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समावेशी शिक्षा दिव्यांगों के लिए बेहतर विकल्प : बुनकर

अजमेर। राजस्थान महिला कल्याण मण्डल चाचियावास द्वारा अजीम प्रेमजी फिलेनथ्रेपी इनिसिएटीव के सहयोग से आज अजमेर जिले के पीसांगन व श्रीनगर ब्लॉक के 25 राजकीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के साथ दिव्यांगजनों के सामाजिक समावेषन और यूनिर्वसल डिजायन ऑफ लर्निंग विषय पर एक दिवसीय अभिमुखिकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया।


कार्यशाला का शुभारंभ अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा अभियान दीपचन्द बुनकर द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। सम्भागियों को सम्बोधित करते हुए उन्होने कहा कि समावेशी शिक्षा दिव्यांगों के लिए बेहत्तर विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी स्कूलों में दिव्यांगों को नामांकन करने के साथ-साथ गैर दिव्यांग बच्चों के समान उन्हे अवसर उपलब्ध करवाने चाहिए तथा उनकी आवष्यकता और रुचि अनुसार कार्य करवाना चाहिए।


संस्था निदेषक राकेश कुमार कौशिक ने प्रशिक्षण का उद्देश्य बताते हुए कहा कि संस्था द्वारा मुख्यधारा से जोड़े गये बच्चों के साथ बेहत्तर तरीके से कार्य करने हेतु इस प्रकार के अध्यापक व प्रधानाध्यापकों के प्रशिक्षण आयोजित कर करती है। इस वर्ष भी अजमेर जिले के 150 विद्यालयों के शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों को प्रशिक्षित किया जायेगा।


प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि दिव्यांग बच्चों को सामाजिक समावेशन करने से बच्चा समाज की मुख्यधारा से जुडऩे में सफल होगा तथा यह भी बताया गया कि यूनिवर्सल डिजायन ऑफ लर्निंग एक ऐसी पद्वति हैं जो दिव्यांगों के साथ-साथ गैर दिव्यांगों के लिए भी उपयोगी है।


सम्भागियों में से ही शिवषंकर गुप्ता, राजश्री शर्मा, दिलीप चावला आदि ने प्रशिक्षण के फीडबैक देते हुए बताया कि ये प्रशिक्षण हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं और हमें दिव्यांगों को विद्यालय में प्रवेश देते समय परिणाम की चिन्ता नही करनी चाहिए। ये बच्चें शिक्षा के अतिरिक्त भी बहुत सारी चीजे विद्यालय में आकर सीखते हैं। अत: हमें इन्हें विद्यालय में प्रवेश देकर अवसर उपलब्ध करवाना चाहिए। प्रशिक्षण में साइक्लाजिस्ट अंजली सेन, विशेष अध्यापक विनय कुमार और अतिरिक्त निदेशक तरुण शर्मा ने विभिन्न विषयों पर सत्र लिए।


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