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भारतीय संस्कृति ही बचा सकती है विश्व को : कुमावत

शाहपुरा(मूलचन्द पेसवानी)। विश्व में फैली कोरोना महामारी से जूझ रहे सभी देशों को भारतीय संस्कृति ही बचा सकती हैं और भारतीय संस्कृति का निर्माण होता है भारत की संस्कृत भाषा से । संस्कृत भाषा में विश्व कल्याण की भावना निहित है । संस्कृत अनादि काल से चली आ रही भाषा है । मानव कल्याण के लिए किए जाने वाले सभी उपक्रम संस्कृत में ही निहित है इसलिए संस्कृत भारती लॉक डाउन में भी लोगों को संस्कृत के प्रति जागरूक कर रही है । यह बात संस्कृत भारती भीलवाड़ा विभाग द्वारा चल रहे दस दिवसीय ऑनलाइन संस्कृत संभाषण शिविर के समापन अवसर पर बोलते हुए विभाग संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने कही । कुमावत ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा है कि प्रत्येक कार्यकर्ता को लॉक डाउन के समय 24 घंटों में से 4 घंटे का उपयोग संस्कृत, समाज और राष्ट्र के लिए देना चाहिए । एक घंटा प्रतिदिन योग प्राणायाम, एक घंटा संस्कृत संभाषण, एक घंटा पड़ोस में कोई भूखा न सोए इस हेतु समाज की चिंता करने के लिए और एक घंटा ईश्वर की आराधना के लिए देना चाहिए । साथ ही शेष समय में परिवार के साथ रहते हुए स्वाध्याय करना चाहिए । कार्यक्रम के शुभारंभ में शिविर संचालक आसींद जिला संयोजक देवीलाल प्रजापत ने संस्कृत गीत प्रस्तुत किया । सभी कार्यकर्ताओं के आग्रह को ध्यान रखते हुए संस्कृत भारती भीलवाड़ा विभाग ने निर्णय लिया कि प्रतिदिन अपने घर पर संभाषण का अभ्यास करेंगे । तथा सप्ताह में एक बार कार्यकर्ताओं से ऑनलाइन अपनी जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे । समापन कार्यक्रम में आसींद जिला संयोजक देवीलाल प्रजापत, शाहपुरा जिला संयोजक भगवान लाल गोस्वामी, आसींद विकास खंड संयोजक हेमंत शर्मा, मोटरास ग्राम प्रमुख रवि साहू, मोटरास ग्राम शिक्षण प्रमुख सुनील सेन, मेवदा ग्राम प्रमुख राधा वैष्णव, आंटोली ग्राम प्रमुख धनराज गुर्जर आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे । आभार आसींद विकासखंड संयोजक हेमंत शर्मा ने प्रकट किया।


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