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अजयमेरू प्रैस क्लब के तत्वावधान में सेमिनार का आयोजन, एलाेपैथिक, होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने दी बचाव की जानकारी

स्वास्थ्य के प्रति रहें जागरूक तभी हाेगा काेराेना से बचाव


अजमेर। आमजन अपने स्वास्थ्य के प्रति जितना सजग रहेगा, उतनी ही बीमारियां उससे दूर रहेंगी। काेराेना काे डब्ल्यूएचओ ने महामारी घोषित कर दिया है, सावधानियां बरती जाएं ताे बचाव किया जा सकता है। यह कहना है एलाेपैथिक, होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा विशेषज्ञों का। पहली बार तीनों ही चिकित्सा पद्धति के वरिष्ठ चिकित्सक एक ही मंच पर काेराेना काे लेकर आमजन काे बचाव के टिप्स देने के साथ ही मन में चल रहे प्रश्नों का भी समाधान कर रहे थे। मौका था अजयमेरू प्रैस क्लब के सामाजिक सराेकार के तहत काेराेना वायरस काे लेकर आयोजित किए गए सेमिनार का।


सेमिनार में जेएलएन हॉस्पिटल के मेडिसिन यूनिट के सीनियर आचार्य डाॅ. संजीव माहेश्वरी ने कहा कि बीमारी के साथ बचाव की भी जानकारी हाे ताे बचाव आसानी से हाे सकता है। संक्रमित बीमारी एक दूसरे से फैलती है जैसे टीबी, खांसी, स्वाइन फ्लू या काेराेना इसके बैक्टिरिया, फंगस या वायरस तेजी से फैलते हैं, जबकि असंक्रमित में हार्ट, डायबिटीज या कैंसर यह केवल जिस मरीज काे है उसे ही रहेगी। जाे वायरस जितना हलका हाेगा, वह उतना ही तेजी से फैलेगा। उन्होंने कहा कि खांसी के वायरस छह फीट तक जाते हैं, वहीं छींक के छह मीटर तक। काेराेना की संरचना ताज की तरह है। इसी कारण इसे काेराेना नाम दिया गया। बीमारी के वायरस शरीर के बाहर अधिकतम छह घंटे तक रह सकते हैं। तेज गर्मी के बाद इसमें कमी अाएगी। इसे लेकर भ्रमित हाेने की आवश्यकता नहीं है। अभी तक की जांच में यही सामने अाया है कि ट्रेवलिंग यात्री के संपर्क में अाने के बाद ही यह बीमारी फैल रही है। यदि काेई संपर्क में अाया है ताे ही उसे जांच करानी चाहिए। स्वाइन फ्लू की तरह ही सर्दी जुकाम, खांसी तेज बुखार के लक्षण काेराेना में हाेते हैं। स्केनिंग के बाद मरीज काे 14 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा जाता है चाहे वह घर हाे या अस्पताल। मरीज काे स्वाइन फ्लू, एचआईवी व एलाेराेपिन दवा दे रहे हैं जिसके परिणाम अच्छे अाए हैं। हर व्यक्ति काे मास्क पहनना जरूरी नहीं है मगर राेगी के संपर्क में रहने वाले व्यक्ति काे तीन लेयर का मास्क ही इस्तेमाल करना चाहिए।


वरिष्ठ अायुर्वेद चिकित्सक वैद्य चंद्रकांत चतुर्वेदी ने कहा कि स्वस्थ रहने की विद्या आयुर्वेद बताता है। यह समय ऋतु संधिकाल दिवस कहलाता है, जिसमें 15 दिन गर्मी व 15 दिन सर्दी का मौैसम रहता है। इसमें बुजुर्गों व बच्चों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। मौैसम में प्रतिरोधक क्षमता कम हाे जाती है। जहां तक हाे घर से खाली पेट कतई नहीं निकले। भारी नाश्ता करके नहीं निकलने से जठारग्रंथि मंद पड़ जाती है जाे बीमारी का सबसे बड़ा कारण बनती है। जहां तक हाे मिटटी के बर्तन का प्रयोग करें। चांदी का सिक्का पानी में रखने से कई बीमारियां दूर हाे जाती है। कुछ ही माह में इसका असर दिखने लग जाता है। खाने में प्रतिदिन साैंठ, पिपल, मिर्च, लाैंग, इलायची, तेज पता का सेवन करें। सुबह उठते ही मुंह धाेने से पहले पानी का सेवन करें। रात काे साेते समय दूध का प्रयोग करने अाैर दिन में छाछ पीने से बीमारियां दूर रहती है।


हाेम्याेपैथी डाॅ. अंकिता शर्मा ने कहा कि काेराेना काे लेकर अाधे से अधिक लाेग बिना साेचे समझे एडवांस में बीमारी की दवा ले लेते हैं, यह गलत है। होम्योपैथी में मनुष्य के मन काे जानकार उनकी समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास किया जाता है। मनुष्य तनाव मुक्त हाेकर कार्य करेगा ताे स्वस्थ रहेगा। शरीर में राेग प्रतिरोधक क्षमता अधिक हाेगी ताे बीमारी वैसे भी दूर रहेगी। इस माैके पर वहां मौजूद लाेगाें काे काढ़े का वितरण करने के साथ ही आयुर्वेदिक दवाइयां व होम्योपैथिक दवा का भी वितरण किया गया। कार्यक्रम का आगाज भगवान धनवंतरी के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ। संचालन राजेन्द्र गुंजल ने किया।


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