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राष्ट्रीय संत संतोषदास उदासी के निधन पर देशभर में शोक की लहर

संत समाज व अलग अलग संगठनों ने अर्पित किये श्रृद्धासुमन


अजमेर। अखिल भारतीय सिन्धु संत समाज के राष्ट्रीय संरक्षक संतोषदास जी उदासीन के इन्दौर में असामयिक निधन के समाचार से देशभर में संत समाज के साथ श्रृद्धालुओं में शोक की लहर छा गई।


राष्ट्रीय अध्यक्ष महामण्डलेश्वर हंसराम उदासीन ने कहा कि स्वामी जी ने पूरे जीवन भर सनातन धर्म की सेवा में पूर्ण समर्पण किया। उन्होने देवानागिरी सिन्धी लिपि में श्रीमद् भागवत कथा प्रकाशन करवाने के साथ देश भर में संतो के साथ निरंतर सेवा कार्य व गउशालाएं स्थापित करवाई जो सदैव स्मरण रहेगी।


महंत स्वरूपदास उदासीन ने बताया कि देशभर से श्रृद्धालुओं को अपने निवास पर रहकर श्रृद्धासुमन अपिर्त करने की अपील की गई है और संतो महात्माओं की ओर से अपने अपने दरबार व आश्रमों में ही प्रार्थना की जा रही है। राष्ट्रीय महामंत्री महंत श्यामदास, श्री शांतानद उदासीन आश्रम पुष्करराज महंत हनुमानाराम, स्वामी ईसरदास, निर्मलधाम के आत्मदास, जतोई दरबार के भाई फतनदास, भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय मंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, मनीष ग्वालाणी, मोहन तुलस्यिाणी, नरेन्द्र बसराणी, महेश टेकचंदाणी, सिन्धी समाज महासमिति के अध्यक्ष कंवलप्रकाश किशनानी, संत कवंरराम मण्डल के अध्यक्ष नरेन शाहणी भग्त, वैशाली सिन्धी सेवा समिति अध्यक्ष जी.डीकृवृदाणी, झूलेलाल मन्दिर सेवा समिति अध्यक्ष प्रकाश जेठरा, सिन्धु समिति अध्यक्ष जयकिशन लख्याणी, हरकिशन टेकचंदाणी, घनश्याम भगत, खेमचदं नारवाणी, शंकर सबनाणी, राधाकिशन आहूजा, मनोज मेंघाणी, मोहन चेलाणी ने कहा कि स्वामी संतोषदास जी निरंतर अजमेर से जुडाव रखते थे और सभी राष्ट्रीय आयोजनों में उपस्थित रहकर आर्शीवाद दिया। सभी ने श्रृद्धासुमन अर्पित करते हुये कहा कि संतो के सादगी स्वभाव से उन्हे सदैव स्मरण किया जाता रहेगा जोसमाज के लिये अपूर्णीय क्षति है वह उनके स्मरण से ही भर सकती है।


 


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