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जिला स्तरीय महिला दिवस समारोह आयोजित

अजमेर। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जिला स्तरीय महिला दिवस समारोह शुक्रवार को सूचना केन्द्र सभागार में आयोजित हुआ। इसमें प्रतिभागियों ने महिला होने पर गौरव का अनुभव किया। समारोह में घूंघट  प्रथा खत्म करने के लिए शपथ ली गई।
     
महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक जितेन्द्र कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम में उप वन संरक्षक सुदीप कौर, उपखण्ड अधिकारी श्रीमती अर्तिका शुक्ला एवं महिला अधिकारिता निदेशालय की सुनिता मीणा ने महिलाओं का उत्साहवर्धन किया। स्थानीय निकाय विभाग की उप निदेशक अनुपमा टेलर ने कहा कि इस दिन आधी आबादी को अपने महिला होने पर गौरव का एहसास होता है। महिलाओं को आपसी सहयोग एवं प्रेम के साथ देश को आगे बढ़ाने में सहयोग करना चाहिए।
     
उन्होंने कहा कि परिवार से लेकर अपने कार्यक्षेत्र में एक महिला को दूसरी महिला से सहयोग की अपेक्षा रहती है। आपसी सहयोग से समाज में व्यापक बदलाव लाया जा सकता है। घूंघट एक कुप्रथा है। इसे हटाने के लिए आपसी सहयोग से सकारात्मक वातावरण निर्मित करने की आवश्यकता है। समाज में बदलाव धीरे - धीरे आता है। सिंधु घाटी सभ्यता में घूंघट का अस्तित्व नही था। वैदिक काल में महिलाएं शास्त्रार्थ में निपूर्ण थी। स्वयंवर का चलन सामान्य था। रामायण और महाभारत काल में भी पर्दा प्रथा नहीं थी। भारतीय समाज में घूंघट का चलन मध्य युग से आरम्भ हुआ। उस समय की मजबूरी पर्दा प्रथा रही होगी। वर्तमान में इसकी आवश्यकता नही है।
     
उन्होंने कहा कि सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत है। प्रशासन में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए प्रत्येक स्तर पर कार्य किया जा रहा  है। घूंघट महिलाओं के विकास में बाधक है। घूंघट सम्मान प्रदर्शित करने का तरीका नहीं है। सम्मान दर्शाने के लिए सही शब्दो का इस्तेमाल ही काफी होता है। आदिम समुदायों में पूर्ण लैंगिक समानता है। भारत में कई मातृसत्तात्मक समुदाय है। उनमें आज भी स्वयंवर होता है। घूंघट प्रथा की समाप्ति के परिणाम सुखद होंगे।
    
समारोह में माता यशोदा पुरस्कार एवं साथिन पुरस्कार देकर कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं एवं आशा सहयोगिनियों को सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ साथिन का 11 हजार रूपए का पुरस्कार घूघरा श्रीनगर की सीमा गुर्जर को प्रदान किया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अरांई सील की सरस्वती प्रजापत, अजमेर शहर बंजारा बस्ती की जयश्री, ब्यावर शहर शिव कॉलोनी की श्रीमती गीता रावत, भिनाय कीटाप की कृष्णा लोहार, जवाजा मालपुरा की सरोज, केकड़ी गुर्जरवाड़ा की चांद कंवर, किशनगढ़ शहर की कमल कंवर, किशनगढ़ की रेखा देवी, मसूदा हरराजपुरा की लीला देवी, पीसागंन लीडी की खेरू निशा, पुष्कर की संतोष बाकोलिया, सरवाड़ की ईरानी एवं श्रीनगर फारकिया की प्रवीण को 5100-5100 रूपए दिए गए।
     
इसी प्रकार आंगनबाड़ी सहायिका- आशा सहयोगिनी मधु लाखन, सरोज, पुष्पा देवी, मांगी वैष्णव, पिंकी चौहान, सरिता कंवर, राजकुमारी, कौशल्या सेन, भाग्यश्री, पदमा देवी, इन्द्रा देवी, गीता माली, सीता सेन, शालिनी सिंह, फोरन्ता, कान्ता जांगिड़, सीमा देवी, सलमा, मून्नी देवी, कमला देवी, पूजा देवी, मोहसीना, तारा देवी, विष्णु शर्मा, सीता देवी एवं माया जांगिड़ को 2100-2100 रूपए पुरस्कार स्वरूप प्रदान किए गए।


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