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अजमेर : चिकित्सा दल एवं पुलिस कर्मियों पर पथर फेकने वालों की जमानत खारिज

अजमेर। विशिष्ट न्यायाधीश अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण प्रकरण) अजमेर  के न्यायाधीश गोविंद अग्रवाल ने लॉकडाउन का उल्लंघन कर चिकित्सकीय टीम व पुलिस कर्मचारियों पर पत्थर फैकने वाले चिश्ती नगर खानपुरा रोड़ अजमेर के निवासी अब्दुल लतीफ, अब्दुल मजीद, वकील अहमद, तैयब उर्फ अयान, अहमद, वसीम अहमद, मोहम्मद रफीक की जमानत अर्जी न्यायालय ने खारिज करने का आदेश पारित किया ।


लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने बताया कि 05 अप्रेल को थाना रामगंज के थानाधिकारी नरपतसिंह लॉकडाउन डयूटी पर थे तब उन्हे सूचना मिलीं की चिश्ती नगर खानपुरा में मेडिकल टीम जब अब्दुल लतीफ व अब्दुल मजीद के घर उनके सदस्यों का चेकअप करने के लिए पहुँची तो उनके साथ हाथापाई, गालीगलौज कर उन्हें भगा दिया गया । जिस पर थाना अधिकारी नरपत सिंह मय जाप्ता मौके पर पहुचे तो उक्त आरोपियों ने विशिष्ट समुदाय के लोगो को इकट्ठा कर लिया, चिल्लाने लगे और 50- 60 व्यक्ति व आठ दस महिलाओं को साथ लेकर अब्दुल लतीफ व अब्दुल मजीद अपने घर से बाहर आये और पुलिस जाप्ते पर डंडो व पत्थरों से हमला कर दिया जिस पर उपरोक्त आरोपियों के विरुद्ध 147, 147, 149, 332, 353, 186, 270, 269, 188, 336 ए, 153 क, 295 क आईपीएस धारा 51 आपदा प्रबंधन अधिनियम व धारा 4 राजस्थान चिकित्सा सेवा परिचर्या सेवा कर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्थान हिसा व संपत्ति के निवारण अधिनियम 2008 में मुकदमा दर्ज किया गया था ।


लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने बताया कि अदालत ने प्रकरण के तथ्यों व परिस्थितियों के आधार पर कोरोना महामारी के चलते हुए भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा मानवीय स्वास्थ्य व जीवन रक्षा के आशय से किये गये लॉकडाउन जिसमे अनावश्यक रूप से घरों से बाहर नही निकले और कोरोना संक्रमण से बच जा सके, ऎसी स्थिति में संक्रमण को रोकने के आशय से मौके पर गई चिकित्सकीय टीम व सुरक्षा कर्मी को आपने लोक कर्तव्य के निष्पादन के दौरान कोरोना के चिकित्सकीय सर्वे हेतु पहुचे ने पर उन पर पत्थर फेंके गए है तथा ऎसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए 3 मई तक लाकडाउन होने की स्थिति को मध्यनजर रखते हुए समस्त सातों आरोपियों की जमानत खारिज करने के आदेश पारित किए ।


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