अजमेर। जिले में आए छोटे-छोटे टिड्डी दलों का कृषि विभाग के दलों द्वारा कीटनाशकों के माध्यम से सफाया किया गया।
जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा ने बताया कि जिले में सीमावर्ती पाली, नागौर एवं टोंक जिले से छितराए हुए छोटे-छोटे टिड्डी दलों ने प्रवेश किया। इन दलों ने रुपनगढ तहसील के करकेडी गांव में, नसीराबाद तहसील के कानाखेडी, रामपुरा, अहिरान, मण्डावली गांव में तथा सरवाड तहसील के सुरजपुरा, जावला, बावडी गांव में पड़ाव डाला।
उन्होंने बताया कि तात्कालिक आवश्यकता के अनुसार कृषि विभाग के उप निदेशक वी.के. शर्मा ने टिड्डी नियंत्रण दल को तीन भागो में विभाजित किया। एक दल को रुपनगढ तहसील के करकेडी जिसकी जिम्मेदारी कृषि अधिकारी दिनेश झा को सौपी। दूसरे दल को नसीराबाद तहसील के कानाखेडी, रामपुरा, अहिरान, मण्डावली में टिड्डी नियंत्रण की जिम्मेदारी कृषि अधिकारी सतीश चौहान को दी गई। तीसरे दल को सरवाड तहसील के सुरजपुरा, जावला, बावडी में कृषि अधिकारी मुकेश माली को सौपी गई।
उन्होंने बताया कि जिले में छोटे-छोटे छितराये हुए टिड्डी दलो ने 8 गावों में एक साथ देर शाम को पड़ाव डाला। खरीफ की बुवाई प्रारम्भ होने सेे टे्रक्टर माउंटेड स्प्रेयर के लिए काम आने वाले ट्रेक्टर कृषि कार्य में व्यस्त हो गए। विभाग द्वारा ट्रेक्टरों की व्यवस्था करवायी गई। टिड्डी नियंत्रण कार्य में 3 बडी फायर ब्रिगेड, 16 टे्रक्टर माउंटेड स्प्रेयर, 3 पानी के टेंकर, टिड्डी चेतावनी संगठन के 3 वाहन, 35-40 विस्तार कार्मिको द्वारा 995 हैक्टयर का सर्वे कर 210.50 हैक्टयर क्षैत्र में 84 लीटर कीटनाशी का प्रयोग किया गया।
उन्होंने बताया कि प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में और नये टिड्डी दल आने की आशंका हैं। टिड्डी दल रेगिस्तान की बलुई मिट्टी वाले क्षेत्रों में अंडे़ देती है। इनसे छोटे छोटे कीट निकलते हैं और बडे होने पर लाखों करोडों की संख्या में उडान भरते हुए पाकिस्तान के रास्ते राजस्थान से भारत की सीमा में प्रवेश करते हैं। टिड्डी दल में करोडों-अरबो की संख्या में लगभग दो ढाई इंच लंबे कीट होते है, जो फसलो को कुछ ही घंटों में चट कर जाते हैं। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं।
उन्होंने बताया कि किसान टिड्डी दल के आक्रमण के समय विभिन्न उपाय कर सकते हैं। अपने खतों में आग जलाकर, पटाखे फाडकर, थाली-चम्मच बजाकर, ढोल-नगाडे बजाकर आवाज करें, टिड्डी दल के पीछे-पीछे डीजे या उच्च ध्वनि वाले यंत्र बजाने से भी टिड्डी दल भागता हैं। कीटनाशक रसायनो जैसे क्लोरफायरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. 2.5 एम.एल.मात्रा प्रति लीटर पानी, लेम्बडासायहेलाथ्रिन 5 प्रतिशत ई.सी. की 1 एम.एल. मात्रा प्रति लीटर पानी, डेल्टामेथ्रीन 2.8 प्रतिशत ई.सी. की 1 एम.एल. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर टिड्डी दल के ऊपर छिडकाव करें। कीटनाशक छिडकाव के बाद कम से कम एक सप्ताह तक हरा चारा पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए। टिड्डी दल शाम को 7 से 8 बजे के आस-पास जमीन पर बैठ जाता हैं और फिर सुबह 8-9 बजे के करीब उड़ान भरता है। अतः इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयों का छिडकाव करके इनको मारा जा सकता हैं।
उन्होंने बताया कि टिड्डी नियंत्रण कार्य हेतु उपयोग में लिए जाने वाले टे्रक्टर माउंटेड स्प्रेयर के साथ 2 सहायक उपलब्ध कराने पर विभाग द्वारा 2500 की राशि का भुगतान किए जाने का प्रावधान है। इच्छुक टे्रक्टर माउंटेड स्प्रेयर धारक अथवा मालिक टिड्डी पड़ाव वाले गांव अथवा उसके आस पास के गांव में टे्रक्टर माउंटेड स्प्रेयर किराये पर उपलब्ध कराना चाहते हैं व पडाव स्थल पर कृषि विभाग की टीम से सम्पर्क कर सकते हैं।
इस अभियान में कृषि अनुसंधान अधिकारी उपवन शंकर गुप्ता, कृषि अधिकारी बिहारीलाल छीपा, कनिष्ठ वैज्ञानिक सहायक गोपाल गैना, राजेश बौगावत व क्षेत्र के सहायक कृषि अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षक एवं स्थानीय ग्रामीणों का सक्रिय सहयोग रहा।
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