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महाप्रभु स्वामी रामचरण प्राकट्य महोत्सव में धर्मसभा का आयोजन

राष्ट्र को हानि पहुंचाने वालों से विचलित होने की कोई जरूरत नहीं : आचार्य श्यामशरण


भीलवाड़ा। संप्रदाय के जन्मदाता महाप्रभु स्वामी रामचरणजी महाराज के सात दिवसीय प्राकट्य त्रिशताब्दी समारोह में रामनिवास धाम परिसर में बनाये गये विशाल डोम में धर्मसभा व प्रवचन सभा का आयोजन हुआ। हजारों लोगों की मोजूदगी में आयोजित सभा की अध्यक्षता शाहपुरा रामस्नेही सम्प्रदायाचार्य अनन्त श्रीविभूषित जगतगुरू स्वामी रामदयाल महाराज ने की। इस दौरान बतौर वक्ता के रूप् में जगतगुरू निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर अनन्त श्रीविभूषित स्वामी श्री श्री श्यामशरण देवाचार्य महाराज सलेमाबाद निम्बार्कनगर, जगतगुरू रामानुजाचार्य अनन्त श्रीविभूषित स्वामी श्रीधराचार्य महाराज अशर्फी भवन अयोध्या, खेड़ापा रामस्नेही सम्प्रदायाचार्य अनन्त श्रीविभूषित स्वामी पुरूषोतमदास महाराज खेड़ापा मोजूद रहे। सभी धर्माचार्यो ने महाप्रभु स्वामी रामचरण के चित्र के समक्ष दी प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का आगाज किया। संत रामस्वरूप शास्त्री द्वारा लिखित पुस्तक भारतीय संस्कृति एवं शाहपुरा रामस्नेही संत के अलावा बृजेंद्र कुमार सिंघल द्वारा संपादित व लिखित पुस्तकों, रामस्नेही संदेश के विशेषांक सहित कई पुस्तकों का विमोचन किया गया। इन पुस्तकों का परिचय साहित्यकार सिंघल ने दिया। समारोह में शाहपुरा के फोटोग्राफर सुर्यप्रकाश आर्य द्वारा शाहपुरा के रामनिवास धाम पर तैयार किये गये इस वर्ष के वार्षिक कलेंडर का विमोचन भी आचार्य रामदयालजी महाराज ने किया। महाप्रभु स्वामी रामचरण प्राकट्य त्रिशताब्दी महोत्सव केंद्रिय सेवा समिति के मंत्री डा. संत रामस्वरूप शास्त्री बाडमेर ने सभी का स्वागत करते हुए महाप्रभु स्वामी रामचरणजी महाराज के जीवन व कृतित्व पर प्रकाश डाला। इस दौरान रामस्नेही संप्रदाय से संबंधित एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकों का धर्माचार्यो ने विमोचन किया। 


धर्मसभा को संबोधित करते हुए जगतगुरू निम्बार्काचार्य पीठाधीश्वर अनन्त श्रीविभूषित स्वामी श्री श्री श्यामशरण देवाचार्य ने कहा कि गुरुओं महापुरुषों का स्मरण व उनकी वाणी का सुमिरन परम पुण्यदायक होते हैं। आचार्यश्री ने कहा कि जो तथ्य तत्त्व हम किसी भी तरह से नहीं जान सकते हैं उनका ज्ञान हमें महापुरूषों की वाणी व वेदों से हो जाता है लेकिन दुर्भाग्य से आज वेद का ज्ञान सीखने में रुचि कम हो रही है तथा विपुल वैदिक ज्ञान लुप्त हो रहा है। 


देश में राममंदिर के जन्म स्थान के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए तथा सीएए को लेकर देश में चल रही विध्वंसकारी घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए आचार्यश्री श्यामशरणजी ने कहा कि राष्ट्र को हानि पहुंचाने वालों से विचलित होने की कोई जरूरत नहीं है। राष्ट्रद्रोही केवल देश का विभाजन चाहते है जो धर्मगुरू नहीं होने देगें। उन्होंने राष्ट्र की छवि को धुमिल करने वालों को दंडित करने पर जोर देते हुए राम मंदिर के समर्थन में सभा में जयघोष भी कराया। 


जगतगुरू स्वामी रामदयालजी महाराज ने आज प्राकट्य महोत्सव के आगाज के मौके पर हुई भव्य शोभायात्रा के विराट स्वरूप को लेकर शाहपुरा की जनता के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि इस महोत्सव की तैयारियां पिछले 12 वर्ष से की जा रही है। उन्होंने महाप्रभु रामचरणजी महाराज के विराट व्यक्तित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि महापुरूषों की वाणी ने जो कुछ दिया है उसी से मुक्ति संभव है। उन्होंने सदगुरू के सानिध्य पर जोर देते हुए कहा कि धर्म से जुड़ेगें तभी पुण्य मिलेगा। आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने कहा कि भगवान राम का जहां पर जन्म हुआ था वहां पर अब भव्य और विराट राम मंदिर का निर्माण होगा। भारत सरकार द्वारा लिए गए दो महत्वपूर्ण फैसलों को संवैधानिक ठहराते हुए उसके समर्थन में जनता को खड़े होने की बात कही। जगतगुरू स्वामी श्री रामदयालजी महाराज ने कहा कि रामस्नेही संप्रदाय 300 साल से समाज एंव राष्ट्र सेवा के प्रति समर्पित रहा है। मानव सेवा, बालिका शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बहुत कुछ काम किया जा रहा है। संप्रदाय ने धर्मसेवा व राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव का संदेश दिया है। 


जगतगुरू रामानुजाचार्य अनन्त श्रीविभूषित स्वामी श्रीधराचार्य महाराज ने प्रवचन में कहा कि महाप्रभु रामचरणजी ने आज से 300 वर्ष पूर्व भी सवा छत्तीस हजार वाणियों का सृजन कर मानव कल्याण का संदेश दिया। उनकी वाणी को आत्मसात करते हुए साधक को परम लक्ष्य की प्राप्ति होगी। नाम संकीर्तन से पाप नष्ट होगें। उन्होंने नाम तत्व की महिमा को प्रतिपादित करते हुए कहा कि वाणी का प्रसाद ही हम सबके लिए अनुकरणीय है। समारोह में वरिष्ठ संत रामप्रसाद बड़ौदा, संत रामनिवास टोंक, संत सांचाराम पुष्कर, संत आनंदराम पुष्कर ने भी प्रवचन दिये।


मूलचन्द पेसवानी
9414677775
शाहपुरा (भीलवाड़ा)


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