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सनातन धर्म देश पर किसी भी प्रकार की आंच नहीं आने देगा - महामंडलेश्वर हंसराम

भीलवाड़ा। रामस्नेही संप्रदाय के जन्मदाता महाप्रभु स्वामी रामचरणजी महाराज के प्राकट्य त्रिशताब्दी समारोह का मुख्य प्राकट्य समारोह 8 फरवरी शनिवार को सोड़ा तहसील मालपुरा में होगा। शाहपुरा रामनिवास धाम में 2 फरवरी से आयोजित छह दिनी कार्यक्रम शुक्रवार को समारोह पूर्वक संपन्न हुए। समापन मौके पर महोत्सव के कार्यक्रम में सेवाएं देने वाले प्रमुख कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया। 


रामस्नेही सम्प्रदायाचार्य अनन्त श्रीविभूषित जगतगुरू स्वामीजी श्री रामदयालजी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित प्रवचन सभा व समारोह में आज उदासीन आश्रम भीलवाड़ा के महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम महाराज मुख्य वक्ता के रूप् में मौजूद रहे। इसके अलावा पंचमुखी हनुुमान मंदिर भीलवाड़ा के महंत लक्ष्मणदास त्यागी, महंत मोहनशरण शास्त्री, साध्वी परमानंदा सरस्वती गोधरा सहित कई संत महंत मौजूद रहे। इसके अलावा राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रोन्नति आयोग के पूर्व चेयरमेन औंकारसिंह लखावत सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। 


रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर आचार्य रामदयालजी महाराज ने अपने आर्शिवचन में कहा कि संसार समस्या है तो संत उसका समाधान है। देश की समस्याओं के समाधान में धर्म का अकुंश जरूरी है। सनातन संस्कृति को अक्षुण्य बनाये रखने के लिए संत समाज एकजुटता से खड़ा है। संत धर्म, संस्कृति व राष्ट्र के लिए सदैव तैयार है। उन्होंने कहा कि देश में जो कुछ अभी चल रहा है उस दौर में सनातन धर्म के व्यक्ति को जीवन में स्वयं का जगाना अनिवार्य है। नागरिकों मे राष्ट्र प्रेम, गुरू एवं राम भक्ति के संस्कार विकसित करने व उन्हें अंगीकार करने के लिए प्रयास होने चाहिए। 


जगतगुरू रामदयालजी महाराज ने कहा कि रामस्नेही संप्रदाय के आद्य संस्थापक महाप्रभु स्वामीश्री रामचरणजी महाप्रभु ने विरक्तवाद का जो नारा दिया था, वो आज भी प्रांसगिक है। उनसे हम सभी को मार्गदर्शन मिलता है। महापुरूषों ने ही मानव की विचारधारा व चिंतन को बदला ह, उसे हमें आत्मसात करना है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का उद्देश्य केवल पेट भरना नही है, बल्कि संतो व गुरुओ की शिक्षाओ पर चलकर परमात्मा से मिलने की राह तलाशना ही मानव जीवन का सही उद्देश्य है। परमात्मा की प्राप्ति गुरु कृपा से संभव है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आराध्य की भक्ति में भक्त का भाव जाता है, व्यक्ति नहीं। त्याग में जो सुख की समता है वह कहीं और नहीं, लेकिन त्याग दुष्प्रवृत्तियों, मोह, लोभ और दंभ का होना चाहिए।


उदासीन आश्रम भीलवाड़ा के महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम महाराज ने प्रवचन सभा में उपस्थित भक्तों में जोश भरते हुए कहा कि देश की राजनीति में जो उथल पथल चल रही है, विपक्ष जिस प्रकार से देश को भ्रमित कर रहा है, उस दौर में धर्म खड़ा है देश को किसी भी स्थिति में आंच नहीं आने देगें। देश का बंटवारा 1947 में भले हो गया पर दोबारा ऐसा संत समाज नहीं होने देगा। देश में सनातन समाज को एकजुट होकर उठ खड़े होने की जरूरत है, देश जागृत भी हुआ है तभी तो विपक्ष की रणनीति सफल नहीं हो पा रही है। यह हमारादेश एक बार विश्व गुरू बनकर विजयी पताका फहाराने को तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस ताकत से देश का संचालन कर रहे है सनातन समाज उनके साथ है तथा देश का अब न तो बंटवारा होने देगें तथा न ही किसी भी कीमत पर देश को झुकने देगें।


इससे पूर्व की प्रवचन सभा में जगतगुरू विष्णुस्वामी वल्लभाचार्य महाप्रभु संप्रदाय वैष्णवाचार्य सोमयज्ञ षष्ठ जगतगुरू वल्लभराय महाराज सुरत ने प्रवचन देकर गुरू महिमा पर जोर दिया। 


महाप्रभु स्वामी रामचरण प्राकट्य त्रिशताब्दी महोत्सव केंद्रिय सेवा समिति के मंत्री डा. संतश्री रामस्वरूप शास्त्री ने कार्यक्रम का संचलन करते हुए महाप्रभु के त्रिशताब्दी महोत्सव के आयोजन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि निश्चित रूप् से संप्रदाय के इतिहास में इस महोत्सव ने इतिहास रचा है। उन्होंने महोत्सव के दौरान हुए कार्यक्रमों का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए सभी सहयोगी संतों, कार्यकर्ता, रामस्नेही अनुरागियों व शहर वासियों का आभार ज्ञापित किया। प्रवचन सभा में महंत मोहन शरण शास्त्री, उदयपुर के नरपतराम जी महाराज, शंभुरामजी धलपट ने संबोधित किया। चित्तौड़गढ़ के संत दिग्विजयराम के भजन के साथ शाहपुरा में आयोजित छह दिनी महोत्सव का समापन किया गया। आचार्यश्री ने सभी सहयोगी संतों, कार्यकर्ता, रामस्नेही अनुरागियों व शहर के विभिन्न समाज के अध्यक्षों को प्रशस्ति पत्र व शाॅल ओढ़ा कर उनका सम्मान किया। महाप्रभु स्वामी रामचरण प्राकट्य त्रिशताब्दी महोत्सव केंद्रिय सेवा समिति के उपमंत्री संत जगवल्लभराम महाराज व संत रामनारायण देवास ने अंत में सभी का आभार ज्ञापित किया। 


इससे पूर्व गुरूवार को रात्रि में स्वरूपा महिला मंडल शाहपुरा व भीलवाड़ा की ओर से भजन सरिता का कार्यक्रम पेश किया। इसमें शाहपुरा की कत्थक नृत्यांगना अर्पिता भारद्वाज ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी। इस दौरान संत चेतनराम उदयपुर, संत दिव्येशराम धलपट, संत जीवणराम पीपाड़, संत गोविदराम नागौर ने भजन प्रस्तुत किया।
मूलचन्द पेसवानी 
शाहपुरा (भीलवाड़ा)


 


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