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जूना अखाड़े के संतों की हत्या किसी भी संत व सनातन धर्मी को बर्दाश्त नहीं होगी : महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम


महाराष्ट्र के पालघर में दो संतों सहित तीन जनों को लाठी डंडों से पीट पीट कर निर्मम हत्या का मामला
पुलिस की मौजूदगी में हुई हत्या कई सवालों को जन्म दे रही है, न्यायिक जांच होनी चाहिए
भीलवाड़ा के संत प्रधानमंत्री के नाम देगें ज्ञापन, तैयार की रणनीति


भीलवाड़ा (मूलचन्द पेसवानी)। हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा राजस्थान के महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने महाराष्ट्र उद्वव ठाकरे सरकार के शासन में पालघर में दो संतों सहित तीन लोगों की लाठी डंडों से पीट पीट कर हत्या करने के मामले पर गहरा दुःख व आक्रोश जताते हुए कहा है कि शिवसेना की सरकार में संत सुरक्षित नहीं है तो फिर उसे सरकार में रहने का कोई अधिकार नहीं है। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने 20 अप्रैल 20 सोमवार को एक प्रेस वक्तव्य जारी कर यह कहा है। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के दो संतों व उनके वाहन चालक की हत्या की वारदात से समूचे देश भर के साधु संतों व भक्तों में गहरा आक्रोश है तथा श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के संतों ने प्रधानमंत्री व केंन्द्रिय गृहमंत्री से हस्तक्षेप कर दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई कर उनको फांसी की सजा देने व देश के सनातन संस्कृति के पोषक संतों को सुरक्षा देने की भी मांग की है। उन्होनें यह भी कहा है कि ऐसा न होने पर अब श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा की अगुवाई में देश के सभी संतों व भक्तगणों को सड़क पर उतर पर आंदोलन करने को भी मजबूर होना पड़ सकता है। 


हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा में सोमवार को हुई बैठक में निम्न महापुरुषों से बैठक बुलाकर व दूरभाष द्वारा वार्ता की गयी। इसमें महंत बाबूगिरी जी, महंत दीपकगिरी जी, महंत लक्षमणदास जी, महंत रामदास जी रामायणी, महंत बनवारीशरण जी काठिया बाबा व महंत आशुतोष जी शामिल हुए। अन्य संतों से दूरभाष पर वार्ता की है। सभी ने इस मामले को आगे की रणनीति पर विचार किया तथा भीलवाड़ा में संतों व भक्तों की ओर से प्रधानमंत्री के नाम पर ज्ञापन दिया जायेगा। 


महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने आश्चर्य जताया है कि यह वारदात पुलिस की मौजूदगी में होना देश के लिए शर्मनाक है। भारत में लॉकडाउन के चलते भीलवाड़ा जिले के कुछ संतों को आज बुलाकर एवं कुछ संतो से दूरभाष पर वार्ता करके इस संबंध में रणनीति तैयार की जायेगी। उन्होंने कहा कि पुलिस स्वयं ही रक्षक बनने के बजाय मूकदर्शक की भूमिका में आ गयी और किसी भी पुलिसकर्मी को चोट नहीं आयी जो कई सवाल खड़े करती है। 


महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने प्रश्न उठाया कि कोरोना लोक डाउन के बीच पालघर में लगभग 200 लोगों की भीड़ एक साथ वहाँ क्या कर रही थी ? महाराष्ट्र के पालघर में पुलिस की उपस्थिति में जूना अखाड़ा के ये 2  संत जिनका नाम कल्पवृक्ष गिरि ,उम्र 70 वर्ष व सुशील गिरि उम्र 35 वर्ष, को बड़ी ही क्रूरता से मार डाला गया ब मॉब लीचिंग की गयी ।


स्वामी हंसराम उदासीन ने कहा है कि स्व.बाला साहब ठाकरे ने महाराष्ट्र में संतों के साथ जघन्य अपराध की कभी कल्पना भी ना थी। दरअसल, कल्पवृक्ष गिरि, सुशील गिरि और उनका ड्राइवर मुंबई से सूरत अपने साथी की अंत्येष्टि में शामिल होने जा रहे थे। दोनों साधुओं को ही अपने साथी का अंतिम संस्कार करना था। महाराष्ट्र गुजरात बॉर्डर पर लॉकडाउन के चलते इनकी गाड़ी को रोक लिया गया और वापस भेज दिया गया। इसके बाद तीनों ने सूरत जाने के लिए दूसरा रास्ता चुना। इसी बीच पालघर में अफवाह फैली कि कुछ अपराधी डकैती को अंजाम दे रहे थे। जब इनकी गाड़ी गडचिंचेल गांव के पास पहुंची तो इन्हें गांववालों ने घेर लिया और गाड़ी को तोड़फोड़ दिया और गाड़ी भी पलट दी। इसी बीच पुलिस वहां पहुंच गई। लेकिन इसके बावजूद भीड़ नहीं रुकी और उन्होंने लाठी-डंडों से तीनों को बुरी तरह पीट दिया। फिर अस्पताल में तीनों ने दम तोड़ दिया।


स्वामी हंसराम उदासीन ने कहा है कि इस वारदात से जुड़े कई विडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किए गए है तथा वहां के जो फोटो आये है उसको देख कर लगता है कि किसी षड़यंत्र के तहत संतों को घेर कर पुलिस की मौजूदगी में मारा गया है। ऐसे में पुलिस को भी आरोपी बनाकर अविलंब महाराष्ट्र सरकार को इस मामले की न्यायिक जांच करानी चाहिए और पुलिस के खिलाफ मामला पंजीबद्व करना चाहिए। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा ने केंद्र व महाराष्ट्र सरकार को अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि जूना अखाड़े के संतों में पनप रहे गहरे आक्रोश को समुचित कार्रवाई से ही रोका जा सकता है। अखाड़ा के अध्यक्ष महंत नरेंद्रगिरी महाराज ने कहा है कि पुलिस की मौजूदगी में संतों को लाठीयों से पीट पीट कर मार डाला और उनके पास से नकदी व स्वर्ण आभूषण लूट लिए। इस वारदात के मौके पर पुलिस स्वयं खड़ी थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वारदात ही पुलिस ने करायी है। इस कारण महाराष्ट्र सरकार को संतो के आक्रोश को देखते हुए स्वयं ही पहल कर कार्रवाई करनी चाहिए।


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