Ticker

6/recent/ticker-posts

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह पर कार्यशाला आयोजित

अजमेर। अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस सप्ताह के अन्तर्गत महिला अधिकारिता विभाग, जिला प्रशासन तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, बाल विवाह रोकथाम एवं महिला शक्ति केन्द्र विषयक जिला स्तरीय अधिकारियों की कार्यशाला बुधवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर हीरालाल मीणा की अध्यक्षता में इंडोर स्टेडियम सभागार में आयोजित हुई।
     
अतिरिक्त जिला कलेक्टर हीरालाल मीणा ने कहा कि समाज को महिलाओं के प्रत्येक स्तर पर सशक्तिकरण की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के कम लिंगानुपात वाली जगह से अभियान का शुभारम्भ किया था। इसके पश्चात बाल लिंगानुपात में वृद्धि दर्ज की गई है। बालिकाएं समस्त क्षेत्रों में बराबर आगे बढ़ रही है। समाज को अपनी सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है।  विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व करने वाले व्यक्तियों पर यह जिम्मेदारी है कि महिलाओं एवं बच्चियों को आगे लाए।
     
कार्यशाला की मुख्य वक्ता अजमेर उत्तर की वृत्ताधिकारी डॉ. प्रियंका थी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि समाज में बदलाव का आरम्भ मां से होता है। उसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। महिला को आगे बढ़कर अपने परिवार के लिए विशेषकर बालिकाओं के लिए रोल मॉडल बनने का प्रयास करना चाहिए। आजादी के पश्चात महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में विशेष कार्य हुआ है। वर्तमान में भी कुछ ऎसे क्षेत्र है जिनमें अतिरिक्त कार्य की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों में कार्य करने से बदलाव तेजी से आएगा।
     
उन्होंने कहा कि समन्वित प्रयासों के परिणाम सामने आने लगे है। बाल विवाह कम हो रहे है। इसके प्रति समाज में जागरूकता एवं स्वीकार्यता बढ़ने से यह संभव हुआ है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए केवल अक्षय तृतीया के दिन ही कार्य करना पर्याप्त नहीं है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए सोच बदलने का कार्य अनवरत किया जाना चाहिए। इस प्रकार की सकारात्मक सोच रखने से परिवर्तन तेजी से होगा। वर्तमान में बालिका शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है। यह एक अच्छा संकेत है।
     
जिला रसद अधिकारी अंकित पचार ने सुकन्या समृद्धि योजना, स्वच्छकर आदतों एवं घूघट मुक्त राजस्थान के विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
     
महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक जितेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि बेटियां परिवार में खुशी का लम्हा होती है। इनसे परिवार में महक आती है। भारतीय परम्परा में स्त्री को देवी माना गया है। समाज में लैिंगक समानता होेने से कई प्रकार के समस्याओं का समाधान हो सकता है। लैंगिक समानता एक सुन्दर एवं सुरक्षित समाज की नींव है। हमारे संविधान में लैंगिक समानता के लिए सकारात्मक प्रावधान रखे गए है। इस संबंध में महिलाओं को भी जागरूक होने की आवश्यकता है।
     
इस अवसर पर क्राई के सलाहकार फैजल रजा खान सहित समस्त जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ