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लॉकडाउन : अधीनस्थ न्यायालयों में ईमेल व अन्य संचार माध्यमों से होगी सुनवाई

लॉकडाउन तक वकीलों को काला कोट पहनने से छूट


अजमेर। अधीनस्थ न्यायालयो में लॉक डाउन रहने तक सिर्फ आवश्यक मामलों जिनमें जमानत, रिमाण्ड, अस्थाई निषेधाज्ञा में प्रार्थना पत्र, सुपुर्दगी नामा के प्रार्थना पत्र ,आवश्यक मामलो में धारा 164 के बयान व न्यायालय अपने स्वविवेक से जिन मामलों को आवश्यक प्रकृति का समझे ऎसे मामलों की सुनवाई दोपहर 2 बजे से 4 बजे के बीच वीडियो- वाट्सएप, वॉइस कॉल जैसे संचार माध्यमों से की जाएगी।
     
लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने बताया कि कोर्ट परिसर में आने वाले प्रत्येक अधिकारी, न्यायिक कर्मचारी सरकारी वकील व अधिवक्ता को मास्क लगाना अनिवार्य होगा। उन्हें सोशल डिस्टेंस पालना करना भी अनिवार्य होगा।  अधिवक्ताओ को व्यक्तिगत उपस्थिति से परहेज करने की विशेष सलाह दी गई है। अधिवक्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान भी यूनिफार्म में रहेंगे परन्तु उन्हें काला कोट पहनने से लॉक डाउन तक छूट दी गई है तथा कोई भी पक्षकार न्यायालय परिसर में तब तक उपस्थित नही होगा जब तक न्यायालय उसकी उपस्थिति को आवश्यक नही समझें। तदोपरांत भी बिना न्यायालय की अनुमति के कोई पक्षकार के न्यायालय में प्रवेश पर रोक रहेंगी।
     
लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने दिशा निर्देश जारी किए है कि सभी थाना अधिकारी केसों में वांछित केस डायरियां मांगे जाने पर न्यायालय समय पर आवश्यक रूप से सीधा न्यायालय में जरिये लोक अभियोजक पेश करे। साथ ही न्यायालय परिसर में स्थित सभी केंटीन दुकाने भी 3 मई तक बंद रहेगी और कोर्ट परिसर में पुलिस के साथ मेडिकल टीम भी तैनात रहेंगी। इसके साथ ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनूप कुमार सक्सेना की सदारत में गठित कमेटी जिसमे एक न्यायिक अधिकारी, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय त्रिपाठी तथा एक सीनियर कोर्ट स्टाफ न्यायालय परिसर की मोनिटरिंग करेंगे ताकि इस संबंध में आवश्यक कदम उठाए जा सके।
     
लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने बताया कि नए आवश्यक प्रकरण, प्रार्थना पत्र जिला न्यायालय अजमेर के ईमेल आई डी dc-ajm-rj@nic.in पर पेश किये जा सकते है परंतु नियमित कार्य दिवसों के दौरान हार्ड कॉपी पेश करना अनिवार्य होगा । इसके साथ ही प्रस्तुत किये गये प्रार्थना पत्र पर अधिवक्ताओ को अपने वाट्सएप नम्बर या स्काईएप अकाउंट एड्रेस तथा ईमेल एड्रेस आवश्यक रूप से लिखना अनिवार्य है इसके अभाव में प्रार्थना पत्रों पर कोई विचार नही किया जायेगा।


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