवं नियंत्रण में कार्यरत हैं की सैंपलींग आवश्यक है। वे सभी मरीज जिनमें एसएआरआई सीवेर एक्यूट रेसपाईरेटरी इनफैक्सनद्ध के लक्षण हो, कन्फर्म कोविड-19 पॉजिटिव व्यक्ति के सम्पर्क में परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से संपर्क में आये लक्षण.विहीन व्यक्तियों की जांच संपर्क में आने के 5वें से 10वें दिन के मध्य की जायेगी। हॉट.स्पॉट एवं कंटेनमेंट जोन में रहने वाले व्यक्ति जिनमें आईएलआई के लक्षण हो, अस्पताल में भर्ती वे सभी मरीज जिन में आईएलआई के लक्षण हों अथवा जो कि अन्य गम्भीर बीमारियों ;को-मोरबिड कन्डीशनस्द्ध से ग्रसित हैं या रीस्क ग्रुप में आते हों वे समस्त आईएलआई के लक्षण वाले व्यक्ति जो राज्य के बाहर से घर वापस आये हों या यहां प्रवासी है, ऎसे व्यक्तियों की राज्य में आने के सात दिवस इन्स्टीट्यूसनल क्वारेंटाईन पूर्ण कर तथा होम क्वारेंटाईन से पूर्व जांच की जानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में उपचार में विलंब नहीं किया जायेगा। यद्यपि आईएलआई के लक्षण होने की स्थिति में जांच के लिए सेम्पल भिजवाया जा सकता है। वे कैंसर अथवा गुर्दा रोगी जिन्हें बार.बार उपचार हेतु सरकारी अथवा प्राईवेट अस्पताल आना पड़ता है, ऎसे रोगियों को जब भी किसी डॉक्टर द्वारा कोरोना जांच की सिफारिश की जायेगी, उनका सेम्पल जांच हेतु लिया जा सकता है। मरीज के निकट सम्पर्क में आने वाले चिकित्सा एवं अन्य कर्मी, मेडिकल संस्थान में इनडोर भर्ती अथवा सर्जरी के केस में भी जांच आवश्यक रहेगी।
उन्होंने बताया कि विभिन्न श्रेणी के व्यक्तियों के रेंडम आधार पर सैंपल लिया जाएगा। सुपर स्प्रेडर तथा घरेलू नौकर, फल.सब्जी वाले, किराने की दुकान वाले, हैयर ड्रेसर, ब्यूटी पार्लर, सैलून, प्रैस वाला, धोबी, इत्यादी, कंजेस्टेड क्षेत्र में निवास करने वाले संवेदनशील समूह (60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति या क्रोनिक बिमारी यथा डाइबिटीज, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, कैंसर, ह्वदय संबंधित बिमारी, किडनी से संबंधित रोग, फेंफड़े से संबंधित बिमारी इत्यादि से ग्रसित व्यक्ति), ऎसे स्थान जहाँ समूह में व्यक्ति एकत्रित होते हैं, अथवा ट्रांजिट (आवागमन करते हैं) यथा मंडियाँ, बस स्टैण्ड, एयरपोर्ट, पब्लिक ट्रांसपोर्टए बैंकिंग क्षेत्र एवं कारागृह इत्यादि में उपस्थित रहने वाले व्यक्ति, क्षेत्र में कार्यरत कोरोना वॉरियर्स अथवा हेल्थ केयर वर्कर (जो कि विभिन्न सरकारी या प्राईवेट अस्पतालों में जहाँ रोगी भार अधिक है) कार्यरत हैं की जांच भी की जाएगी। इस प्रकार लिए गए रेंडम सैंपल में क्षेत्र विशेष में ’पॉजीटीविटी’ अधिक आने पर उस क्षेत्र पर फॉकस रूप से समुचित कार्यवाही की जाएगी।
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